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Delhi Excise Policy Case: मनीष सिसोदिया को कोर्ट से फिर लगा झटका, दूसरी बार नियमित जमानत याचिका हुई खारिज

दिल्ली राउज एवेन्यू कोर्ट से आप नेता मनीष सिसोदिया को नई आबकारी नीति घोटाला मामले में फिर से झटका लगा है। कोर्ट ने सिसोदिया की दूसरी नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी। उनकी जमानत का सीबीआई और ईडी दोनों ने विरोध किया था। उन्होंने मुकदमे में देरी के आधार पर जमानत मांगी थी। उनकी पिछली जमानत अर्जी भी पिछले साल कोर्ट ने खारिज कर दी थी।

By Jagran News Edited By: Geetarjun Published: Tue, 30 Apr 2024 04:22 PM (IST)Updated: Tue, 30 Apr 2024 05:34 PM (IST)
मनीष सिसोदिया को कोर्ट से फिर लगा झटका, दूसरी बार नियमित जमानत याचिका हुई खारिज

रीतिका मिश्रा, नई दिल्ली। दिल्ली राउज एवेन्यू कोर्ट से आप नेता मनीष सिसोदिया को नई आबकारी नीति घोटाला मामले में फिर से झटका लगा है। कोर्ट ने सिसोदिया की दूसरी नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी। उनकी जमानत का सीबीआई और ईडी दोनों ने विरोध किया था। उन्होंने मुकदमे में देरी के आधार पर जमानत मांगी थी। उनकी पिछली जमानत अर्जी भी पिछले साल कोर्ट ने खारिज कर दी थी। वह फरवरी 2023 से हिरासत में हैं।

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ईडी की दलील-

आबकारी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपित पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका का ईडी ने विरोध करते हुए कहा था कि सिसोदिया इस आधार पर जमानत की मांग नहीं कर सकते कि मुकदमें की सुनवाई में देरी हो रही है। अधिवक्ता ने कहा कि मुकदमे में अगर किसी भी तरह की देरी हुई है, तो यह अभियुक्त की ओर से है, न कि अभियोजन पक्ष के कारण। ईडी ने दलील दी थी कि सिसोदिया जमानत की शर्तों को पूरा नहीं करते हैं।

ईडी ने कहा था कि मामले में आवेदक गंभीरता से विचार न करने वाला आवेदन दायर कर मुकदमे में देरी करने के लिए प्रयास कर रहे हैं। मामले में आए दिन नए नाम सामने आ रहे हैं और गिरफ्तारियां की जा रही है। बीते कुछ हफ्तों में इस मामले से जुड़े 31 आरोपियों द्वारा कुल 95 आवेदन दायर किए गए थे। कई आवेदन एक जैसे हैं। अकेले सिसोदिया ने छह आवेदन दायर किए हैं।

अधिवक्ता ने कहा कि इस तरह के हल्के आवेदन समय बर्बाद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ईडी ने कहा कि हर चरण में हमारी ओर से सहयोग किया जा रहा है। आरोपितों की ओर से दायर तुच्छ आवेदनों के जवाब देने के साथ-साथ मामले की जांच करने व दस्तावेज का निरीक्षण करने में ईडी के ऊपर अतिरिक्त भार पड़ता है। दस्तावेज की जांच में इससे देरी हो रही है।

यह दिखाने के लिए मनगढ़ंत ई-मेल भेजे गए कि आबकारी नीति को सार्वजनिक मंजूरी मिल गई है। यह एक दिखावटी मंजूरी थी। रिश्वत के बदले शराब विक्रेताओं को लाभ देने के लिए अवैध पारिस्थितिकी तंत्र बनाया गया था। ईडी ने कहा कि सिसोदिया ने ई-मेल प्लांट कराए थे। ई-मेल न केवल आबकारी विभाग के आधिकारिक ई-मेल खाते में बल्कि उनके व्यक्तिगत ई-मेल खाते में भी प्राप्त हुए हैं।

ई-मेल में जो बातें लिखी हैं वो सिसोदिया की ओर से दी गई थी और ये बातें उनके एजेंडे के अनुकूल थी। ईडी ने अदालत को बताया कि इन पूर्व तैयार ई-मेल को भेजने के निर्देश दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जाकिर खान को दिए गए थे। जिन्होंने अपने प्रशिक्षुओं को ये ई-मेल भेजने के लिए कहा था। इससे संबंधित वाट्सएप चैट और ईमेल है। ईडी ने कहा कि अदालत को यह तय करने की जरूरत है कि क्या कार्यवाही देरी से चल रही है।

