Lok Sabha Election 2019: राजद का परचम लहराने वाली अन्‍नपूर्णा भगवा रंग में रंगीं

Lok Sabha Election 2019. किसी को यकीन नहीं हो रहा कि कैसे लालू की करीबी रहीं अन्नपूर्णा भाजपा में जा सकती हैं! कोडरमा की विपक्षी राजनीति में आई शून्यता।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Tue, 26 Mar 2019 06:55 AM (IST) Updated:Tue, 26 Mar 2019 07:31 AM (IST)
Lok Sabha Election 2019: राजद का परचम लहराने वाली अन्‍नपूर्णा भगवा रंग में रंगीं
Lok Sabha Election 2019: राजद का परचम लहराने वाली अन्‍नपूर्णा भगवा रंग में रंगीं

कोडरमा, [अनूप कुमार]। Lok Sabha Election 2019 - झारखंड की राजनीति में एक बड़े बदलाव के साथ राजद की अन्नपूर्णा देवी तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए सोमवार को नई दिल्ली में भाजपा में शामिल हो गईं। इसके साथ ही कोडरमा और चतरा में पक्ष व विपक्ष दोनों की राजनीति के समीकरण तेजी से बदलने लगे हैं। भाजपा और अन्य दलों के खिलाफ झंडा बुलंद कर लगातार राजद का परचम लहराने वाली अन्नपूर्णा देवी प्रदेश की राजनीति में गहरी दखल रखती हैं। लालू की करीबी होने के कारण लोग सहसा यह भरोसा नहीं कर पा रहे थे कि वह राजद को छोड़ देंगी।

अन्नपूर्णा देवी ही नहीं उनके पति स्वर्गीय रमेश प्रसाद यादव की छवि भी सामाजिक न्याय के संघर्ष के पुरोधा के रूप में रही है। कर्पूरी ठाकुर, जयप्रकाश नारायण व लोहिया के विचारों का जिले में वाहक के रूप में पहचान रखने वाले इस परिवार की अन्नपूर्णा देवी अब भगवा रंग में रंग चुकी है। इस बदलाव से आनेवाले दिनों में यहां की राजनीति में एक बड़ी हलचल देखने को मिलेगी। वहीं अन्नपूर्णा के भाजपा में शामिल होने से जिले की विपक्षी राजनीति में आयी एक बड़ी शून्यता को भरने की दौड़ भी शुरू होगी।

यूं तो आज की राजनीति में नेताओं का एक-दूसरे दल में आना-जाना लगा रहता है लेकिन लंबे समय तक भाजपा के खिलाफ झंडा बुलंद रखने वाली अन्नपूर्णा के भाजपा में जाने को क्षेत्र के कुछ लोग अचरज सरीखा भी मानते हैं। कोडरमा और चतरा की बदलती राजनीतिक परिस्थितियों के बीच भाजपा में शामिल होने वाले कई नाम ऐसे हैं जो कल तक भाजपा को सांप्रदायिक पार्टी कहकर उसका प्रबल विरोध करते थे। अब धुर विरोधी जहां एक कुनबे में हैं वहीं विपक्षी खेमे की राजनीति भी बदली-बदली सी है।

पति की मौत के बाद आईं थी राजनीति में
अन्नपूर्णा देवी ने वर्ष 1998 में अपने पति एकीकृत बिहार के मंत्री रहे रमेश प्रसाद यादव की मौत के बाद राजनीति में प्रवेश किया था। 1998 में वह भाजपा प्रत्याशी रमेश सिंह को हराकर पहली बार विधायक बनीं थी। इसके बाद वर्ष 2000 में विधानसभा का आम चुनाव, 2005 व 2009 का विधानसभा चुनाव भाजपा व अन्य दलों के उम्मीदवारों को हराकर जीतीं थीं। उन्हें राजनीति में पहला झटका 2014 में लगा, जब उन्हें भाजपा प्रत्याशी डा. नीरा यादव से विधानसभा चुनाव में शिकस्त मिली। माना जाता है कि अन्नपूर्णा देवी को हराने के कारण ही पहली बार चुनाव जीतीं नीरा यादव को सूबे में शिक्षा विभाग जैसा बड़ा मंत्रालय मिला।

राजद कार्यकर्ता पसोपेश में
माना जा रहा है कि चतरा से उम्मीदवारी के मामले को लेकर राजद हाईकमान से अन्नपूर्णा कुछ नाराज चल रही थीं। बहरहाल, अन्नपूर्णा देवी के इस निर्णय से जिले के राजद कार्यकर्ता भी पसोपेश में है। फिलहाल तो इतना ही कहा जा सकता है कि सियायत में सबकुछ मुमकिन है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थकों के शब्दों में कहें तो .. मोदी है तो मुमकिन है...। 

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