स्टार्टअप्स को बड़ी राहत, एंजल टैक्स से छूट के लिए सरकार ने निवेश की सीमा में किया इजाफा

फिलहाल स्‍टार्टअप्‍स आयकर में छूट का दावा तभी कर सकते थे, जब एंजल निवेशकों की तरफ से की गई फंडिंग को मिलाकर उनका कुल निवेश 10 करोड़ रुपये से अधिक नहीं हो।

By Abhishek ParasharEdited By: Publish:Tue, 19 Feb 2019 12:40 PM (IST) Updated:Wed, 20 Feb 2019 08:30 AM (IST)
स्टार्टअप्स को बड़ी राहत, एंजल टैक्स से छूट के लिए सरकार ने निवेश की सीमा में किया इजाफा
स्टार्टअप्स को बड़ी राहत, एंजल टैक्स से छूट के लिए सरकार ने निवेश की सीमा में किया इजाफा

नई दिल्ली (एजेंसी/बिजनेस डेस्क)। स्टार्टअप्स को बड़ी राहत देते हुए सरकार ने एंजल टैक्स के नियमों और निवेश की सीमा को बढ़ाए जाने समेत कई और बड़ी ढील दी है। 

सरकार ने स्‍टार्टअप्‍स को आयकर छूट के लिए निवेश सीमा को बढ़ाकर 25 करोड़ रुपये कर दिया है। फिलहाल स्‍टार्टअप्‍स आयकर में छूट का दावा तभी कर सकते थे, जब एंजल निवेशकों की तरफ से की गई फंडिंग को मिलाकर उनका कुल निवेश 10 करोड़ रुपये से अधिक नहीं हो।

अधिकारी ने कहा कि इस बारे में आयकर अधिनियम 1961 के तहत जल्द ही अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। अधिकारी ने बताया, 'उसी कंपनी को स्टार्टअप्स माना जाएगा, जिसका टर्नओवर शुरुआत या रजिस्ट्रैशन के बाद से किसी वित्तीय वर्ष में 100 करोड़ रुपये से अधिक न हो। अभी यह रकम 25 करोड़ रुपये है।'

इसके अलावा जिन लिस्टेड कंपनियों का नेट वर्थ 100 करोड़ रुपये या टर्नओवर 250 करोड़ रुपये है, उन्हें आयकर अधिनियम की धारा 56 (2) के तहत आयकर छूट मिल सकेगी।  

हालांकि उन्हीं स्टार्टअप्स को आयकर अधिनियम की धारा 56(2)(viib) के तहत टैक्स में छूट मिलेगी, जो प्राइवेट लिमिटेड हैं और जिनका पंजीकरण डीपीआईआईटी के साथ है, और जिन्होंने बिल्डिंग और लैंड अपार्टमेंट्स, एक या दोनों, मोटर व्हीकल, एयरक्राफ्ट, यॉट, लोन या फिर अन्य कंपनियों को पूंजी दिए जाने जैसे कारोबार में निवेश न कर रखा है।

स्टार्टअप्स को टैक्स छूट के लिए स्वघोषित घोषणापत्र डीपीआईआईटी को देना होगा, जिसे विभाग सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) को भेजेगा।

क्या होता है एंजल टैक्स ?

गौरतलब है कि हाल ही में कई स्टार्टअप्स को इनकम टैक्स विभाग का नोटिस मिला है।

दरअसल स्टार्टअप्स अपने कारोबार के विस्तार के लिए पैसे जुटाते हैं और इसके बदले में वह कर्ज देने वाली कंपनियों को शेयर जारी करते हैं। अमूमन यह शेयर कम कीमत पर जारी होता है। वास्तविक कीमत से कम कीमत पर जारी किए शेयर की अतिरिक्त कीमत को आय मानते हुए, उस पर टैक्स लगता है, जिसे एंजल टैक्स कहा जाता है।

इसकी शुरुआत 2012 में हुई थी। तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने मनी लॉन्ड्रिंग पर रोक लगाने के मकसद से इस टैक्स का एलान किया था।

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