UP Elections 2017: माफिया से नेता बने मुख्तार अंसारी को मिला बसपा का सहारा

बहुजन समाज पार्टी के साथ विलय के बाद मुख्तार अंसारी को मऊ, उनके बेटे अब्बास को घोसी तथा बड़े भाई सिबगतुल्ला को मोहम्मदाबाद से प्रत्याशी घोषित कर दिया।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Fri, 27 Jan 2017 09:10 AM (IST) Updated:Fri, 27 Jan 2017 09:13 AM (IST)
UP Elections 2017: माफिया से नेता बने मुख्तार अंसारी को मिला बसपा का सहारा
UP Elections 2017: माफिया से नेता बने मुख्तार अंसारी को मिला बसपा का सहारा

लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में इस बार तो 'दलित-मुस्लिम' गठजोड़ परवान चढ़ाने में जुटीं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) मुखिया मायावती ने परंपरागत नारे 'चढ़ गुंडों की छाती पर मुहर (बटन) लगेगी हाथी पर' से कल इतर हट गईं। मायावती ने माफिया से राजनीति में दाखिल हुए मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का कल बहुजन समाज पार्टी में विलय करा लिया। इससे पहले कौमी एकता दल का करीब दो महीना पहले समाजवादी पार्टी में विलय हुआ था।

बहुजन समाज पार्टी के साथ विलय के बाद मुख्तार अंसारी को मऊ, उनके बेटे अब्बास को घोसी तथा बड़े भाई सिबगतुल्ला को मोहम्मदाबाद से प्रत्याशी घोषित कर दिया। पत्रकार वार्ता में कौमी एकता दल के बसपा में विलय का एलान करने से पहले मायावती ने अपराधियों पर अपना नजरिया साफ करते हुए कहा कि सरकार बनने पर गुंडों, माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। गंभीर आपराधिक इल्जामों से घिरे सपा, भाजपा और बसपा के पूर्व सांसद समेत कई राजनीतिज्ञों का नाम लेते हुए मायावती ने कहा कि ऐसे लोगों ने उनकी सरकार में घुटने टेक दिए थे। इनके लिएदल में स्थान नहीं है। सरकार बनने पर ऐसे अपराधियों पर कार्रवाई होगी, मगर उस सभी के गुनाहों की सजा परिवार के सदस्यों को नहीं दी जाएगी।

मायावती ने कहा कि अपराध से तौबा करने के वादा कर कई लोग उनके दल में आए और सांसद, विधायक बने, लेकिन अपराध में संलिप्त मिलने पर जेल भेजा गया। दल से निकाल दिया गया। यह नीति जारी रहेगी। मुख्तार की आपराधिक पृष्ठभूमि का बचाव करते हुए कहा कि उनके परिवार के कई सदस्य देश की सेवा करते आ रहे हैैं। सीमा पर बलिदान भी दिया है। मुख्तार के खिलाफ साजिश की गई है। षड्यंत्र के तहत उनके परिवार पर फर्जी मुकदमे दर्ज किए गए थे।

विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड का जिक्र करते हुए कहा कि इस वारदात को 15 साल हो गए। सीबीआइ जांच हुई। पुलिस जांच हुई, मगर अंसारी परिवार के खिलाफ सुबूत नहीं मिले। वे पहले भी बसपा के बैनर तले चुनाव लड़ चुके हैं। इसी कारण मुख्तार अंसारी की पार्टी का बसपा में विलय किया गया है। मायावती ने कहा कि मेरी सरकार ने लोगों की सुरक्षा पर कभी समझौता नहीं किया। उन्होंने कहा कि बसपा जातिगत भावना से काम नहीं करती है।

चुनाव आयोग करे कार्रवाई

मायावती ने कहा भाजपा राम मंदिर का मुद्दा फिर से उठा रही है, जबकि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में केस चल रहा है। भाजपा राम के नाम पर जनता को गुमराह करती आ रही है। कहा कि मेरी पार्टी चुनाव आयोग से मांग करती है कि भाजपा पर कार्रवाई करे। क्योंकि विधानसभा चुनाव को जीतने के लिए वह धर्म का सहारा ले रही है।

चुनाव पश्चिम में, प्रचार सुलतानपुर से

सपा मुखिया अखिलेश यादव के सुलतानपुर से चुनावी रैली का आगाज करने की चुटकी लेते हुए मायावती ने कहा कि चुनाव पश्चिम मेें हो रहे हैैं और वह प्रचार पांचवें चरण वाले क्षेत्र में कर रहे हैैं। यानी हार पहले ही स्वीकर कर ली है। कहा कि सपा सरकार में गुंडों, अपराधियों का आतंक व्याप्त हो गया है।

अखिलेश मुस्लिम विरोधी : अफजाल

कौएद (कौमी एकता दल) का बसपा में विलय करने के बाद अफजाल अंसारी ने समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्यसभा व विधान परिषद चुनाव में नेताजी मुलायम सिंह यादव व शिवपाल यादव ने सपा प्रत्याशियों की मदद मांगी थी, हमने वोट दिया। सितंबर माह ने इन्हीं दोनों नेताओं ने कौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी में विलय करने की पेशकश की और टिकट का वादा दिया। मगर आपसी कलह में प्रस्ताव ठुकरा दिया गया था। सपा ने हमें बहकाने का काम किया। कहा, दोबारा मुलायम सिंह ने ही कौमी एकता दल का विलय कराया फिर टिकट देने से इन्कार कर दिया। अफजाल ने कहा कि मुलायम सिंह ने मुझे से व्यक्तिगत बातचीत में कई बार कहा कि अखिलेश मानसिक रूप से मुस्लिमों के विरुद्ध हैं।

अफजाल ने कहा कि जिस प्रकार हमेंअपमानित किया, सपा को उसका खामियाजा चुनाव में भुगतना पड़ेगा। कहा कि चौकीदार की हैसियत से बसपा के लिए काम करेंगे।

सेवानिवृत जज सभाजीत यादव बसपा में

इलाहाबाद हाईकोर्ट से सेवानिवृत जज न्यायमूर्ति सभाजीत यादव ने भी बसपा की सदस्यता ग्रहण की। नौ वर्ष तक हाईकोर्ट के जज रहे व जौनपुर निवासी सभाजीत यादव ने कहा कि आरक्षण के मुद्दे पर मायावती ने ही पिछड़ो, अति पिछड़ों व दलितों की लड़ाई लड़ी और भाजपा को बैकफुट पर किया। इसी कारण उन्होंने मायावती को जीत दिलाने के लिए सोचा और आज वह साथ हैं। मायावती ने सभाजीत की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने अधिवक्ता रहते हुए और न्यायमूर्ति की भूमिका निभाते हुए हमेशा न्याय का साथ दिया है। अब वह बसपा के साथ रहकर न्याय की लड़ाई लड़ेंगे।

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