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सेक्सटॉर्शन गिरोह सामाजिक खतरा, बनता है मनौवैज्ञानिक आघात का कारण: दिल्ली हाईकोर्ट

वीडियो कॉल के माध्यम से सेक्सटॉर्शन सिंडिकेट चलाने वाले तीन लोगों को अग्रिम जमानत देने से इनकार करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि सेक्सटॉर्शन एक महत्वपूर्ण सामाजिक खतरा है और अक्सर गंभीर मनोवैज्ञानिक आघात का कारण बनता है। न्यायमूर्ति अमित महाजन की पीठ ने ऐसे मामलों में गोपनीयता और गरिमा की चिंता भी जताई और कहा कि ऐसे मामले कानून को लागू करने में गंभीर चुनौती पैदा करते हैं।

By Vineet Tripathi Edited By: Geetarjun Published: Tue, 30 Apr 2024 11:19 PM (IST)Updated: Tue, 30 Apr 2024 11:19 PM (IST)
सेक्सटॉर्शन गिरोह सामाजिक खतरा, बनता है मनौवैज्ञानिक आघात का कारण: दिल्ली हाईकोर्ट

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। वीडियो कॉल के माध्यम से सेक्सटॉर्शन सिंडिकेट चलाने वाले तीन लोगों को अग्रिम जमानत देने से इनकार करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि सेक्सटॉर्शन एक महत्वपूर्ण सामाजिक खतरा है और अक्सर गंभीर मनोवैज्ञानिक आघात का कारण बनता है। न्यायमूर्ति अमित महाजन की पीठ ने ऐसे मामलों में गोपनीयता और गरिमा की चिंता भी जताई और कहा कि ऐसे मामले कानून को लागू करने में गंभीर चुनौती पैदा करते हैं।

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अदालत ने कहा कि इसमें पीड़ितों से पैसे वसूलने के लिए प्राप्त अंतरंग छवियों और वीडियो का का इस्तेमाल करते हैं, जो अक्सर गंभीर मनोवैज्ञानिक आघात का कारण बनता है। अदालत ने कहा कि वर्तमान मामले में खुद को पुलिस अधिकारी और यूट्यूब अधिकारी बताने वाले व्यक्तियों ने शिकायतकर्ता से 16 लाख रुपये की राशि वसूल की थी।

यह वसूली एक अज्ञात महिला से शिकायतकर्ता को वॉट्सऐप वीडियो कॉल आने के बाद हुई थी और उक्त महिला ने उनकी निजी कॉल रिकॉर्ड की थी। वीडियो को इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म से हटाने समेत अन्य प्रकार की धमकियां देकर पैसे लिए गए थे। अभियोजन पक्ष ने आरोपितों की अग्रिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि सभी आरोपित एक संगठित अपराध सिंडिकेट के सक्रिय सदस्य थे।

अदालत ने नोट किया कि जांच में कई शिकायतें सामने आईं और इससे पता चला है कि आरोपित इस तरह के अपराध में आदतन संलिप्त थे। वर्तमान मामले में आरोपित व्यक्तियों ने आरोप लगाया है कि एक महिला ने वीडियो कॉल और मैसेज के माध्यम से पीड़ित/शिकायतकर्ता से संपर्क किया और उसकी वीडियो क्लिप प्राप्त की। फिर उन्होंने वीडियो को इंटरनेट मीडिया पर वायरल करने की धमकी दी।

अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय साइबर रिपोर्टिंग पोर्टल पर विश्लेषण के दौरान सामने आया कि कुल 10 शिकायतें मिलीं और इसमें से एक ही आरोपित द्वारा एक ही कार्यप्रणाली के माध्यम से निर्दोष लोगों को धोखा दिया गया है।


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