नसबंदी के बाद कैंसर ने छीन लिया बेटा; डॉक्टर का चमत्कार, पिता को वापस मिली प्रजनन क्षमता Bokaro News

यदि नसों को जड़ के बजाय बीच से काटा जाय तो फिर से उन्हें जोड़ना आसान होता है। नसबंदी स्थायी गर्भनिरोधक उपाय के रूप में टयूब काटा जाता है।

By mritunjayEdited By: Publish:Sun, 18 Aug 2019 04:52 PM (IST) Updated:Sun, 18 Aug 2019 04:52 PM (IST)
नसबंदी के बाद कैंसर ने छीन लिया बेटा; डॉक्टर का चमत्कार, पिता को वापस मिली प्रजनन क्षमता Bokaro News
नसबंदी के बाद कैंसर ने छीन लिया बेटा; डॉक्टर का चमत्कार, पिता को वापस मिली प्रजनन क्षमता Bokaro News

बोकारो [बीके पांडेय]। भगवान न करे कि परिवार नियोजन के तहत पुरुष नसबंदी और महिला बंध्याकरण कराने वालों के साथ कोई हादसा हो और विपरित परिस्थिति में बच्चा पाने की लालसा मन में जाग उठे। ऐसे लोगों को निराश होने की जरूरत नहीं है। बहुत कम खर्च में पुन: संतान पैदा करने के योग्य बन सकते है। इस बात को बोकारो जेनरल अस्पताल के प्लास्टिक सर्जन अनिंदो मंडल ने सफलता के साथ कर दिखाया है।

डॉ. मंडल के सफलतम आॅपरेशन का परिणाम भी देखने को मिला, जब 10 वर्ष पूर्व पुरुष नसबंदी करवा चुके 40 वर्षीय बबलू शर्मा फिर से एक बच्ची के पिता बन सके हैं। यह बबलू शर्मा और उनकी पत्नी के लिय एक सपने जैसा है। वर्ष 2017 में 8 वर्षीय बेटे के मौत हो जाने के बाद पूरा परिवार सदमे में था। डॉ. मंडल का यह दूसरा सफलतम ऑपरेशन है। ऐसा नहीं है कि केवल पुरुष नसंबदी के बाद उनके नस को जोड़ने का काम डॉ. मंडल ने किया है। डॉ. मंडल ने तीन ऐसी महिलाओं को भी ठीक किया है, जो कि बंध्याकरण कराने के बाद फिर से संतान प्राप्ति के लिए परेशान थीं।

क्या कहते हैं पिता बने बबलू शर्मा : वास रिवर्सल नामक आपरेशन के बाद पिता बने बबलू की नसबंदी सुधारने वाली माइक्रो सर्जरी एक साल पहले प्लास्टिक सर्जन डॉक्टर आनंद मंडल और उनके टीम ने की। उनकी पत्नी वीणा शर्मा ने एक बच्ची को जन्म दिया। बच्ची के आने से उनके उदास जीवन को एक मतलब मिल गया। शर्मा और उनकी पत्नी 2017 में अपने आठ वर्षीय बेटे की ब्लड कैंसर से मृत्यु के बाद अवसाद में जीवन जी रहे थे। शर्मा ने 2 में अपने बेटे के जन्म के एक साल बाद ही बीजीएच में नसबंदी करा लिया था। वह एक दवाई दुकान में काम करते हैं और जोशी कॉलोनी में रहते हैं। उनकी शादी 2005 में हुई थी और पहली लड़की 2006 में हुई थी। फिर से हमें 2008 में एक बेटा हुआ, बाद में नसबंदी करा लिया। 2015 तक सब ठीक चल रहा था, उसी समय बेटा ब्लड कैंसर का शिकार हो गया और 2017 में उसकी मौत हो गई। मित्रों की राय के बाद डॉ. मंडल से मिला और उन्होंने मेरी सर्जरी की। इसके बाद अब पुत्री हुई है।

25 हजार में वापस आ सकती जीवन में खुशी : इस आॅपरेशन को करने वाले डॉ. अनिंदो मंडल का कहना है कि इस आॅपरेशन पर खर्च 25 से 35 हजार के बीच होता है। अब तक दो पुरुष तथा दो महिलाओं का आपरेशन उन्होंने किया है। इनमें से एक पुरुष और दो महिलाओं का आपरेशन कामयाब रहा है। आपरेशन की सफलता का नसबंदी एवं बंध्याकरण के समय किए गए आपरेशन पर भी निर्भर करता है। यदि नसों को जड़ के बजाय बीच से काटा जाय तो फिर से उन्हें जोड़ना आसान होता है। नसबंदी स्थायी गर्भनिरोधक उपाय के रूप में टयूब काटा जाता है। जिसे उन्होंने वापस माइक्रो सर्जरी कर जोड़ दिया जाता है। टयूब की चौड़ाई लगभग एक मोटे बाल के बराबर होती है। जो काफी सूक्ष्म होती है। आपरेशन के बाद पुरुष एवं स्त्री संतान पैदा करने योग्य हो जाते हैं। 

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