चीन से उद्योगों को हरियाणा लाने को सरकार हुई सक्रिय, अमेरिका व यूरो जोन की कंपनियों पर नजर

चीन से विस्‍थापित उद्योगाें को हरियाणा लाने को राज्‍य सरकार सक्र‍िय हो गई है। उसने अमेरिका जापान कोरिया व यूराे जोन की कंपनियों से अपनी यूनिटों काे चीन से लाने को संपर्क किया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Wed, 06 May 2020 04:56 PM (IST) Updated:Wed, 06 May 2020 04:58 PM (IST)
चीन से उद्योगों को हरियाणा लाने को सरकार हुई सक्रिय, अमेरिका व यूरो जोन की कंपनियों पर नजर
चीन से उद्योगों को हरियाणा लाने को सरकार हुई सक्रिय, अमेरिका व यूरो जोन की कंपनियों पर नजर

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा सरकार ने चीन से विस्थापित हो रही संभावित कंपनियों के साथ मेलजोल बढ़ाना शुरू कर दिया है। मनोहरलाला सरकार चाहती है कि ये कंपनियां भारत की ओर रुख करते हुए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा में औद्योगिक इकाइयां स्थापित कर सकें। हरियाणा के पास जमीन, व्यापारिक अनुमति के लिए सिंगल विंडो सिस्टम, बाजार, सस्ता श्रम और आवागमन की तमाम ऐसी सुविधाएं हैं, जिनकी वजह से अमेरिका, जापान, कोरियाई और यूरो जोन की कंपनियां चीन से अपने संयंत्रों को यहां स्थानांतरित कर सकती हैं। चीन में इन सुविधाओं का अभाव है। हरियाणा सरकार ने एक संयुक्त रणनीति के तहत इन कंपनियों को अपने प्रदेश में संयंत्र स्थापित करने का न्योता देने की मजबूत कार्य योजना तैयार की है।

चीन से विस्थापित कंपनियों को हरियाणा लाने की दिशा में काम शुरू, सरकार ने तैयार की कार्ययोजना

मुख्यमंत्री मनोहर लाल तीन मई को दैनिक जागरण के वेबिनार कार्यक्रम में उद्यमियों के सामने चीन से विस्थापित होने वाली कंपनियों को हरियाणा बुलाने का संकेत पहले ही दे चुके थे। दो दिन के भीतर ही इस पर तेजी से काम भी आरंभ हो गया है।

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इसके तहत मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रधान सचिव और हरियाणा औद्योगिक आधारभूत विकास संरचना निगम (एचएसआइआइडीसी) के चेयरमैन राजेश खुल्लर, उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के प्रधान सचिव अपूर्व कुमार सिंह तथा एचएसआइआइडीसी के प्रबंध निदेशक अनुराग अग्रवाल की एक पाई पावर कमेटी ने काम शुरू कर दिया है। खुल्लर कमेटी की निगाह चीन से विस्थापित होने वाली तमाम विदेशी कंपनियों के कारोबार पर टिकी है।

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हरियाणा के इन तीनों वरिष्ठ अधिकारियों की कमेटी 8 मई तक हर रोज एक घंटे शाम तीन से चार बजे तक चीन से विस्थापित होने वाली तमाम संभावित कंपनियों के प्रतिनिधियों से बातचीत कर उन्हेंं हरियाणा लाने को तैयार करेंगी। यह बातचीत आज शुरू हो गई है। कुछ कंपनियों के नामों की लिस्टिंग हो चुकी है तो कुछ से बातचीत चल रही है। इन कंपनियों के नामों को अभी सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है।

चीन से इन कंपनियों के बाहर जाने का बड़ा कोरोना संक्रमण है, लेकिन दूसरी कई अहम वजहों को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। एक तरफ चीन में मजदूरी की बढ़ती लागत है तो दूसरी ओर शी जिनपिंग सरकार का बढ़ता अनावश्यक हस्तक्षेप वहां की कंपनियां बर्दाश्त नहीं कर पा रही हैं। इससे यह कंपनियां अपने लिए बेहतर विकल्प तलाशने में जुटी हैं।

हरियाणा सरकार इन कंपनियों के लिए भूमि क्षेत्र, भुगतान की शर्तों, मांगे गए प्रोत्साहन और व्यवसाय की सरलता के संदर्भ में उनकी व्यक्तिगत आवश्यकता को समझने का प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल पहले ही कह चुके कि अपने प्रदेश की कंपनियों को प्रोत्साहन देने के अलावा विदेशी कंपनियों के दरवाजे हरियाणा के लिए हमेशा खुले हुए हैं। मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर चीन से विस्थापित होने को तैयार इन कंपनियों से बातचीत के आधार पर सुविधा के तमाम पहलुओं तथा उनकी समस्या के समाधान के विकल्पों पर खुलकर बातचीत करेंगे।

