बैलेंस शीट: यशलोक सिंह

गुरुग्राम में बिल्डरों की धोखाधड़ी से हजारों आवंटी परेशान हैं। जो अपने जीवन की गाढ़ी कमाई को एक अदद आशियाने के लिए बिल्डरों के हवाले कर चुके है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 20 Mar 2020 04:53 PM (IST) Updated:Fri, 20 Mar 2020 04:53 PM (IST)
बैलेंस शीट: यशलोक सिंह
बैलेंस शीट: यशलोक सिंह

उद्योग विहार में यह सड़क है पार्किंग?

इंडस्ट्री, आइटी और मल्टीनेशनल कंपनियों के हब उद्योग विहार को एक पार्किंग स्थल के लिए वर्षों से तरसना पड़ रहा है। आलम यह है कि इस क्षेत्र की सड़कें ही वाहनों के लिए सबसे बेहतर पार्किंग स्पेस हैं। जो भी पहली बार इस क्षेत्र में आता है तो उसे लगता है कि यह कोई बड़ा पार्किंग स्पेस है। उद्योग विहार के फेज एक से लेकर पांच तक की सड़कों के दोनों ओर कारों, ट्रकों और दोपहिया वाहनों की लंबी कतारे दिखती हैं। कई सालों से उद्यमी मांग कर रहे हैं कि यहां प्रदेश सरकार पार्किंग एरिया बनाए। लगभग दो साल पहले हरियाणा स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने इस औद्योगिक क्षेत्र में मल्टीलेवल पार्किग स्थल के निर्माण की योजना तैयार की थी, मगर वह भी कागजी साबित हुई। उद्यमियों का कहना है कि इस औद्योगिक क्षेत्र में पार्किंग का अभाव भी निवेश नहीं आने एक बड़ा वाजिब कारण है। वाजिब रिफंड नहीं दे रहा बिल्डर

गुरुग्राम में बिल्डरों की धोखाधड़ी से हजारों आवंटी परेशान हैं। जो अपने जीवन की गाढ़ी कमाई को एक अदद आशियाने के लिए बिल्डरों के हवाले कर चुके है, उन्हें न तो घर मिल रहा और न ही उनका पैसा बिल्डर द्वारा ठीक से रिफंड किया जा रहा है। ऐसे ही एक पीड़ित आवंटी हैं बबलू सिंह वालिया और उनकी पत्नी रविदर वालिया। इन्होंने 2015 में सेक्टर-62 स्थित वाटिका बिल्डर के वाटिका नेक्स्ट प्रीमियम रेजिडेंशियल परियोजना के अंतर्गत फ्लैट बुक कराया था। इन्हें जब फ्लैट नहीं मिला तो इन्होंने हरियाणा भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण में रिफंड के लिए बिल्डर के खिलाफ केस डाल दिया। किसी तरह से बिल्डर रिफंड के लिए तैयार हो गया। अब समस्या यह है कि वह इन्हें पूरे पैसे नहीं दे रहा है। इनका कहना है कि बिल्डर को ब्याज सहित लगभग 80 लाख रुपये उन्हें चुकाने थे, मगर वह लगभग 75 लाख रुपये ही दे रहा है। एफिशिएंट सर्विस कैंप कितना एफिशिएंट

हरियाणा स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एचएसआइआइडीसी) का एफिशिएंट सर्विस कैंप कितना एफिशिएंट होगा यह तो भविष्य ही बताएगा। फिलहाल उद्यमियों की मानें तो कॉरपोरेशन ने एक बेहतर पहल की है। इस कैंप को लेकर अभी अधिक लोगों को जानकारी नहीं है। जैसे-जैसे इसका पता चलेगा तो कैंप में अधिक से अधिक शिकायतें और समस्याएं लेकर उद्यमी पहुंचेंगे। इनमें से कितने का समाधान होता है और कितने का नहीं इसके आधार पर इस पहल का आकलन किया जाएगा। हरियाणा इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के चेयरमैन किशन कपूर का कहना है कि यह पहल बेहतर तो है, मगर जब यह परवान चढ़ेगी तभी इसका फायदा उद्यमियों को सही ढंग से मिलेगा। उनका कहना है कि बड़ी संख्या में उद्यमियों के बिल्डिग प्लान से लेकर ऑक्यूपेशन, पजेशन और ट्रांसफर जैसे काम अटके हुए हैं। यदि कैंप में अधिक से अधिक समस्याओं का समाधान होने लगे तो इसका बड़ा लाभ उद्योग जगत को मिलेगा। विदेशियों ने भी सीख लिया नमस्ते

कोरोना वायरस संकट ने दुनिया के कई देशों को नमस्ते सिखा दिया है। इसका असर आइटी, मल्टीनेशनल और कॉरपोरेट कंपनियों में भी दिख रहा है। यहां कार्यरत लोगों की लाइफस्टाइल को इस वायरस ने काफी हद तक बदल दिया है। इसका खौफ इतना है कि यहां कार्यरत कर्मचारी अब एक दूसरे से हाथ मिलाना तक भूल गए हैं। कोई गलती से हाथ बढ़ा भी देता है, तो दूसरा हाथ जोड़कर नमस्ते कर लेता है और कहता है कि 'नो शेकहैंड, ओनली नमस्ते।' नमस्ते ने यहां बड़ी मजबूती से अपनी जगह बना ली है। आइसीसीपीएल ग्रुप की सीईओ अंबिका सक्सेना का कहना है वह अपने ऑफिस में हाथ मिलाने की जगह नमस्ते को वरीयता दे रही हैं। एक दूसरे का अभिवादन भी जरूरी है, तो इसके लिए नमस्ते एक बेहतर विकल्प है। आइटी और मल्टीनेशनल कंपनियों में कार्यरत विदेशी कर्मचारियों ने भी नमस्ते को अपनी जीवनशैली में शामिल कर लिया है।

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