पहले से नरम हुआ पुलिस का रवैया, छात्रों में कम हुआ भय : जामिया कुलपति

जेएनयू के चीफ प्रॉक्टर धनंजय सिंह ने कहा कि जेएनयू राजनीतिक एजेंडा लागू करने का स्थान बन रहा है। इस वजह से परिसर की परिस्थितियां पहले से अधिक जटिल होती जा रही हैं।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Wed, 09 Sep 2020 04:37 PM (IST) Updated:Wed, 09 Sep 2020 04:37 PM (IST)
पहले से नरम हुआ पुलिस का रवैया, छात्रों में कम हुआ भय : जामिया कुलपति
पहले से नरम हुआ पुलिस का रवैया, छात्रों में कम हुआ भय : जामिया कुलपति

नई दिल्ली, संजीव कुमार मिश्रा। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान दिल्ली पुलिस के जवान जामिया मिल्लिया इस्लामिया परिसर में दाखिल हुए थे। जामिया कुलपति ने तब पुलिस पर बिना इजाजत परिसर में दाखिल होने का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराने की बात कही थी। करीब नौ महीने बाद विश्वविद्यालयों में अनुशासन विषय पर आयोजित आनलाइन परिचर्चा में जामिया कुलपति प्रो नजमा अख्तर ने कहा कि पुलिस का रवैया पहले से नरम हुआ है।

यही वजह है कि छात्रों में पुलिस का भय कम हुआ है। परिचर्चा में जामिया, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और जामिया हमदर्द के कुलपति, चीफ प्रॉक्टर शामिल हुए।

जामिया कुलपति ने अपने संबोधन की शुरुआत नई शिक्षा नीति से की। कहा कि, हम विवि में अनुशासन बनाए रखने में सफल साबित हुए हैं। परिसर में एक दूसरे के प्रति सम्मान है। ऐसे सभी विभागों और छात्रों के तालमेल से ही संभव हो पाया है। अनुशासन बनाए रखने के लिए हमनें अकादमिक गतिविधियां बढ़ा दी है। अकादमिक गतिविधियां जितनी ज्यादा होंगी अनुशासनहीनता उतना कम होगा। कुलपति ने कहा कि पुलिस का रवैया बदला है। अब वो छात्रों के साथ पहले से ज्यादा आत्मीय है। पुलिस जानती है कि छात्रों के मामलों को किस तरह संवेदनशीलता के साथ देखना है। शायद तभी छात्रों में पुलिस का भय पहले से कम हुआ है।

जेएनयू के चीफ प्रॉक्टर धनंजय सिंह ने कहा कि जेएनयू राजनीतिक एजेंडा लागू करने का स्थान बन रहा है। इस वजह से परिसर की परिस्थितियां पहले से अधिक जटिल होती जा रही हैं। विगत 2-3 सालों में यह काफी बढ़ा है। सोशल मीडिया का दखल भी बढ़ा है।

राजनीतिक दलों से जुड़े छात्रों के बारे में चीफ प्रॉक्टर ने कहा कि ऐसे भी कई छात्रों को देखा है तो तमतमाए हुए चेहरे के साथ आते हैं। चिल्लाते हैं। एवं अगले दिन क्षमा मांगने आते हैं। अपने व्यवहार के लिए वो राजनीतिक मजबूरी बताते हैं। इन्होने छात्रों और शिक्षकों के बीच समझ विकसित करने की बात कही। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर मोहम्मद वसीम अली ने कहा कि अपराधियों, उपद्रवी तत्वों का विश्वविद्यालयों-कॉलेजों में कोई स्थान नहीं होना चाहिए। वहीं, बीएचयू के चीफ प्रॉक्टर ओपी राय ने कहा कि यह पीढ़ी डांट और मार खाने की आदी नहीं है, ऐसे में उन्हें संवेदनशील तरीके से संभालना होगा।

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