सत्ता के गलियारे से: बड़ा सवाल- बॉस को कैसे मनाएं, पढि़ये हरियाणा की सियासत की रोचक खबरें

सत्ता के गलियारे से हरियाणा के डीजीपी मनोज यादव से उनके बॉस गृहमंत्री अनिल विज नाराज हैं। ऐसे में उनके सामने चुनौती है कि गृहमंत्री को कैसै मनाएं। सत्‍ता के गलियारे कॉलम के तहत पढ़े हरियाणा की सियासत की रोचक खबरें।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Mon, 15 Mar 2021 08:46 AM (IST) Updated:Mon, 15 Mar 2021 08:46 AM (IST)
सत्ता के गलियारे से: बड़ा सवाल- बॉस को कैसे मनाएं, पढि़ये हरियाणा की सियासत की रोचक खबरें
हरियाणा के डीजीपी मनोज यादव और राज्‍य के गृहमंत्री अनिल विज की फाइल फोटो।

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा में डीजीपी के पद पर जब तक मनोज यादव हैं, तब तक गृह मंत्री अनिल विज उनसे खफा ही रहेंगे। गृह मंत्री की नाराजगी की कोई एक वजह नहीं है। उनके पास कई ऐसे मामले हैं, जिन पर डीजीपी अनिल विज की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सके। डीजीपी की भी अपनी एक सीमा है। आखिरकार उन्हें चलना मुख्यमंत्री के हिसाब से ही होता है, लेकिन डीजीपी के तत्कालिक (मौजूदा) बास तो अनिल विज ही हैं। ऐसे में मौजूदा बास की अनदेखी कर सुपर बास के यहां दस्तक ने डीजीपी की मुश्किलें बढ़ाई हैं।

पुलिस के लिए हेलीकाप्टर की डीजीपी द्वारा तैयार फाइल को विज ने अपनी पावर का इस्तेमाल करते हुए नामंजूर कर दिया। राजनीतिक गलियारों में यह सबको पता है कि विज दिल के साफ आदमी हैं। उनका गुस्सा थोड़ी देर का होता है। यदि कोई उन्हें प्यार से मनाए तो वह मान भी जाते हैं। अब देखने वाली बात यह है कि डीजीपी इसमें कितना प्रयास करते नजर आते हैं।

राहुकाल खत्म, शुभ समय चालू

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विधानसभा में बजट पेश करते हुए सनातनी परंपरा का खूब अच्छी तरह से निर्वाह किया। उनके बजट की शुरुआत भगवान गणेश को समर्पित मंत्र से हुई। संयोगवश शुक्रवार को सुबह साढ़े 10 बजे से 12 बजे तक राहु काल था। मुख्यमंत्री को सदन में ठीक 12 बजे बजट पेश करना था।

कुछ लोगों ने सनातनी धर्म परपंरा के अनुपालन को जरूरी समझते हुए मुख्यमंत्री को सदन में 12 बजे के बाद ही प्रवेश करने की सलाह दी। 12 बजकर एक मिनट पर स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता सदन में आए और मुख्यमंत्री 12 बजकर दो मिनट पर बजट पढ़ने के लिए अपनी सीट पर खड़े हुए। मुख्यमंत्री ने लगातार दो घंटे 37 मिनट तक बजट के 63 पेज पढ़ते हुए पूरे राज्य की प्रगति का खाका खींच दिया। अब सोमवार को सदन में विपक्ष बताएगा कि बजट में कहां कमी रह गई।

दीपेंद्र का अंदाज ही जुदा...

हरियाणा से कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा का अंदाज पूरी तरह से जुदा है। उनके पिता पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने विधानसभा में ऐसे तमाम किसानों के नाम शोक प्रस्तावों में जोड़ने का मुद्दा उठाया था, जिनका निधन दिल्ली-हरियाणा की सीमा पर आंदोलन के दौरान हुआ। ठीक उसी तरह दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने यही मुद्दा राज्यसभा में उठाकर सरकार की परेशानी बढ़ा दी। दीपेंद्र हुड्डा ने राज्यसभा के सदन पटल पर ऐसे तमाम किसानों के नामों की सूची रख दी, जिनकी जान बार्डर पर आंदोलन के दौरान गई है।

पिता-पुत्र के इस अनुरोध को किसी भी सदन में स्वीकार तो नहीं किया गया, लेकिन कांग्रेस के पास लोगों के बीच जाकर कहने के लिए बहुत कुछ हो गया। यह हुड्डा पिता-पुत्रों का ही प्रयास है कि हरियाणा मूल के दिवंगत किसान के घर में उनके द्वारा दो-दो लाख रुपये की आर्थिक मदद पहुंचाई जा रही है। अब तक दो दर्जन किसानों के परिजनों को यह राशि मिल चुकी है। भाजपा इसे भले ही राजनीति से जोड़कर देखे, लेकिन दीपेंद्र इस मुहिम को किसानों के प्रति पिता-पुत्र के अपनेपन से जोड़कर देख रहे हैं।

 रस्सी काे सांप बनाने की कला...

जनता की नजर में कभी-कभी कोई घटना बहुत ही सामान्य सी होती है, लेकिन वह कब बड़ा मुद्दा बन जाए, कहा नहीं जा सकता। यूं भी कह सकते हैं कि किसी भी घटना को बड़ा मुद्दा बनाने की कला में राजनेता माहिर होते हैं। महिला दिवस पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ट्रैक्टर पर बैठे थे। पेट्रोल व डीजल की बढ़ी कीमतों का विरोध जताने के लिए उनके विधायक रस्से से यह ट्रैक्टर खींच रहे थे। इनमें महिला विधायक शकुंतला खटक भी शामिल थी। मुख्यमंत्री ने सदन में कांग्रेस के इस प्रदर्शन को महिलाओं के अपमान से जोड़ दिया।

फिर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ने इस पर विरोध स्वरूप बयान दे दिए। प्रदेश के महिला आयोग ने हुड्डा को नोटिस भेज दिया। शकुंतला खटक बेचारी कहती-कहती थक गई कि हुड्डा मेरे नेता हैं और मैंने अपनी मर्जी से उनका ट्रैक्चर खींचा है, लेकन जब तक वह अपनी बात मीडिया में पहुंचा पाती, तब तक को यह घटना राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा मुद्दा बन चुकी थी।

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