सीबीआई की दलील-

सीबीआई ने सिसोदिया की नियमित जमानत पर ट्रिपल टेस्ट का हवाला देते हुए दलील दी थी कि सिसोदिया जमानत देने की शर्तों को पूरा नहीं करते हैं। वो बराबरी के हकदार नहीं है। इस मामले में मुख्य आरोपित है। आरोपों से पता चलता है कि प्रथम दृष्टया मामला सुबूतों को नष्ट करने के साथ-साथ सत्ता के दुरुपयोग का भी बनता है, जिससे जांच में बाधा आ सकती है। जांच अभी शुरुआती चरण में है। इनके अधिकतर लोग आर्थिक अपराधों का सामना कर रहे हैं।

सिसोदिया जमानत मिलने से आगे की जांच और गवाहों को प्रभावित कर सकते है। इस समय पर अगर जमानत दी तो निश्चित रूप से इनका मकसद हल हो जाएगा। सीबीआई ने दलील दी कि पहले भी जमानत खारिज हुई है। यहां से लेकर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक ने राहत नहीं दी। जमानत मिलने पर वो गवाहों को प्रभावित करेंगे क्योंकि इस कोर्ट ने भी माना है कि वो मास्टरमाइंड है।

सिसोदिया की दलील-

सिसोदिया ने मुकदमे में देरी का आधार बताते हुए जमानत की मांग करते हुए दलील दी थी कि मामले में कार्यवाही कछुआ गति से चल रही है। जबकि सुप्रीम कोर्ट जमानत याचिका पर अपने फैसले में जल्द ट्रायल करने को कह चुका है।

की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मोहित माथुर ने कहा था कि तथाकथित घोटाले से सरकारी खजाने और किसी भी निजी व्यक्ति को कोई नुकसान नहीं हुआ है। यह दिखाने के लिए रिपोर्टें हैं कि सरकारी राजस्व में वृद्धि हुई है। जमानत देने के लिए ट्रिपल टेस्ट पर माथुर ने दलील दी थी कि सिसोदिया सभी शर्तों को पूरा करते हैं। उन्होंने कहा कि यह दिखाने के लिए रिकार्ड पर कुछ भी नहीं है कि उनका मुवक्किल किसी गवाह को प्रभावित कर सकता हैं चूंकि वह अब उपमुख्यमंत्री भी नहीं है।

दोनों मामलों में उनकी जमानत याचिका ट्रायल कोर्ट, दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी समीक्षा और सुधारात्मक याचिकाएं भी खारिज कर दी थी। उन्होंने बीत माह ट्रायल कोर्ट के समक्ष नई जमानत याचिका दायर की है। सिसोदिया फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं और अभी वह जेल में ही बंद रहेंगे।

दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े ईडी और सीबीआई दोनों मामले में सिसोदिया ने जमानत याचिका लगाई थी। नियमित जमानत याचिका के अलावा सिसोदिया ने 12 अप्रैल को लोकसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत याचिका भी राउज एवेन्यू कोर्ट में दाखिल की थी। सिसोदिया की अंतरिम जमानत याचिका पर सीबीआई और ईडी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था। हालांकि, नियमित याचिका पर आदेश सुरक्षित होने के बाद अंतरिम जमानत याचिका वापस ले ली गई थी।

सीबीआई के साथ-साथ ईडी ने भी आरोप लगाया है कि दिल्ली आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गई, लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिया गया, लाइसेंस शुल्क माफ या कम किया गया और सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना लाइसेंस बढ़ाया गया। जांच एजेंसियों ने आरोप लगाया कि लाभार्थियों ने कथित तौर पर अवैध लाभ को आरोपित अधिकारियों तक पहुंचाया और जांच से बचने के लिए अपने खाते की किताबों में गलत प्रविष्टियां की।

सिसोदिया को घोटाले में उनकी भूमिका के लिए 26 फरवरी, 2023 को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। फिर ईडी ने नौ मार्च, 2023 को सीबीआई की प्राथमिकी से जुड़े मनी-लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था।

8 मई तक हिरासत में सिसोदिया

26 अप्रैल को कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच की जा रही मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आप नेता मनीष सिसोदिया, विजय नायर और अन्य आरोपियों की न्यायिक हिरासत 8 मई, 2024 तक बढ़ा दी। ईडी ने कोर्ट से जवाब दाखिल का समय मांगा, जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया।

इससे पहले 25 अप्रैल को सीबीआई केस में मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत अदालत ने सात मई तक बढ़ा दी। सिसोदिया की भ्रष्टाचार मामले में न्यायिक हिरासत की अवधि 24 अप्रैल को समाप्त हो रही थी। सीबीआई ने अदालत से सिसोदिया की न्यायिक हिरासत बढ़ाने का अनुरोध किया था। वहीं, सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों में हुई तीखी बहस के बाद अदालत ने सिसोदिया के अधिवक्ताओं को फटकार लगाई।


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