Mental Illnesses: अब मानसिक बीमारियों का इलाज होगा आसान
Mental Illnesses राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वे के मुताबिक देश में 18 साल से अधिक उम्र वाले 10.6 फीसद लोग किसी न किसी तरह की मानसिक बीमारी से गुजर रहे हैं। शहरी क्षेत्रों में मानसिक बीमारियों का प्रभाव ज्यादा है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Mental Illnesses: आगामी विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के मद्देनजर मेंटल हेल्थ फाउंडेशन (इंडिया) ने एम्स के मनोचिकित्सा विभाग के साथ मिलकर आठ दिवसीय ऑनलाइन सम्मेलन शुरू किया है। इस दौरान फाउंडेशन ने माइंड हेल्थकेयर ऑनलाइन प्रोग्राम एंड एजुकेशन (मिहोप) पोर्टल जारी किया। इस पोर्टल के जरिये देश के किसी भी हिस्से के लोग घर बैठे ऑनलाइन मानसिक बीमारियों का इलाज करा सकेंगे। 11 अक्टूबर को यह पोर्टल कार्यरत हो जाएगा। इसका मकसद मानसिक बीमारियों से पीड़ित हर व्यक्ति को आसानी से चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराना है, क्योंकि मानसिक बीमारियों से पीड़ित ज्यादातर लोग इलाज नहीं करा पाते। इसका एक बड़ा कारण मनोचिकित्सकों की कमी भी है।
सम्मेलन के पहले दिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने भी वीडियो संदेश भेजकर कहा कि 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस हर साल मनाया जाता है। इसका मकसद मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करना है।
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वे के मुताबिक देश में 18 साल से अधिक उम्र वाले 10.6 फीसद लोग किसी न किसी तरह की मानसिक बीमारी से गुजर रहे हैं। शहरी क्षेत्रों में मानसिक बीमारियों का प्रभाव ज्यादा है। वहीं महिलाओं की तुलना में पुरुष मानसिक बीमारी से अधिक पीड़ित हैं। इस तरह करीब 15 करोड़ लोगों को मानसिक बीमारियों के इलाज की जरूरत है। लेकिन, इनमें से ज्यादातर लोगों को इलाज नहीं मिल पाता। एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने भी इलाज की सुलभता को बढ़ाने की बात कही।
आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. नंद कुमार ने कहा कि मानसिक बीमारियों को लेकर एक तो लोगों में गलत धारणा है। इसलिए वे जल्द इलाज के लिए नहीं पहुंचते। दूसरी बात यह कि राष्ट्रीय मेंटल हेल्थ सर्वे के अनुसार देश में मानसिक रोगों के एक लाख मरीजों पर भी औसतन एक डॉक्टर भी मौजूद नहीं है। करीब दो लाख मरीजों पर एक डॉक्टर मौजूद हैं, जबकि कोरोना के कारण मानसिक बीमारियां बढ़ गई हैं। लोगों में अवसाद जैसी परेशानियां देखी जा रही हैं।
समस्या यह है कि मौजूदा परिस्थिति में डॉक्टर भी मरीज को ओपीडी या क्लीनिक में देखने से बच रहे हैं। इसलिए यह पोर्टल जारी किया है। इसके जरिये ऑडियो व वीडियो कंसल्टेशन की भी सुविधा होगी। मरीज को डॉक्टर दवा भी लिख सकेंगे। मरीज की ऑनलाइन काउंसलिंग व जीवनशैली में बदलाव करने के तरीके भी बताए जाएंगे। इस सुविधा को बरकरार रखने के लिए मरीजों से बहुत ही मामूली शुल्क लिया जाएगा। इस पोर्टल से कोई भी मनोचिकित्सक व मनोवैज्ञानिक जुड़ सकते हैं। मरीज इस पोर्टल से ऑनलाइन समय लेकर इलाज की सुविधा पा सकेंगे।
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