सी-फॉर्म घोटाला: बिना कुछ खरीदे-बेचे मालामाल हो गए दिल्ली के कारोबारी

आबकारी एवं कराधान अधिकारियों ने बिना कारोबार किए सी-फॉर्म जारी कर दिए। बोगस सी-फॉर्म जारी करने व फर्जी कंपनी बनवाने में 9 अधिकारी निलंबित हो चुके हैं।

By Edited By: Publish:Sat, 01 Sep 2018 06:46 PM (IST) Updated:Mon, 03 Sep 2018 11:42 AM (IST)
सी-फॉर्म घोटाला: बिना कुछ खरीदे-बेचे मालामाल हो गए दिल्ली के कारोबारी
सी-फॉर्म घोटाला: बिना कुछ खरीदे-बेचे मालामाल हो गए दिल्ली के कारोबारी

गुरुग्राम (आदित्य राज)। सूबे के आबकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से दिल्ली सहित कई राज्यों के कारोबारी बिना कारोबार किये ही मालामाल हो गए। माना जा रहा है कि 3000 करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार के बोगस सी-फॉर्म जारी किए गए। सबसे अधिक नुकसान दिल्ली सरकार का हुआ, क्योंकि हरियाणा के कारोबारी दिल्ली से ही अधिक कारोबार करते हैं। डिस्ट्रिक्ट टैक्सेशन बार एसोसिएशन, गुरुग्राम के अध्यक्ष नवीन गुप्ता के अनुसार तीन हजार करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार के बोगस सी-फॉर्म जारी हुए। जिन डीलरों ने लाभ उठाया, उन्हें भी गिरफ्तार किया जाए।

जीएसटी लागू होने से पहले जारी होता था सी फॉर्म
दो राज्यों के बीच कारोबार भी तेज हो। साथ ही कम कीमत पर माल भी उपलब्ध हो सके। इसके लिए जीएसटी लागू होने से पहले तक अंतरराज्यीय कारोबार करने पर सी-फॉर्म का इस्तेमाल किया जाता था। इस सुविधा से एक राज्य का कारोबारी दूसरे राज्य से माल केवल दो प्रतिशत टैक्स देकर खरीदता था। इस विशेष सुविधा का दिल्ली सहित कई राज्यों के कारोबारियों ने जमकर गलत लाभ उठाया। कारोबारियों ने गुरुग्राम या हरियाणा के किसी भी जिले में फर्जी कंपनी बनाकर पंजीकरण करा लिया। बाद में फर्जी कंपनी से कारोबार दिखाकर अपनी राज्य सरकार से रिफंड ले लिया।

फर्जी कंपनी बनाकर मांगा 52 करोड़ रुपये का रिफंड
कुछ महीने पहले बिपिन एंटरप्राइजेज नामक कंपनी ने आबकारी एवं कराधान विभाग, गुरुग्राम से 52 करोड़ रुपये का रिफंड मांगा था। जांच में पता चला कि पहले फर्जी कंपनी बनाई गई। कंपनी बनाने के बाद फर्जी कारोबार दिखाकर करोड़ों रुपये के फर्जी बिल भी बनाए गए। इसके बाद रिफंड के लिए आवेदन दिया गया।

केवल गुरुग्राम में ही 30 से ज्यादा फर्जी कंपनियां
मामले की जांच तेज हुई तो पता चला कि गुरुग्राम सहित कई जिलों के आबकारी एवं कराधान अधिकारियों ने बिना कारोबार हुए ही सी-फॉर्म जारी किए थे। फर्जी कंपनियों को आरसी भी जारी किए गए। केवल गुरुग्राम में ही 30 से अधिक फर्जी कंपनियां सामने आ चुकी हैं।

अब तक 9 के ऊपर गिर चुकी है गाज
फर्जी कंपनियों को आरसी जारी करने से लेकर बोगस सी-फॉर्म जारी करने के मामले में अब तक 9 अधिकारियों के ऊपर गाज गिर चुकी है। 15 से अधिक अधिकारियों के ऊपर कभी भी गाज गिर सकती है। जुलाई महीने के दौरान गुरुग्राम में तैनात आबकारी एवं कराधान अधिकारी नरेंद्र ढांडा, डॉ. शोभनी माला गुप्ता एवं रामाकांत शर्मा के साथ ही हिसार में तैनात आबकारी एवं कराधान उपायुक्त एसएस सिवाच को निलंबित कर दिया गया था।

गौरतलब है कि मामले में गत 30 अगस्त को जिन अधिकारियों को निलंबित किया गया उनमें गुरुग्राम में तैनात आबकारी एवं कराधान अधिकारी विकास पराशर, आबकारी एवं कराधान अधिकारी सुधीर कुमार, करनाल में तैनात आबकारी एवं कराधान उपायुक्त विजेंद्र ढुल, फरीदाबाद में तैनात आबकारी एवं कराधान उपायुक्त सुनीला सिंह तथा फरीदाबाद में ही तैनात आबकारी एवं कराधान अधिकारी संजीव सलूजा के नाम शामिल हैं।

ऐसे किया गया फर्जीवाड़ा
इस मामले में एक उदाहरण देखें। यदि दिल्ली का कोई कारोबारी दिल्ली से ही माल खरीदकर दिल्ली में ही बेचता है तो उसे जिस माल के ऊपर जितना टैक्स निर्धारित है, उतना टैक्स सरकार के खजाने में जमा करना जरूरी होगा। लेकिन, जब दिल्ली का कोई कारोबारी गुरुग्राम के किसी कारोबारी को माल बेचता है तो वह गुरुग्राम के कारोबारी से केवल दो प्रतिशत टैक्स लेता है। दो प्रतिशत पर माल खरीदने के लिए गुरुग्राम का कारोबारी दिल्ली के कारोबारी को सी-फॉर्म देता है।

बोगस सी-फॉर्म हासिल कर दिल्ली के कारोबारियों ने अपनी राज्य सरकार से यह कहकर रिफंड मांगा कि उसने माल 15 प्रतिशत टैक्स देकर खरीदा था और बेचा दो प्रतिशत लेकर। इस तरह उसे 13 प्रतिशत का नुकसान हो गया। इस तरह 13 प्रतिशत नहीं बल्कि 15 प्रतिशत टैक्स के रूप में जो राशि बनी, उसे कारोबारियों ने अपनी सरकार से रिफंड के रूप में हासिल कर लिया।

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