ASI ने बदला था सफदरजंग के मकबरे के मेन गेट का रंग, अब विवाद पर हटवा रहा; जानिए क्या है इसका इतिहास?
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने सफदरजंग के मकबरे के मेन गेट का रंग बदला था। अब विवाद के बाद इसे हटाया जा रहा है। इससे सफदरजंग के मकबरे की ओरिजनलिटी प्रभावित हो रही थी। एएसआइ ने कहा कि मुख्य द्वार पर जो कार्य किया गया था उसे हटाने का फैसला लिया गया है। मकबरे में आजादी के बाद सबसे बड़े स्तर पर संरक्षण कार्य किया जा रहा है।
वीके शुक्ला, जागरण संवाददाता। सफदरजंग के मकबरे के दो मंजिला मुख्य द्वार को कुछ दिन पहले सुंदर बनाया गया। इस गेट में बनी आर्च के अंदर सुनहरा रंग किया गया, दिन के समय यह भाग अच्छा तो लगता ही था, शाम के समय रोशनी पर और भव्य दिखने लगता था, लेकिन विवाद होने पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने प्लास्टर के साथ पेंट किए गए कार्य को हटाने के निर्देश दिए हैं। अब प्लास्टर और रंग को हटाकर इसे असली ढांचे में लाया जा रहा है।
एएसआइ के दिल्ली मंडल के अधीक्षण पुरातत्वविद प्रवीण सिंह ने कहा कि मुख्य द्वार पर जो कार्य किया गया था, उससे स्मारक के गेट की ओरिजनलिटी प्रभावित हो रही थी, इसलिए उसे हटाने का फैसला लिया गया है। मकबरे में आजादी के बाद सबसे बड़े स्तर पर संरक्षण कार्य किया जा रहा है।
कुछ समय पहले संरक्षण कार्य के साथ किया गया था रंग
स्मारक में रोशनी की व्यवस्था की गई और इसे लाल किला और कुतुबमीनार की तर्ज पर शाम के समय दो घंटे के लिए जनता के लिए खोला गया है। चार साल से यहां चल रहे संरक्षण कार्य से मुख्य रूप से स्मारक के मुख्य गुंबद के संगमरमर के पत्थर बदले गए हैं, जो खराब हो गए थे।
ये काम कुछ माह पहले पूरा हुआ है। मुख्य भाग में खराब हो चुके नक्काशी के काम को ठीक किया गया है। इसके लिए कुछ स्थानों पर बारीक काम वाली जालियां बदली गई हैं। स्मारक के लगभग हर भाग में संरक्षण का काम हुआ है।
सामने के भाग में ऐतिहासिक फव्वारा फिर से शुरू किया गया है। इसके बाद स्मारक के दो मंजिला मुख्य द्वार में दो माह से काम चल रहा है। इस भाग में भी टूटफूट ठीक की गई है। खराब को चुके प्लास्टर को फिर से किया गया है। इसके बाद रंग भी किया गया।
एएसआइ के वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि मुख्य द्वार पर जो रंग हो गया था, वह स्मारक के दस्तावेज में दिए गए फोटो से मैच नही कर रहा था। इस कार्य में सुनहरा रंग अधिक हो गया था। कुछ पुरातत्व प्रेमियों ने भी आपत्ति जताई थी। स्मारक में अतिरिक्त रंग हटाने का फैसला लिया गया है, यह काम जारी है। काम पूरा होने के बाद मुख्य द्वार के अंदर के भागों में संरक्षण कार्य होगा।
यह है इतिहास
इस मकबरे के नाम को लेकर यह भ्रम हो जाता है कि सफरदजंग कोई बादशाह रहा होगा, क्योंकि देश भर में अधिकतर मकबरे बादशाहों से संबंधित ही हैं। दरअसल, वह बादशाह नहीं, उसका प्रधानमंत्री था। वह मुगल बादशाह मुहम्मद शाह का प्रधानमंत्री था।
सफदरजंग का जन्म 1708 में ईरान के निशापुर में हुआ था। उसकी मृत्यु 1754 में सुल्तानपुर (उप्र) में हुई। उसका पूरा नाम अब्दुल मंसूर मुकीम अली खान मिर्जा मुहम्मद सफदरजंग था। वह सूबेदार रहा। बाद में वह मुगलिया सल्तनत के अधीन पूरे देश का प्रधानमंत्री बना। यह मकबरा उसके बेटे अवध के नवाब शुजाउद्दौला खां ने 1754 में बनवाया था।