रविवार विशेष : गुड़गांव

By Edited By: Publish:Sat, 16 Aug 2014 01:56 PM (IST) Updated:Sat, 16 Aug 2014 01:56 PM (IST)
रविवार विशेष : गुड़गांव

हेडिंग : हरियाली फैला रहीं लाडो

फोटो : 08 जीयूआर 3

क्रासर :-

- अपने हाथों से हजारों पौधे लगा चुकी हैं लाडो कटारिया

- अपने घर के आंगन में चार सौ पौधे लगाकर बना दिया गार्डन

आदित्य राज, गुड़गांव :

यहां पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने की जरूरत नहीं है, माहौल ही काफी है। यह जगह है सेवानिवृत्त शिक्षिका लाडो कटारिया का घर। इन्होंने अपने घर के आंगन में विभिन्न प्रजातियों के चार सौ पौधे लगा रखे हैं। जो भी एक बार इन पौधों को देखता है वह पौधे लगाने के प्रति प्रेरित हुए बिना नहीं रह सकता। इनका मकसद भी यही है। ये लोगों को पर्यावरण के प्रति बोलकर नहीं, अपने काम के जरिये जागरूक कर रही हैं।

सुखराली स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय से सेवानिवृत्त शिक्षिका लाडो कटारिया का बचपन से ही पर्यावरण से विशेष लगाव रहा है। वह अब तक हजारों पौधे लगा चुकी हैं। जिस स्कूल में गई उसे हरियाली से भर दिया। सोहना स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, मोलाहेड़ा स्थित विद्यालय एवं सुखराली स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की हरियाली उनके पर्यावरण के प्रति लगाव का प्रमाण है। हजारों पौधों का वितरण भी कर चुकी हैं। उनके घर के आंगन में कई फलदार पेड़ हैं। यही नहीं, तुलसी के कई पौधे छह-छह फुट के हो चुके हैं। उनका आंगन लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुका है। आंगन में लगाए गए औषधीय पौधे लोगों के काम आ रहे हैं। कटारिया कहती हैं कि गुड़गांव जैसे शहर में जहां हरियाली खत्म होती जा रही है वहां एक-एक पेड़ को बचाने की आवश्यकता है। पहले लोग अपने घर के आंगन में पौधे लगाते थे। अब यह संस्कृति विलुप्त सी हो गई है। वह इस संस्कृति को फिर से जिंदा करना चाहती हैं। एक कहावत है कि उपदेश देने के बजाय उसका पालन खुद किया जाए। इसी कहावत के अनुरूप अपने घर के आंगन को ही हरियाली से भर दिया है। इससे जो भी लोग घर आते हैं उनके अंदर पौधे लगाने के प्रति जागरूकता पैदा होती है।

मानसून के दौरान लगाती हैं पौधे

हाल ही में 'आइना' नाम से प्रकाशित पुस्तक की लेखिका लाडो कटारिया हर साल बरसात के मौसम में न केवल काफी संख्या में पौधे खुद लगाती हैं, बल्कि दूसरों को भी लगाने के लिए प्रेरित करती हैं। इन्हें जहां जगह दिख जाती है वहीं पर पौधे लगाना शुरू कर देती हैं। सुभाष नगर में अपने घर के नजदीक सड़कों के डिवाइडर पर काफी पौधे लगा चुकी हैं। पौधों में प्रतिदिन जाकर पानी डालती हैं। वह कहती हैं कि आज जितना आवश्यक है पौधे लगाना उससे कहीं आवश्यक है लगाए गए पौधों को बचाना। हर साल लाखों पौधे लगाए जाते हैं लेकिन जिंदा बहुत कम ही बचते हैं क्योंकि, उन्हें आवश्यकतानुसार पानी नहीं दिया जाता है।

महिलाओं को विशेष रूप से करती हैं जागरूक :

लाडो कटारिया का मानना है कि जिस घर की महिलाएं पर्यावरण के बारे में जागरूक हो जाएंगी, फिर उस घर के आसपास पर्यावरण को नुकसान कोई नहीं पहुंचा सकता। इसके लिए वह महिलाओं को इस बारे में अधिक जागरूक करती हैं। इसके साथ ही जहां भी बच्चे गंदगी फैलाते दिख गए, उसे वहीं पर टोक देती हैं। कटारिया कहती हैं कि बच्चों में जागरूकता पैदा करना आवश्यक है। यदि बच्चे जागरूक हो गए फिर आनेवाली पीढि़यां अपने आप जागरूक होती रहेंगी। पर्यावरण संरक्षण किसी एक की नहीं, सामूहिक जिम्मेदारी है, इस संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का काम करती रहेंगी।

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