कोविड-19 से पहले ही इकोनॉमी पड़ी सुस्त, आने वाले समय में और बड़े संकट की आशंका

2019-20 के लिए सरकार व आरबीआइ ने सात फीसद की विकास दर हासिल करने का लक्ष्य रखा था।

By Ankit KumarEdited By: Publish:Sat, 30 May 2020 09:31 AM (IST) Updated:Sat, 30 May 2020 05:06 PM (IST)
कोविड-19 से पहले ही इकोनॉमी पड़ी सुस्त, आने वाले समय में और बड़े संकट की आशंका
कोविड-19 से पहले ही इकोनॉमी पड़ी सुस्त, आने वाले समय में और बड़े संकट की आशंका

नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। कोरोना वायरस की मार देश की इकोनॉमी पर बहुत भारी पड़ सकती है। शुक्रवार को सरकार ने पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही और समूचे वर्ष के जो आंकड़े जारी किए हैं, उससे साफ है कि हमने बहुत कमजोर इकोनॉमी के साथ कोविड-19 काल में प्रवेश किया है। जनवरी-मार्च, 2020 की तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर महज 3.1 फीसद रही है और पूरे वित्त वषर्ष 2019-20 के दौरान आर्थिक विकास की दर 4.2 फीसद रही है। इसके पिछले वित्त वर्ष (2018--19) में 6.1 की वृद्धि दर हासिल की गई थी। आर्थिक विकास की यह दर पिछले 11 वर्षों का न्यूनतम स्तर है।

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आंकड़े यह भी बताते हैं कि पिछली आठ तिमाहियों से आर्थिक विकास दर घटती जा रही है और अप्रैल-जून की तिमाही व 2020-21 में इसके और नीचे जाने के आसार बन रहे हैं। यह स्थिति ना सिर्फ 2025 तक पांच ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने के सपने से दूर कर सकती है, बल्कि देश से गरीबी व बेरोजगारी मिटाने की कोशिशों को भी झटका लगेगा। 

केंद्र सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक 2019-20 की अंतिम तिमाही (जनवरी--मार्च) में कृषि, खनन और सरकारी प्रशासन व संबंधित सेवाओं के अलावा अन्य किसी भी सेक्टर (मैन्यूफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन, बिजली, गैस, जलापूर्ति, वित्तीय सेवाएं आदि)] की स्थिति सुधरी नहीं है।  

मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में 1.4 फीसद की गिरावट हुई है जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में 2.1 फीसद की वृद्धि हुई थी। बड़े पैमाने पर रोजगार देने वाले कंस्ट्रक्शन सेक्टर में 2.2 फीसद की गिरावट हुई जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में इसमें छह फीसद की वृद्धि हुई थी। सर्विस सेक्टर में होटल, रेस्टोरेंट, ट्रांसपोर्ट, संचार जैसी सेवाओं की वृद्धि दर 6.9 फीसद से गिरकर 2.6 फीसद रह गई है। वित्तीय सेवा सेक्टर की वृद्धि दर 8.7 फीसद से घटकर 2.4 फीसद पर आ गई है। उक्त चारों सेक्टर में सबसे ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा होते हैं। पूरी इकोनॉमी में इनका हिस्सा भी लगातार बढ़ रहा है। 

बेहतर स्थिति सिर्फ कृषि की रही है जिसकी विकास दर जनवरी-मार्च, 2019 में दर्ज 1.6 फीसद से बेहतर हो कर जनवरी-मार्च, 2020 में 5.9 फीसद हो गई है। इन आंकडों को जारी करने के साथ ही यह भी बताया गया है कि कोविड-19 की वजह से सभी आंकड़ों को अभी नहीं जुटाया जा सका है, इसलिए इसमें आगे संशोधन किया जाएगा। 

नहीं दिखा सरकार की कोशिशों का असर

इकोनॉमी की दिशा व दशा से जुड़ी यह रिपोर्ट मौजूदा अर्थ नीति को लेकर कुछ गंभीर सवाल उठाती है। मसलन, 2019-20 के लिए सरकार व आरबीआइ ने सात फीसद की विकास दर हासिल करने का लक्ष्य रखा था। जुलाई, 2019 में पूर्ण बजट पेश करने के दो महीने बाद ही सितंबर, 2019 में वित्त मंत्री ने मंदी को दूर करने के लिए कई एलान किए थे। कॉरपोरेट टैक्स को घटाने का ऐतिहासिक कदम भी उठाया गया और सैकड़ों उत्पादों पर जीएसटी दरों को कम किया गया। ढांचागत सेक्टर में भारी भरकम निवेश का एलान किया गया। बावजूद इसके, तिमाही दर तिमाही विकास दर में गिरावट बताती है कि इन कदमों का खास असर नहीं हुआ। सरकार किस तरह से इकोनॉमी का डाटा जुटा रही है, इस पर पहले से ही सवाल उठते रहे हैं। 

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आगे संकट और बड़ा

अब जबकि कोविड-19 की वजह से तकरीबन दो महीनों से इकोनॉमी का अधिकांश हिस्सा बंद है तो अर्थव्यवस्था की रफ्तार और सुस्त हो सकती है। किसी भी सरकारी एजेंसी ने 2020-21 के लिए अभी तक आर्थिक विकास दर का कोई लक्ष्य तय नहीं किया है। बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने 10 फीसद नोमिनल ग्रोथ रेट की बात कही थी, जो मौजूदा हालात में बड़ा लक्ष्य कहा जा सकता है क्योंकि शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक यह महज 6.8 फीसद रही है। शुक्रवार को वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से जारी एक आंकड़ा बताता है कि आठ प्रमुख उद्योगों में अप्रैल, 2020 के दौरान 38 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। बहरहाल, भारत इस बात पर संतोष कर सकता है कि उसकी इकोनॉमी की स्थिति अभी तक चीन से बेहतर बनी हुई है। जनवरी-मार्च, 20 में चीन की इकोनॉमी में 6.8 फीसद की गिरावट हुई है।

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