नशे के खिलाफ फिर जंग छेड़ेंगे अतुल फुलझेले

अतुल फुलझेले ने आइजी नॉर्थ रेंज धर्मशाला में कार्यभार संभाल लिया। वह नशे के खिलाफ फिर से जंग छेड़ेंगे।

By Edited By: Publish:Sat, 04 Aug 2018 08:48 PM (IST) Updated:Sun, 05 Aug 2018 09:59 AM (IST)
नशे के खिलाफ फिर जंग छेड़ेंगे अतुल फुलझेले
नशे के खिलाफ फिर जंग छेड़ेंगे अतुल फुलझेले
जागरण संवाददाता, धर्मशाला : जिला कांगड़ा में नशा माफिया की कमर तोड़ने वाले वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी अतुल फुलझेले फिर से नशा माफिया के खिलाफ जंग लड़ेंगे। वर्ष 2009 में एसपी कांगड़ा रहते हुए डॉ. अतुल फुलझेले ने नशा माफिया की कमर तोड़ दी थी। यहां तक कि उन्होंने शिक्षण संस्थानों के आसपास चरस व अन्य मादक पदार्थ बेचने वालों के बाकायदा फोटो तक सार्वजनिक स्थानों में लगवा दिए थे। इसके बाद नशा माफिया पर काफी हद तक काबू पा गया था। लोग नशे के सौदागरों के बारे में तुरंत जानकारी पुलिस को देने लगे थे। शनिवार को धर्मशाला में उन्होंने आइजी नॉर्थ रेंज के रूप में कार्यभार संभाला। इसके बाद बातचीत में उन्होंने कहा कि कुछ वर्षो से नशा माफिया पंजाब के अलावा हिमाचल के सीमांत क्षेत्रों में सक्रिय हो गया है। कई युवाओं को इसकी चपेट में ले रहा है। नशे के सौदागरों पर नकेल कसने के लिए जल्द ही एक खाका तैयार किया जाएगा, ताकि इनकी मुख्य जड़ों तक पहुंचा जाए। इसके लिए एसपी चंबा, कांगड़ा व ऊना को नशा बेचने वालों की पहचान के निर्देश दिए गए हैं। नशे की चपेट में आ रहे युवाओं को बचाने के लिए पुलिस जागरूकता कार्यक्रम में भी कुछ बदलाव करेगी। उन्होंने कहा कि चंबा जिले के साथ लगती जम्मू कश्मीर की सीमा में सुरक्षा के लिए जो भी बदलाव करने होंगे, वे किए जाएंगे। इसके लिए वह जल्द चंबा का दौरा करेंगे। ------------------------ कांगड़ा के एसपी रह चुके हैं डॉ. अतुल फुलझेले एक चिकित्सक से पुलिस अधिकारी बने डॉ. अतुल फुलझेले 2001 बैच के आइपीएस अधिकारी हैं। हिमाचल काडर के आइपीएस अधिकारी डॉ. अतुल फुलझेले एक दशक तक हिमाचल में सेवाएं दे चुके हैं। आठ साल उन्होंने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के तहत सीबीआइ में सेवाएं दी हैं। कांगड़ा व ऊना में पुलिस अधीक्षक के पद पर रहते हुए अतुल फुलझेले ने कई बड़े अपराधियों को सबक सिखाया था। धर्मशाला में आयोजित पहले आइपीएल में सुरक्षा व्यवस्था के लिए तैयार किया गया डॉ. फुलझेले का रोड मैप आज भी अहम भूमिका निभाता है। उन्हें पुलिस की सेवाओं के लिए ही नहीं, बल्कि सूचना का अधिकार के तहत भी राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है। 2009 में उन्हें देश का बेस्ट पीआइओ अवार्ड मिल चुका है। उन्होंने जिला कांगड़ा का पुलिस प्रमुख रहते हुए एक माह में 193 सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारियों का निपटारा किया था। उन्हें 2009 में ही डीजीपी डिस्क व 2010 में शिमला में भी विशेष सेवाओं के लिए सम्मानित किया जा चुका है। गत वर्ष उन्हें राष्ट्रपति अवार्ड भी मिल चुका है।
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