National Herald Case की कार्रवाही में देरी कर रहे हैं सुब्रमण्यम स्वामी

कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को राज्य सभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी पर नेशनल हेराल्ड मामले में कार्यवाही में देरी करने का आरोप लगाया। सोनिया व राहुल गांधी ने स्वामी द्वारा दायर किए गए आवेदन का विरोध करते हुए यह बयान प्रस्तुत किया।

By Vinay TiwariEdited By: Publish:Wed, 23 Dec 2020 06:46 PM (IST) Updated:Wed, 23 Dec 2020 06:46 PM (IST)
National Herald Case की कार्रवाही में देरी कर रहे हैं सुब्रमण्यम स्वामी
कांग्रेस अंतरिम अंध्यक्ष सोनिया गांधी व पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने निचली अदालत में लगाया आरोप।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को राज्य सभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी पर नेशनल हेराल्ड मामले में कार्यवाही में देरी करने का आरोप लगाया। सोनिया व राहुल गांधी ने स्वामी द्वारा दायर किए गए आवेदन का विरोध करते हुए यह बयान प्रस्तुत किया। स्वामी ने आवेदन दाखिल कर विभिन्न दस्तावेजों और गवाहों को पेश करने की मांग की है। आवेदन को खारिज करने की मांग करते हुए सोनिया व राहुल की तरफ से दलील दी गई कि इसे संबंधित प्रावधानों के तहत दायर नहीं किया गया था।

सोनिया व राहुल की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता ने कहा कि वर्तमान आवेदन पूरी तरह से अस्पष्ट है और इसे खारिज किया जाना चाहिए। उन्होंने राउज एवेंयू कोर्ट के एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सचिन गुप्ता को बताया कि प्रासंगिक प्रावधान के अनुरुप आवेदन नहीं होने के कारण इसे खारिज किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ता ने गवाहों की कोई भी सूची प्रस्तुत नहीं की है। उन्होंने कहा कि यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि आवेदन को कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया को पूरा करना है।

उन्होंने यह भी कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि शिकायतकर्ता कानून के अनुसार दस्तावेजों को तलब करना चाहते हैं या फिर गवाहों को अपने मामले को साबित करने के लिए मांगना चाहते हैं। मामले में अगली सुनवाई 12 जनवरी को सुनवाई होगी। स्वामी ने एक निजी आपराधिक शिकायत में सोनिया गांधी और अन्य लोगों पर धन की हेराफेरी करने का आरोप लगाया है।

आरोप है कि यंग इंडियन (वाईआई) प्राइवेट लिमिटेड ने एसोसिएटेड पत्रिकाओं के 90.25 करोड़ रुपये की वसूली का अधिकार प्राप्त किया, जबकि इस अधिकार को पाने के लिए सिर्फ 50 लाख रुपये का भुगतान किया गया था। यंग इंडियन कंपनी गांधी परिवार की होने की बात कही गई है। हालांकि, कंपनी ने अदालत में सभी आरोप खारिज किए हैं।  

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