UPSC Result 2019: SDM ने पूरा किया दिवंगत पिता का सपना, पढ़ें- नवनीत के सफलता की स्टोरी

नवनीत बताते हैं अगले प्रयास में काम के साथ पढ़ाई थोड़ा चुनौतीपूर्ण था लेकिन सह-कर्मचारियों का काफी सहयोग मिला। जिसके चलते मैं पढ़ाई को अधिक से अधिक समय दे पाया।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Tue, 04 Aug 2020 04:28 PM (IST) Updated:Tue, 04 Aug 2020 04:28 PM (IST)
UPSC Result 2019: SDM ने पूरा किया दिवंगत पिता का सपना, पढ़ें- नवनीत के सफलता की स्टोरी
UPSC Result 2019: SDM ने पूरा किया दिवंगत पिता का सपना, पढ़ें- नवनीत के सफलता की स्टोरी

 नई दिल्ली, मनीषा गर्ग। वर्ष 2018 में अपने पहले प्रयास में 319 और वर्ष 2019 में 69 रैंक के साथ पालम में राज नगर निवासी नवनीत मित्तल ने अपने पिता के सपने को पूरा किया है। आईआईटी जोधपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले नवनीत का मानना हैं कि जीवन में कुछ भी नामुकिन नहीं है। लगातार अभ्यास से हम कुछ भी हासिल कर सकते है। नवनीत बताते हैं कि 2017 में पिता की मृत्यु उनके जीवन का एक मुश्किल दौर था। उस समय वे यूपीएससी परीक्षा की तैयारियों में जुटे हुए थे। पर कठिन परिस्थिति में खुद को संभालते हुए नवनीत ने राजनीतिक विज्ञान वैकल्पिक विषय के साथ पढ़ाई की और सफलता हासिल की।

नवनीत को पहले प्रयास में 319 रैंक प्राप्त हुई थी। पर इतनी अच्छी रैंक प्राप्त करने के बाद भी उन्हें डानिक्स कैडर प्राप्त हुआ और वे बतौर एसडीएम गृह मंत्रालय में नियुक्त किए गए। पर उनके पिता का सपना था कि वे अपने बेटे को बतौर आईएएस अधिकारी देखे। पिता के सपने का मान रखते हुए नवनीत ने दोबारा तैयारी शुरू की और परीक्षा में न सिर्फ उत्तीर्ण हुए बल्कि अच्छी रैंक भी हासिल की।

नवनीत ने बताया कैसे मिली सफलता

नवनीत बताते हैं अगले प्रयास में काम के साथ पढ़ाई थोड़ा चुनौतीपूर्ण था, लेकिन सह-कर्मचारियों का काफी सहयोग मिला। जिसके चलते मैं पढ़ाई को अधिक से अधिक समय दे पाया। मेरी कोशिश रही कि मैं करंट अफेयर्स को लेकर अपडेट रहो। इसके लिए मैंने अखबार की मदद ली। इसके अलावा बाजार में कई मैग्जीन भी उपलब्ध है। साथ ही मैंने नया स्त्रोत को अपनाने के बजाय मैंने पुराने स्त्रोत को ही बार-बार पढ़ा, ताकि रिवीजन हो। जो पहली बार परीक्षा की तैयारी कर रहे है, उनके मन में सवाल रहता है कि कितने घंटे पढ़ा जाए। पर ये परिस्थिति व हमारे ऊपर निर्भर करता है। पर शर्ते हम पढ़ाई को जितना भी समय दे रहे है वह क्वालिटी युक्त हो। मैं अमूमन रोजाना छह से सात घंटा पढ़ता था।

कोचिंग से मिला फायदा

हालांकि परीक्षा जब नजदीक थी, उस समय मैंने पढ़ाई को दस-दस घंटे दिए। जहां तक कोचिंग की बात है, मैंने कोचिंग की है और इसका मुझे काफी फायदा हुआ। सबसे बड़ा यह हुआ कि यूपीएससी को लेकर मेरे दिमाग में कई तरह के सवाल व उलझने थी, जिन्हें मैं दूर कर पाया। 2017 मैं मैंने नौकरी छोड़ दी थी और इसके बाद पढ़ाई की तैयारी करना शुरू किया। हालांकि नौकरी के साथ भी पढ़ाई संभव है, पर मुझे पिता का काफी सहयोग मिला था। इसलिए मैंने नौकरी छोड़ दी थी।

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