One year of Arvind Kejriwal Govt: विकास से ज्यादा जरूरी था लोगों की जान बचाना: गोपाल राय

गोपाल राय के अनुसार उस समय बड़ी चुनौती सरकार के सामने यह थी कि जो गरीब हैं या जिनकी रोजी-रोटी छूट गई है उन्हें कैसे बचाया जाए। आनन-फानन में मुख्यमंत्री अर¨वद केजरीवाल ने लोगों को बचाने के लिए वे सभी फैसले लिए जिससे गरीबों की जिंदगी बचाई जा सकती थी।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Wed, 17 Feb 2021 02:52 PM (IST) Updated:Wed, 17 Feb 2021 02:52 PM (IST)
One year of Arvind Kejriwal Govt: विकास से ज्यादा जरूरी था लोगों की जान बचाना: गोपाल राय
आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयोजक गोपाल राय

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। कैबिनेट मंत्री व आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयोजक गोपाल राय ने कहा कि यह साल दिल्ली की जनता के साथ साथ हमारी सरकार के लिए भी चुनौतियों से भरा रहा है। एक साल पहले दिल्ली की सत्ता में जब फिर से हमारी पार्टी लौटी तो उसके तुरंत बाद ही उत्तर-पूर्वी जिले में दंगे हो गए। उससे हम लोग निपट ही रहे थे कि उसी दौरान कोरोना महामारी का प्रकोप बढ़ गया। मार्च के अंत में लाकडाउन लग गया।

गोपाल राय के अनुसार, उस समय बड़ी चुनौती सरकार के सामने यह थी कि जो गरीब हैं या जिनकी रोजी-रोटी छूट गई है, उन्हें कैसे बचाया जाए। आनन-फानन में मुख्यमंत्री अर¨वद केजरीवाल ने लोगों को बचाने के लिए वे सभी फैसले लिए जिससे गरीबों की जिंदगी बचाई जा सकती थी। ऐसे में अगर कोई दिल्ली में विकास नहीं होने की बात कहता है तो बचकाना बयान है। हमारे लिए उस समय विकास की जगह लोगों की जान बचाना अधिक महत्वपूर्ण था।

उन्होंने कहा कि पहले एक लाख, दो लाख, फिर चार लाख लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई, मगर जब लोगों की संख्या बढ़ती गई तो मार्च के अंत में 10 लाख लोगों के लंच व डिनर की प्रतिदिन व्यवस्था की गई। रहने के लिए स्कूलों में आश्रय गृह बनाए गए। एक करोड़ लोगों को राशन दिया गया।

राय ने कहा कि महामारी फैली तो एक और चुनौती थी कि जो लोग संक्रमित हो रहे थे, उन्हें तुरंत इलाज मिले। कई अस्पताल कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित किए गए। बेड की संख्या बढ़ाई गई। प्लाज्मा बैंक शुरू किए गए। हल्के लक्षणों वाले मरीजों को होम आइसोलेशन की सुविधा दी गई। उन्हें आक्सीमीटर दिए गए। इस दौरान अक्टूबर में पड़ोसी राज्यों से पराली जलाने से दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने लगा। एक बार फिर कोरोना अधिक मजबूत होने लगा। इससे निपटने के लिए कार्यक्रम चलाए गए। पूसा इंस्टीट्यूट के माध्यम से पराली के प्रदूषण को रोकने का फामरूला ढूंढा।

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