तीन तलाक के मुद्दे पर केंद्र सरकार के साथ मुस्लिम महिलाएं, PM को कहा 'शुक्रिया'

मुस्लिम महिलाओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रिया अदा किया और बराबरी के हक के साथ शिक्षा और आर्थिक आत्मनिर्भरता पर जोर दिया। सम्मेलन पूरी तरह से राष्ट्रवाद के रंग में रंगा नजर आया।

By Amit MishraEdited By: Publish:Sun, 19 Mar 2017 11:50 AM (IST) Updated:Tue, 21 Mar 2017 07:28 PM (IST)
तीन तलाक के मुद्दे पर केंद्र सरकार के साथ मुस्लिम महिलाएं, PM को कहा 'शुक्रिया'
तीन तलाक के मुद्दे पर केंद्र सरकार के साथ मुस्लिम महिलाएं, PM को कहा 'शुक्रिया'

नई दिल्ली [जेएनएन]। तीन तलाक के मुद्दे पर आम मुस्लिम महिलाओं का अब केंद्र सरकार को खुल कर साथ मिलने लगा है। शनिवार को कांस्टीट्यूशन क्लब में मुस्लिम वेलफेयर मंच द्वारा आयोजित मुस्लिम महिला सम्मेलन मे पहली बार सैकड़ों की संख्या में मुस्लिम महिलाएं पर्दे से बाहर निकलीं और तीन तलाक के खिलाफ आवाज बुलंद की।

मुस्लिम महिलाओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रिया अदा किया और बराबरी के हक के साथ शिक्षा और आर्थिक आत्मनिर्भरता पर जोर दिया। सम्मेलन पूरी तरह से राष्ट्रवाद के रंग में रंगा नजर आया। भारत माता की जय के नारे गूंजे और वंदे मातरम का गान हुआ।

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच महिला विंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष शहनाज हुसैन ने कहा कि उत्तर प्रदेश में जिस तरह से मुस्लिम बहनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को समर्थन दिया है उससे देश की अन्य मुस्लिम बहनों का हौसला बढ़ा है।

उन्होंने कहा कि हमारे समाज की महिलाएं तीन तलाक को लेकर डरी-सहमी रहती हैं पता नहीं कब शौहर तलाक-तलाक कह उन्हें अपनी जिंदगी से निकाल फेंके। अब केंद्र में एक ऐसी सरकार है जिसने मुस्लिम महिलाओं की दयनीय स्थिति पर ध्यान दिया है। इससे उनका हौसला बढ़ा है।

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सम्मेलन में सुप्रीम कोर्ट की एडिशनल सॉलिसीटर जरनल पिंकी आनंद से महिलाओं ने विशेष तौर पर कानून पर जानकारी ली।

पिंकी आनंद ने बताया कि भारत के सविधान में पुरुष और महिलाओं को बराबरी का दर्जा हासिल है, लेकिन मुस्लिम महिलाओं को इस दर्जे से वंचित रखा गया है।

उन्होंने तीन तलाक पर कई सेमिनारों में हिस्सा लिया है और यह महसूस किया है कि कोई भी तीन तलाक का समर्थन नहीं करता।

मुस्लिम वेलफेयर मंच के संयोजक यासिर जिलानी ने कहा कि मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक के हक में नहीं हैं और इस मुद्दे पर वह प्रधानमंत्री के साथ हैं। वह हर स्थिति में उनके साथ खड़ी हैं। यह बदलते भारत की नई तस्वीर है।

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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की प्राध्यापिका दरक्षा ने कहा कि मुस्लिम समाज की सबसे बड़ी कमी शिक्षा के प्रति जागरूक न होना है। मुस्लिम बहनों को समझ लेना चाहिए कि खुद भी पढ़ें और अपनी बच्चियों को भी अच्छी से अच्छी तालीम दें।

इस्लामिक स्कॉलर और समाजसेवी साइमा निजामी ने कहा कि अब हमे अपना मुकाम खुद बनाना है। हमें केवल कुर्सी के लिए नहीं, बल्कि समाज की बेहतरी के लिए जिम्मेदारी के साथ काम करना है।

दिल्ली की युवा सामाजिक कार्यकर्ता सना खान ने कहा कि मुस्लिम समाज में बचपन से ही लड़कियों को त्याग करना सिखाया जाता है। भाई की पढ़ाई के लिए बहन से पढ़ाई छुड़वा ली जाती है और छोटी उम्र में ही शादी कर देते है। सना ने अपील की कि सभी बहनें अपनी ताकत को पहचानें और आगे बढ़ें। 

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