पराली को खेत में मिला कर हैप्पी सीडर व जीरो टिल ड्रिल से करें गेहूं की बिजाई : डॉ. कर्मचंद

दैनिक जागरण के टेलीफोनिक कार्यक्रम हेलो जागरण के तहत बुधवार को हमेटी (हरियाणा कृषि प्रबंधन एवं विस्तार प्रशिक्षण संस्थान) के डायरेक्टर डॉ. कर्मचंद ने पराली प्रबंधन को लेकर किसानों के सवालों के जवाब दिए।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 21 Nov 2019 07:10 AM (IST) Updated:Thu, 21 Nov 2019 07:10 AM (IST)
पराली को खेत में मिला कर हैप्पी सीडर व जीरो टिल ड्रिल से करें गेहूं की बिजाई : डॉ. कर्मचंद
पराली को खेत में मिला कर हैप्पी सीडर व जीरो टिल ड्रिल से करें गेहूं की बिजाई : डॉ. कर्मचंद

जागरण संवाददाता, जींद : दैनिक जागरण के टेलीफोनिक कार्यक्रम हेलो जागरण के तहत बुधवार को हमेटी (हरियाणा कृषि प्रबंधन एवं विस्तार प्रशिक्षण संस्थान) के डायरेक्टर डॉ. कर्मचंद ने पराली प्रबंधन को लेकर किसानों के सवालों के जवाब दिए। सुबह 11 से 12 बजे तक जींद के अलावा करनाल, कुरुक्षेत्र व अन्य जिलों से भी किसानों के फोन आए। जिन्होंने धान कटाई के बाद फसल अवशेष का निपटारा कैसे करें, इसके विकल्पों के बारे में जाना। इस दौरान 20 से ज्यादा किसानों के फोन आए। किसानों के सवाल देते हुए डॉ. कर्मचंद ने कहा कि धान कटाई के बाद हैप्पी सीडर व जीरो टिल ड्रिल से सीधी बिजाई कर किसान अच्छी पैदावार ले सकते हैं। इससे खेत में खरपतवार भी नहीं उगेगा। इसमें समय की बचत होती है और लागत भी कम आती है। पराली जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होने के साथ-साथ खेत के जरूरी पोषक तत्व भी नष्ट हो जाते हैं। जीवित रहने के लिए सबको साफ हवा चाहिए। नहीं तो बीमार पड़ जाएंगे। अगर शरीर ही नहीं रहेगा, तो पैसा किस काम का।

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सवाल : इस्माइलाबाद के खजान सिंह ने हमेटी द्वारा दिए जाने वाले प्रशिक्षणों के बारे में जानकारी मांगी।

जवाब : डॉ. कर्मचंद ने बताया कि फसल अवशेष प्रबंधन पर जिला स्तर पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ज्यादातर जिलों में ये कार्यक्रम हो चुके हैं। करीब 10 हजार किसान, जिसमें 700 महिला किसान शामिल हैं। उन्हें मशीनों की कार्यप्रणाली, रख-रखाव, बही-खाता जिसमें लाभ-हानि का ब्यौरा के बारे में ट्रेनिग दी गई। फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में भी बताया गया। सवाल : दनौदा गांव के किसान अशोक ने पूछा कि उन्होंने पीआर धान की कंबाइन से कटाई कराई है। गेहूं की बिजाई कैसे करें?

जवाब : हैप्पी सीडर से सीधे बिजाई कर सकते हैं। इसके अलावा चोपर से बारीक काट कर रोटावेटर से खेत में मिला कर उसके बाद गेहूं की बिजाई कर सकते हैं। रोटरी स्लेशर से भी खेत में काट कर मिलाया जा सकता है। अपने नजदीकी कस्टम हायरिग सेंटर से ये कृषि यंत्र किराये पर ले सकते हैं। विभाग ने कलस्टर लेवल पर कस्टम हायरिग सेंटर बनाए हुए हैं। सवाल : नरवाना के चरणजीत ने बताया कि हैप्पी सीडर का पूरा रिजल्ट नहीं मिल पा रहा है। अब क्या करें?

जवाब : मशीन में तकनीकी दिक्कत हो सकती है। संबंधित कंपनी या विभाग की इंजीनियर से संपर्क कर मशीन की सेटिग ठीक कराएं। हैप्पी सीडर नई तकनीक की मशीन है, जिसके रिजल्ट भी बेहतर मिल रहे हैं। काफी किसान हैप्पी सीडर से बिजाई कर रहे हैं और उत्पादन भी अच्छा हो रहा है। वहीं करनाल के नरू गांव के समर सिंह के सवाल के जवाब में बताया कि खेत में जहां पराली का ढेर लगा है, उसे बिखेर दें और बारीक काट कर बिजाई करें। सवाल : दनौदा गांव के किसान मंदीप ने कहा कि पराली जलाने से प्रदूषण होता है। ऐसे में धान की कंबाइन से कटाई के बाद कैसे गेहूं की बिजाई करें?

जवाब : फसल अवशेष को खेत में मिला दें। या फिर खेत से बाहर निकाल कर चारे के रूप में प्रयोग करें। पराली बिक भी रही है। खेत में फसल अवशेष मिलाने से उत्पादन शक्ति बढ़ेगी। कलस्टर लेवल पर कस्टमर हायरिग सेंटर बनाने के अलावा पंचायतों को भी कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जा रहे हैं। जहां से छोटे किसान किराये कृषि यंत्र लेकर गेहूं की बिजाई कर सकते हैं। सवाल : कुरुक्षेत्र के मिर्जापुर निवासी मदन ने पूछा कि धान की कंबाइन से कटाई के बाद फसल अवशेष का क्या करें?

जवाब : कृषि यंत्र चोपर या रोटरी स्लेशर से फसल अवशेष को बारीक काट कर खेत में मिला दें। उसके बाद जीरो टिल ड्रिल से बिजाई कर दें। हैप्पी सीडर से भी बिजाई कर सकते हैं। गेहूं के अच्छे उत्पादन के लिए 25 नवंबर तक बिजाई करना जरूरी होता है। उसके बाद जितना देरी होगी, प्रतिदिन के हिसाब से 20 से 25 किलो उत्पादन घट जाएगा। अगर पर्याप्त समय हो, तो पराली में डी-कंपोजर डाल कर खेत में अच्छे से मिला कर सिचाई करने के बाद गेहूं की बिजाई करें।

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