कंट्रोल रूम ही नियंत्रण में नहीं, रुकें कैसे अपराध

पुलिस व आमजन के समन्वय के लिए पुलिस विभाग द्वारा जारी किया गया आपाताकालीन नंबर 100 पर जब भी दिन में फोन मिलाया जाता है तो द कस्टमर बिजी अनादर काल प्लीज ट्राइ अगेन लेटर कंप्यूटरीकृत आवाज आती है। अगर रात को 12 बजे के बाद फोन किया जाता है तो पूरी घंटी जाने के बाद आपने जो नंबर मिलाया है उसका कोई जबाव नहीं दे रहा है की आवाज आती है। यहीं कारण है कि गश्त कर रहे कर्मचारियों को कंट्रोल रूम से लेट सूचना मिलती है। जिसके कारण वे घटनास्थलय या वारदात पर लेट पहुंचते है व आमजन के गुस्से का सामना करना पड़ता है। कई बार तो सड़क दुर्घटना में पुलिस लेट पहुंचने पर हालात यह हो जाते है कि जाम तक लग जाता है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 21 Aug 2018 07:32 PM (IST) Updated:Tue, 21 Aug 2018 07:32 PM (IST)
कंट्रोल रूम ही नियंत्रण में नहीं, रुकें कैसे अपराध
कंट्रोल रूम ही नियंत्रण में नहीं, रुकें कैसे अपराध

जागरण संवाददाता, नारनौल :

पुलिस द्वारा जिले में अपराधों पर अंकुश लगाने के नित नए दावे किए जा रहे हैं, लेकिन आलम यह है कि कंट्रोल रूम ही पुलिस के नियंत्रण में नहीं है। ऐसे में अपराध कैसे रुकेंगे इसकी सहज कल्पना संभव है। आमजन की सुविधा के लिए पुलिस द्वारा कंट्रोल रूम का 100 नंबर निर्धारित किया होता है, लेकिन जिले के आम व्यक्ति द्वारा इन दिनों इस नंबर पर फोन लगाना खुद के लिए ही सिरदर्द बन जाता है। हालात यह है कि दिन में फोन मिलाया जाता है तो द कस्टमर बिजी अनादर कॉल प्लीज ट्राइ अगेन लेटर कंप्यूटरीकृत आवाज आती है और अगर रात को 12 बजे के बाद फोन किया जाता है तो पूरी घंटी जाने के बाद आपने जो नंबर मिलाया है उसका कोई जवाब नहीं दे रहा है आवाज सुनने को मिलती है। यहीं कारण है कि गश्त कर रहे कर्मचारियों को कंट्रोल रूम से लेट सूचना मिलती है। इस कारण वे घटनास्थल या वारदात पर लेट पहुंचते हैं तब तक अपराधी काबू से बाहर हो जाता है। कई बार तो सड़क दुर्घटना में पुलिस के देर से पहुंचने पर हालात यह हो जाते हैं कि जाम तक लग जाता है। खास बात ये कि जब भी उच्चाधिकारियों को इस बात की शिकायत की जाती है तो कंट्रोल रूम में तैनात कर्मचारी फेक काल आने का बहाना बनाते हैं। यह तब है जबकि आपातकालीन नंबर 100 की तीन लाइनें हैं यानि एक साथ तीन लोगों से फोन पर बात की जा सकती है।

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दैनिक जागरण ने पूछा तो लिख दिया पत्र:

कंट्रोल रूम का नंबर नहीं मिलने की लगातार शिकायत के बाद दैनिक जागरण ने कंट्रोल रूम अधिकारी से खामियों के बारे में सवाल किया। उनका जवाब फेक कॉल आने का था, लेकिन इसके तुरंत बाद उन्होंने बीएसएनएल को पत्र लिख कर इंटीग्रेटेड रिसीवर डेकोडर आइआरडी सिस्टम लगाने को पत्र लिख दिया। इस सिस्टम में पहले कन्फर्मेंशन की प्रक्रिया पूरी की जाती है।

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हाल यह, रात की जगह सुबह पहुंची पुलिस:

सतनाली में एक परिवार पर शराब के धंधे से जुड़े लोगों ने हमला कर दिया। परिवार के सदस्य संदीप कुमार ने कंट्रोल रूम फोन किया, लेकिन फोन नहीं उठाया गया। इस पर 1091 नंबर पर फोन किया, वहां से उसे एक नंबर दिया गया। यह सूचना रात 2 बजे दी गई, लेकिन पुलिस सुबह करीब 10 बजे मौके पर पहुंची। पीड़ित परिवार ने पुलिस में लिखित शिकायत देकर आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

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वर्जन:

जिला पुलिस कार्यालय की ओर से आइआरडी सिस्टम लगाने के लिए मंगलवार को ही पत्र आया है। पत्र मिल चुका है। जल्द ही आइआरडी सिस्टम लगाया जाएगा।

--नित्यानंद, एसडीओ, बीएसएनएल।

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यहां पर टेक्निकल प्रॉब्लम है। रेवाड़ी के नक्शेकदम पर नारनौल में भी आइआरडी सिस्टम लगवाया जाएगा। इसके बाद समस्या का समाधान हो जाएगा।

--विनोद कुमार, एसपी, नारनौल।

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