Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अतीत के आईने से: बूथ लूट के बाद रद्द हो गया था मतदान, एजेंट बनकर शिबू सोरेन ने संभाला था मोर्चा, झामुमो के लोग रात भर वज्रगृह के पास देते रहे पहरा

    Updated: Fri, 24 May 2024 11:28 AM (IST)

    Lok Sabha Election 2024 एक समय ऐसा था जब झारखंड (तब बिहार का हिस्सा) में बूथ लूटने की घटनाएं होती रहती थीं। लेकिन 1985 के चुनाव में शिबू सोरेन बूथ एजेंट बनकर मोर्चा संभाला था। झारखंड मुक्ति मोर्चा के लोग रात भर वज्रगृह के पास पहरा करते रहे। बूथ लूट के बाद चुनाव आयोग ने मतदान रद्द कर दिया था।

    Hero Image
    Lok Sabha Chunav 2024: 1985 के चुनाव के दौरान शिबू सोरेन और सूरज मंडल बने थे बूथ एजेंट।

    विधु विनोद, गोड्डा: एकीकृत बिहार में वर्ष 1985 के विधानसभा चुनाव की चर्चा इन दिनों लोकसभा चुनाव में भी खूब हो रही है। गोड्डा सदर प्रखंड के रमला और पथरगामा प्रखंड के फुलबरिया गांव में तत्कालीन विधायक सुमृत मंडल के चुनाव के दिलचस्प वाकये को याद कर रोमांचित होते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    तब यहां कांग्रेस विधायक हेमंत झा का प्रभाव हुआ करता था। उक्त चुनाव में झामुमो के सुमृत मंडल और कांग्रेस के हेमंत झा के बीच कड़ा मुकाबला था। चुनाव में बूथ लूट की घटना के बाद रमला और फुलबड़िया बूथ के मतदान को रद्द कर आयोग ने पुनर्मतदान का आदेश दिया था।

    करो या मरो की थी स्थिति

    दोनों प्रत्याशी जानते थे कि दो बूथ में मिले वोट से ही हार जीत तय होगा। करो या मरो की स्थिति थी। फुलबड़िया बूथ हेमंत झा के पैतृक गांव महेशपुर से महज दो किलोमीटर की दूरी पर था। वहीं सुमृत मंडल के पैतृक गांव कोरका से इसकी दूरी चार किलोमीटर से अधिक थी। फुलबड़िया आदिवासी बहुल गांव है। वहां आदिवासियों के अलावा मुसहर, घटवार, लोहार और मिर्धा आदि थे।

    शिबू सोरेन और सूरज मंडल बने थे बूथ एजेंट

    वहीं रमला बूथ मंडल बहुल है। वहां सुमृत मंडल की अच्छी पकड़ थी। इसी जातीय समीकरण साधने के लिए शिबू सोरेन फुलबड़िया में और सूरज मंडल रमला बूथ में इलेक्शन एजेंट बनकर बैठ गए। पुर्नमतदान में दोनों प्रत्याशियों ने ताकत झोंकी। रमला के अंगद प्रसाद और फुलबड़िया के नसीदलाल हांसदा बताते हैं कि दोनों प्रत्याशी मजबूत थे। सुमृत बाबू ने तो वोट देने के लिए गांव के वैसे सभी लोगों को बुला लिया जो दूसरे प्रदेशों में नौकरी करते थे।

    यह भी पढ़ें- हिमाचल में गरजेंगे पीएम मोदी, झारखंड में अमित शाह और खरगे, पंजाब में मायावती तो यूपी में सीएम योगी करेंगे जनसभा

    मतपेटियों को वज्रगृह तक पहुंचाने के लिए किया पीछा

    प्रसाद बताते हैं कि उस समय मनोहर वैद्य, हेमलाल मुर्मू, अरुण सहाय, श्रीधर मंडल आदि वामपंथी नेताओं ने भी सक्रिय भूमिका निभाई थी। हेमंत झा की प्रशासन में अच्छी पकड़ थी। रास्ते से गड़बड़ी की आशंका को देखते हुए सूरज मंडल मतपेटियों को वज्रगृह तक सुरक्षित पहुंचाने तक पीछा किया। रात भर झामुमो के लोग वज्रगृह के पास पहरा देते रहे।

    वहीं, फुलबड़िया बूथ से झामुमो के आदिवासी कार्यकर्ताओं ने बाइक से पीछा कर मतपेटी को वज्रगृह में सील करवाया। दूसरे दिन मतगणना हुई, जिसमें झामुमो के सुमृत मंडल ने हेमंत झा को 638 मतों से हराया।

    यह भी पढ़ें-  बिहार-बंगाल में कितनी सीटें जीतेगी बीजेपी, किन मुद्दों पर लोग दे रहे वोट, दरभंगा एम्स को लेकर क्या बोले मंगल पांडेय, पढ़िए पूरा इंटरव्यू