लोकसभा चुनावः नोटा के कड़ुवे अनुभव ने राजनीतिक दलों को टेंशन में डाला

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर नोटा यानी नन आफ द अबब (इनमें से कोई नहीं) के बटन ने मौजूदा लोकसभा चुनाव में सियासतदां की पेशानी पर बल डाले हुए हैं। उत्तराखंड भी इससे जुदा नहीं है।

By BhanuEdited By: Publish:Thu, 04 Apr 2019 08:34 AM (IST) Updated:Thu, 04 Apr 2019 08:34 AM (IST)
लोकसभा चुनावः नोटा के कड़ुवे अनुभव ने राजनीतिक दलों को टेंशन में डाला
लोकसभा चुनावः नोटा के कड़ुवे अनुभव ने राजनीतिक दलों को टेंशन में डाला

देहरादून, केदार दत्त। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर नोटा यानी नन आफ द अबब (इनमें से कोई नहीं) के बटन ने मौजूदा लोकसभा चुनाव में सियासतदां की पेशानी पर बल डाले हुए हैं। उत्तराखंड का सूरतेहाल भी इससे जुदा नहीं है।

2014 के लोकसभा चुनाव में यहां की पांचों सीटों पर 48 हजार मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था। अल्मोड़ा सीट पर तब सबसे अधिक 15 हजार से ज्यादा लोगों ने नोटा का प्रयोग किया था। बाकी सीटों पर भी काफी संख्या में मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया था। 

ऐसे में सियासी दलों व प्रत्याशियों की चिंता भी बढ़ गई है और वे नोटा को वोटबैंक में सेंधमारी के तौर पर भी देख रहे हैं। हालांकि, वे इन कोशिशों में जुटे हैं कि मतदाता नोटा नहीं, बल्कि प्रतिनिधि के चुनाव को मताधिकार का प्रयोग करें। 

यह सही है कि पिछले लोकसभा चुनाव में यहां की पांचों सीटों पर नोटा कहीं भी निर्णायक भूमिका में नहीं था, मगर जब नतीजे आए तो इससे सियासतदां की चिंता भी बढ़ी। यदि नोटा को पड़े मत प्रत्याशियों को मिलते तो उनके मतों का अंतर बढ़ता। 

पिछले चुनाव परिणाम बताते हैं कि अल्मोड़ा सीट सबसे अधिक मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाकर गुस्से का इजहार किया और वहां नोटा तीसरा स्थान पर रहा था। इसी प्रकार नैनीताल में चौथे, टिहरी व पौड़ी में पांचवें और हरिद्वार सीट पर नोटा आठवें स्थान पर रहा था। 

कुछ समय पहले हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में नोटा के अधिक प्रयोग को देखते हुए मौजूदा लोकसभा चुनाव में भी नोटा को लेकर  सियासी दलों व प्रत्याशियों की पेशानी पर अभी से बल पडऩे लगे हैं। वे इसे वोटबैंक में सेंधमारी के तौर पर भी देख इसे उनका गणित गड़बड़ाने के लिहाज से भी देख रहे हैं। 

शायद यही वजह है कि सियासतदां की ओर से माहौल बनाने का भी प्रयास किया जा रहा है कि मतदाता नोटा की जगह प्रतिनिधि के चुनाव के लिए वोट का प्रयोग करें। विभिन्न स्थानों पर तमाम कारणों से नाराज चल रहे लोगों को मनाने और उनकी समस्याओं के निदान को कोशिश करने के वायदों को उनके इन्हीं प्रयासों का हिस्सा माना जा रहा है। अब देखने वाली बात ये होगी कि उनकी यह मुहिम कितना रंग जमा पाती है। 

2014 में नोटा की स्थिति 

संसदीय क्षेत्र---------------नोटा को मिले मत 

अल्मोड़ा------------------------15245 

टिहरी---------------------------10762 

नैनीताल------------------------10328 

पौड़ी गढ़वाल-------------------8659 

हरिद्वार------------------------3049 

नोटा पर एक नजर 

देश में नोटा का इस्तेमाल 2013 में विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनावों में हुआ। इसके बाद 2014 के लोस चुनाव में भी नोटा रखा गया और 2015 तक देश के सभी लोकसभा व विधानसभा चुनावों में नोटा पूरी तरह लागू हो गया। इसमें ईवीएम अथवा बैलेट पेपर प्रत्याशियों की सूची के आखिर में नोटा यानी इनमें से कोई नहीं का विकल्प दिया जाता है। 

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