हरियाणा सरकार ने मौजूदा नीतियों में विंडोज बनाने की रणनीति तैयार की है, जो चीन से बेस शिफ्ट करने के इच्छुक निवेशकों की पसंद के किसी भी औद्योगिक एस्टेट में विनिर्माण सुविधाओं को स्थापित करने में सहयोग करेगी। इसके लिए उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री के नाते डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला भी प्रयासरत हैं। हरियाणा देश के उन औद्योगिक प्रदेशों से एक है, जो कई औद्योगिक उत्पादों का प्रमुख उत्पादक है।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के तीन ओर से घिरे होने की वजह से भी हरियाणा विदेशी कंपनियों की पहली पसंद है। इसके अलावा, प्रदेश में पहले से काफी जापानी, कोरियाई और अमेरिकी कंपनियां काम कर रही हैं। हरियाणा सरकार ने चीन से विस्थापित होने वाली अथवा नई कंपनियों के लिए बातचीत के प्रस्ताव हेतु ईमेल आईडी भी जारी किया है, ताकि बातचीत की प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके।

26 कंपनियों ने वियतनाम, 11 ने ताइवान और आठ ने थाइलैंड को चुना

अभी तक चीन से जिन 56 कंपनियों ने अपने प्रोडक्शन को हटाया है, उनमें से तीन कंपनियां ही भारत में आई हैं। 26 कंपनियां वियतनाम चली गईं तो 11 कंपनियों ने ताइवान को अपना केंद्र बना लिया। आठ कंपनियों ने थाइलैंड में अपना केंद्र बनाया। भारत को उम्मीद है कि कम मजदूरी और उचित माहौल की वजह से यह कंपनियां अभी भी यहां आ सकती हैं। वियतनाम ने अपनी अर्थव्यवस्था में 1990 में उदारीकरण शुरू किया।

भारत ने भी इसी समय आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की थी। तब से वियतनाम ने 6-7 प्रतिशत की दर से वृद्धि की है जो भारत की तरह ही रहा है। पिछले तीन दशकों में यह अर्थव्यवस्था की वृद्धि के मामले में भारत को पीछे नहीं कर पाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मनोहर लाल जिस तरह से विदेशी निवेशकों को आकॢषत कर रहे हैं, उसके मद्देनजर सरकार के प्रयास फलीभूत होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

हरियाणा में इन वजह से आ सकती हैं चीन से विस्थापित कंपनियां

- हरियाणा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटा प्रदेश है। इसके गुरुग्राम में तमाम विदेशी कंपनियों के मुख्यालय या कार्यालय हैं। यहां साफ्टवेयर कंपनियों का बड़ा कारोबार है।

- हरियाणा में जमीनें सस्ती हैं। जमीन की उपलब्धता आसान है। सरकार ने नए उद्यम लगाने के लिए उद्योगपतियों को तमाम तरह की मंजूरी के लिए सिंगल विंडो सिस्टम लागू कर रखा है।

- हरियाणा के कई जिले गुरुग्राम, सोनीपत, पलवल और फरीदाबाद केएमपी व केजीपी से जुड़े हैं, जो दिल्ली के चारों तरफ पेरीफेयर हैं। इससे आवागमन आसान होता है।

- दिल्ली स्थित अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की वजह से हरियाणा में निवेशकों की एंट्री आसान है।

- दादरी से मुंबई तक नई रेल लाइन का रेल कारीडोर बन रहा है। इसके अलावा, नारनौल के पास 1000 एकड़ में लाजिस्टिक हब बन रहा है, जो नई विदेशी कंपनियों के लिए फायदेमंद रहेगा।

- केएमपी के पास 2-2 किलोमीटर का एरिया औद्योगिक इकाइयों के लिए आरक्षित है। यहां जमीनों के लिए उद्योगपतियों व विदेशी कंपनियों को किसी तरह की दिक्कत नहीं आने वाली है।

- यह एरिया दोनों तरफ करीब 250 किलोमीटर बनता है, जिसमें जमीन की कोई कमी नहीं रहेगी।

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हरियाणा में कई नामचीन कंपनियों के बड़े कारोबार

हरियाणा का औद्योगिक क्षेत्र बहुत ही विस्तृत और विशाल है। प्रदेश में करीब 1600 बड़ी और 90 हजार से ज्यादा लघु औद्योकिक इकाइयां कार्यरत हैं। हरियाणा में कार, ट्रैक्टर, मोटर साइकिल, साइकिल, रेफ्रिजरेटर, वैज्ञानिक उपकरण बनते हैं। विश्व बाज़ार में बासमती चावल का सबसे बड़ा निर्यातक हरियाणा है। पंचरंगा अचार के अतिरिक्त पानीपत में हथकरघे से बनी वस्तुएं और कालीन विश्व भर में प्रसिद्ध है।

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