World Earth Day 2020: ठहर जाइए! कुदरत कर रही नवश्रृंगार, वातावरण शुद्ध; कर्फ्यू बना संजीवनी

World Earth Day 2020 कोरोना के कारण लगे कर्फ्यू से पूरी दुनिया चिंतित है लेकिन इस महामारी के बीच कुदरत नवश्रृंगार कर रही है प्रदूषण का स्‍तर अब कम हो गया है।

By Babita kashyapEdited By: Publish:Wed, 22 Apr 2020 08:28 AM (IST) Updated:Wed, 22 Apr 2020 08:28 AM (IST)
World Earth Day 2020: ठहर जाइए! कुदरत कर रही नवश्रृंगार, वातावरण शुद्ध; कर्फ्यू बना संजीवनी
World Earth Day 2020: ठहर जाइए! कुदरत कर रही नवश्रृंगार, वातावरण शुद्ध; कर्फ्यू बना संजीवनी

शिमला, यादवेन्द्र शर्मा। कोरोना महामारी के बीच कुदरत नवश्रृंगार करने लगी है। लॉकडाउन और कर्फ्यू के कारण दुनिया चिंतित है, लेकिन धरती, नदियां और हवा स्वच्छ हो रही हैं। इसका असर पहाड़ी राज्य हिमाचल में भी दिखा। प्रदेश के सबसे प्रदूषित शहरों में वायु प्रदुषण के स्तर में 65 फीसदी तक की कमी आई हैं। सड़कों पर बढ़ती गाड़ियों, धूल, अंधाधुंध निर्माण और उद्योगों ने प्रदूषण के स्तर को बढ़ा दिया था। प्रदेश की सड़कों में इन दिनों सड़कों पर पांच फीसद ही वाहन चल रहे हैं। दवा उद्योग के अलावा अन्य उद्योग भी बंद हैं। इससे हवा साफ हो रही है।

प्रमुख पांच शहरों बद्दी, शिमला, सुंदरनगर, परवाणू व ऊना में रिस्पायरेबल सस्पेंडिड पार्टिकुलेट मेटर (आरएसपीएम) निर्धारित मानकों से नीचे आ गया है। इससे प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए कफ्यरू और लॉकडाउन की आवश्यकता जताई जा  रही है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण ओजोन स्तर के घटने और ग्लेशियरों के पिघलने से जल संकट की आशंका पैदा हो गई थी।

प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा वायु की गुणवत्ता की जांच की गई, जिसमें आरएसपीएम का स्तर निर्धारित 60 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर से नीचे पाया गया है। सल्फर डाइआक्साइड (सॉक्स) और ऑक्साइड ऑफ नाइट्रोजन (नॉक्स) में कमी पाई गई है।

नॉक्स बनता है अम्लीय वर्षा का कारण

नॉक्स डीजल या कोयले के धुएं का मुख्य कारक है। इसके बहुत अधिक बढ़ने से अम्लीय वर्षा होने की आशंका रहती है। यह गैस सांस की बीमारियों को बढ़ाती है।प्रदेश में कर्फ्यू ने धरती को नई संजीवनी प्रदान की है। वायु प्रदूषण के स्तर में 65 फीसद तक की गिरावट आई है। ऑक्सीजन की मात्र बढ़ी है।

 -आदित्य नेगी, सदस्य सचिव प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड।

इन दिनों हवा पूरी तरह से स्वच्छ है और प्रदूषण के स्तर में कमी आई है। बीमारियों की आशंका कम है। वातावरण पूरी तरह से स्वच्छ हुआ है। जिन औद्योगिक क्षेत्रों में आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी से संबंधित औद्योगिकी इकाइयों में काम होता रहा है उन क्षेत्रों में भी प्रदूषण का स्तर कम हुआ है।

-आरडी धीमान, अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य हिमाचल प्रदेश।

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