नहीं छूटा सिंधिया का मोह, UP के साथ मप्र की राजनीति में भी सक्रिय

UP के प्रभारी महासचिव बनाए जाने के बाद भी सिंधिया का मप्र से मोह नहीं छूटा है। मप्र कांग्रेस की राजनीति में कमलनाथ दिग्विजय सिंह और सांसद सिंधिया के समर्थकों की बड़ी संख्या है।

By Nitin AroraEdited By: Publish:Wed, 20 Mar 2019 09:22 AM (IST) Updated:Wed, 20 Mar 2019 09:22 AM (IST)
नहीं छूटा सिंधिया का मोह, UP के साथ मप्र की राजनीति में भी सक्रिय
नहीं छूटा सिंधिया का मोह, UP के साथ मप्र की राजनीति में भी सक्रिय

रवींद्र कैलासिया (नईदुनिया भोपाल)। ज्योतिरादित्य सिंधिया को पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रभारी महासचिव बनाए जाने के कांग्रेस के फैसले के पीछे यह कहा गया कि इससे पार्टी हाईकमान ने एक तीर से दो शिकार किए। पहला उन्हें लोकसभा चुनाव तक मप्र से दूर कर दिया और दूसरा ग्वालियर राजघराने के प्रभाव वाले मप्र से सटे उप्र के क्षेत्रों में उनका इस्तेमाल किया। मगर सिंधिया का मप्र से मोह नहीं छूटा है। सिंधिया परिवार के लिए मुखिया को उप्र भेजा जाना सकारात्मक साबित हुआ और प्रियदर्शनी राजे सिंधिया खुलकर पति के लोकसभा क्षेत्र में सक्रिय हो गईं। वहीं, सिंधिया ने हाल ही में अपने संसदीय क्षेत्र के दौरे पर आने के बाद मप्र के विकास की चिंता दिखाकर अपने विरोधियों को संकेत दिए कि वे कहीं भी रहें, लेकिन मप्र उनके लिए अहम है।

मप्र कांग्रेस की राजनीति में कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और सांसद सिंधिया के समर्थकों की बड़ी संख्या है। इनके अलावा विधानसभा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के विंध्य क्षेत्र तो प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव समर्थक भी निमाड़ के अलावा अन्य क्षेत्र में मिल जाते हैं। हालांकि अजय सिंह और अरुण यादव खुद कहीं न कहीं कमलनाथ-दिग्विजय सिंह से भी जुड़े हैं।

इस गुटबाजी की झलक विधानसभा चुनाव के पहले मुख्यमंत्री के चेहरे, टिकट वितरण और चुनाव परिणाम के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी से लेकर मंत्रिमंडल में संतुलन बनाए जाने तक दिखाई दी थी। लेकिन सिंधिया का प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में दबदबा आज भी दिखाई दे रहा है। कार्यालय में आज भी सिंधिया के दो कक्ष हैं। उनकी मप्र की राजनीति में दखलंदाजी भी कायम है। ग्वालियर-चंबल संभाग में उनके हिसाब से ही प्रशासनिक जमावट होती है।

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