नाडा के लगाए प्रतिबंध में निर्दोष साबित हुए अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर सुमित

करनाल के अंतराष्ट्रीय बॉक्सर सुमित सांगवान ने दिसंबर-2019 में नाडा के लगाए प्रतिबंध में खुद को निर्दोष साबित किया है।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Wed, 04 Mar 2020 06:06 PM (IST) Updated:Wed, 04 Mar 2020 06:08 PM (IST)
नाडा के लगाए प्रतिबंध में निर्दोष साबित हुए अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर सुमित
नाडा के लगाए प्रतिबंध में निर्दोष साबित हुए अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर सुमित

पानीपत/करनाल, [यशपाल वर्मा]। हरियाणा के बॉक्सरों के लिए आइकॉन बने सुमित सांगवान बचपन से ही संघर्षशील रहे हैं। बेदाग करियर के दम पर वह आगे भी मेडल जीतने के सफर को जारी रख सकेंगे। राष्ट्रीय डोपिंग निरोधक एजेंसी (नाडा) ने उन पर लगाया एक साल का प्रतिबंध हटा लिया है। गांव शेखपुरा सोहाना निवासी अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर सुमित सांगवान ने 11 वर्ष की उम्र से अपने करियर की शुरुआत की थी और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 

अप्रैल-2012 में अस्ताना में एशियाई ओलंपिक क्वालीफायर में स्वर्ण पदक जीतने के बाद सुमित सुर्खियों में आए। लंदन ओलंपिक-2012 में भाग ले चुके सांगवान 91 किलोग्राम भार वर्ग के मुकाबले खेलते रहे हैं। सुमित के अनुसार टोक्यो ओलंपिक-2020 क्वालीफायर ट्रायल के लिए उनके पास चांस है और उसके लिए महासंघ को अर्जी दी है। 

 

किसी दाग से कम नहीं डोप निलंबन

सुमित सांगवान के अनुसार खिलाड़ी पर डोपिंग का आरोप किसी दाग से कम नहीं होता है। 26 दिसंबर को लगे प्रतिबंध के बाद से दिल और दिमाग में आराम नहीं था, क्योंकि मैंने जानबूझ कर ऐसा नहीं किया था। मुझे खुशी है कि नाडा पैनल ने चिकित्सा रिपोर्ट के आधार पर राहत दी। आंख न खोल पाने के कारण चिकित्सक की सलाह पर दवा का सेवन किया था और इसके सेवन के 13वें दिन भी शरीर में दवा का प्रभाव पाया गया। उन्होंने नाडा कमेटी के आगे स्पष्ट किया कि उनके नमूने में जो प्रतिबंधित पदार्थ मिला था, उन्होंने अनजाने में उसका सेवन किया था। बता दें कि सांगवान का नमूना 10 अक्टूबर 2019 को लिया गया था जिसमें डायूरेटिक्स और मास्किंग एजेंट के अंश पाए गए थे। 

11 वर्ष की उम्र में पहन लिए थे बॉक्सिंग ग्लव्स

सुमित सांगवान का जन्म 1 जनवरी 1993 को करनाल के शेखपुरा सोहाना गांव में किसान सुरेंद्र सिंह और गृहणी अनिता के घर हुआ। मात्र 11 वर्ष की उम्र में चाचा विनोद सांगवान और राजकुमार सांगवान के नेतृत्व में दस्ताने पहन लिए थे। दिल्ली अकादमी में ट्रेनिंग के दौरान वर्ष-2009 में 16 वर्ष की उम्र वर्ष में मुकाबले लिए उतरे थे। दो स्वर्ण पदक जीतकर राष्ट्रीय स्तर पर चमकने के बाद, वह तब सुर्खियों में आए जब उन्होंने अस्ताना में एशियाई ओलंपिक क्वालीफायर में स्वर्ण पदक जीता। अप्रैल 2012 में कजाकिस्तान में मेडल हासिल किया। वर्ष-2010 के एशियाई खेलों में रजत पदक हासिल किया। सुमित ने 2014 में अमेरिकी संगठन यूएसए नॉकआउट के लिए विश्व सीरीज ऑफ बॉक्सिंग में भाग लिया था। वर्ष-2015 में राष्ट्रीय बेस्ट बॉक्सर बने और वर्ष-2017 में एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीत चुके सुमित सांगवान आज युवा बॉक्सरों के लिए प्रेरणास्रोत हैं।

ओलम्पियाड-2020 की कर रहे तैयारी

सुमित ने बताया कि ओलंपिक क्वालीफायर ट्रायल के लिए उनके पास अभी चांस है और टोक्यो ओलंपिक में खेलना मेरे लिए बेहद जरूरी है। महासंघ से खुद को राष्ट्रीय शिविर में शामिल करने के लिए अर्जी लगाई है। निलंबन की कार्रवाई तब हुई जब वह चैंपियन थे और इसी आधार पर शिविर में जगह मिलने की पूरी उम्मीद है। वहीं, जिला खेल अधिकारी राजीव कुमार ने बताया कि खिलाड़ी के करियर में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं।

नाडा ने खिलाड़ी सुमित को उन पर लगे डोपिंग के आरोपों से मुक्त कर दिया है। सुमित को ओलंपिक क्वालीफाई करने के लिए ट्रायल में हिस्सा लेने की अनुमति मिलनी चाहिए। अगर उन्हें नजरअंदाज किया गया तो यह खेल व खिलाडिय़ों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण होगा। अगर सुमित ओलंपिक ट्रायल को क्वालीफाई करता है तो ओलंपिक में वह देश की झोली में पदक डाल सकता है।

- नवीन हुड्डा, बॉक्सिंग कोच, जय बालाजी स्पोट्र्स अकादमी, गोहाना

सुमित को डोपिंग के आरोपितों से मुक्त करने का फैसला स्वागत योग्य है। अब सुमित को ओलंपिक क्वालीफाई के लिए ट्रायल का अवसर मिलना चाहिए। अगर वह ट्रायल क्वालीफाई करता है तब ओलंपिक में देश को पदक मिलने की उम्मीद बढ़ जाएगी। सुमित अच्छा खिलाड़ी है और उसने विभिन्न स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करके अपनी प्रतिभा को साबित किया है।

- राहुल हुड्डा, खिलाड़ी, बॉक्सिंग

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