अल्ट्रासाउंड व सेना के इमेजिंग उपकरणों में धब्बे नहीं बनेंगे परेशानी, आइआइटी मंडी ने किया शोध

अल्ट्रासाउंट व सेना के इमेजिंग उपकरणों में अब धब्बे नहीं दिखाई देंगे। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी ) मंडी के शोधकर्ताओं ने गणित मॉडल इस्तेमाल कर विभिन्न इमेजिंग सिस्टम के इम

By Richa RanaEdited By: Publish:Mon, 24 Aug 2020 04:32 PM (IST) Updated:Mon, 24 Aug 2020 04:32 PM (IST)
अल्ट्रासाउंड व सेना के इमेजिंग उपकरणों में धब्बे नहीं बनेंगे परेशानी, आइआइटी मंडी ने किया शोध
अल्ट्रासाउंड व सेना के इमेजिंग उपकरणों में धब्बे नहीं बनेंगे परेशानी, आइआइटी मंडी ने किया शोध

मंडी,जेएनएन। अल्ट्रासाउंट व सेना के इमेजिंग उपकरणों में अब धब्बे नहीं दिखाई देंगे। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी ) मंडी के शोधकर्ताओं ने गणित मॉडल इस्तेमाल कर विभिन्न इमेजिंग सिस्टम के इमेज की गुणवत्ता बढ़ाई है। इमेजिंग सिस्टम का इस्तेमाल उद्योग, सेना, उपभोक्ता व चिकित्सा क्षेत्र के विभिन्न उपयोगों में इमेज देखने व  लेने में होता है। इनमें सामान्यता एक कैमरा, इमेजिंग लैंस व प्राय: प्रकाश का स्रोत होता है। एक्टिव इमेजिंग प्रकाश की प्रतिछाया होती है जो किसी वस्तु से मिलती है। इसे प्रकाश के स्रोत से प्रकाशित किया जाता है। स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज के एसोसियट प्रो. डॉ. राजेंद्र कुमार रे के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने धब्बों को दूर करने के लिए गणितीय विधियों का उपयोग किया।

उन्होंने एक ग्रे लेवल इंडिकेटर बेस्ड नॉनलिनियर टेलीग्राफ डिफ्यूजन मॉडल का उपयोग किया है। इसमें  इमेज (आकृति) एक इलास्टिक शीट के रूप में दिखाई देती है। इसे दबाने पर धब्बे दूर हो जाते हैं। प्रस्तावित तकनीक में डिफ्यूजन इक्वेशन व वेब इक्वेशन के संयुक्त प्रभावों का उपयोग गया है। सिस्टम का वेब स्वरूप किसी इमेज में हाई ऑसिलेटरी  व टेक्स्चर पैटर्नों को सुरक्षित रखता है। पार्शियल डिफरेंशियल इक्वेशन (पीडीई).आधारित इस पद्धति के मुख्य लाभों में से एक यह है कि इसका एक मजबूत सैद्धांतिक आधार है, जो किसी नॉन.पीडीई आधारित पद्धति के लिए हमेशा निश्चित नहीं होता।

जैव चिकित्सा इमेजिंग से उपग्रह आधारित निगरानी तक उच्च तकनीक के कई कार्यों में एक्टिव इमेजिंग का उपयोग किया जाता है। धब्बों की उपस्थिति में कुछ एक्टिव इमेजिंग तकनीकों के उपयोग से उत्पन्न हुई इमेज की गुणवत्ता कम हो जाती है। धब्बे इमेज में कण दिखाते हैं।

धब्बे अल्ट्रासाउंड, लेजर व ङ्क्षसथेटिक एपर्चर रडार (एसएआर) इमेजों में आम बात हैं। इमेजिंग की इस प्रकार की प्रणालियों का उपयोग सैन्य निगरानी व चिकित्सा निदान जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में बड़े पैमाने पर किया जाता है।

धब्बों के चलते इमेज की कमजोर गुणवत्ता, न केवल विश्लेषण को अविश्वसनीयता को खतरनाक व स्वचालित इमेज प्रोसेस को भी कठिन बना देती है। प्रस्तावित पद्धति में इमेज के टेलीग्राफ.डिफ्यूजन इक्वेशन व  ग्रे लेवल दोनों के लाभ हैं। इसमें न केवल इमेज से शोर दूर करने की क्षमता है बल्कि यह इमेज की संरचनात्मक बारीकियों को भी सुरक्षित रखती है।

शोधकर्ताओं ने टेस्ट इमेज व कुछ रियल टाइम एसएआर इमेज पर अपने मॉडल का इस्तेमाल किया। इनमें जानबूझ कर त्रुटियां डाली गई। मेडिकल इमेजिंग व सुरक्षा निगरानी में रक्षा संबंधी उपयोगों में धब्बों को निकालना कितना महत्वपूर्ण यह अनुमान लगाया जा सकता है। इन हाईटेक उपयोगों के अलावा डिस्‍पेकलिंग का उपयोग सिनेमाटोग्राफी  व फोटोग्राफी जैसे इमेजिंग के कार्यों में भी किया जा सकेगा।

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