प्रेमजी ने दिए 8 हजार करोड, बने सबसे बडे दानवीर

मुंबई। एक समय दान-पुण्य पर कम यकीन रखने वाला भारतीय कॉरपोरेट जगत अब अपने कुछ दानवीरों की बदौलत दुनिया में यशोगान का हकदार बन रहा है। देश में ऐसे दानदाताओं की संख्या लगातार बढ़ रही है जो अपनी संपत्ति सामाजिक कार्यो पर न्योछावर कर रहे हैं। ऐसे भारतीयों की सूची में विप्रो के प्रमुख अजीम प्रेमजी शीर्ष पर हैं। वहीं एचसीएल के शिव नाडर

By Edited By: Publish:Wed, 13 Nov 2013 09:36 PM (IST) Updated:Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
प्रेमजी ने दिए 8 हजार करोड, बने सबसे बडे दानवीर

मुंबई। एक समय दान-पुण्य पर कम यकीन रखने वाला भारतीय कॉरपोरेट जगत अब अपने कुछ दानवीरों की बदौलत दुनिया में यशोगान का हकदार बन रहा है। देश में ऐसे दानदाताओं की संख्या लगातार बढ़ रही है जो अपनी संपत्ति सामाजिक कार्यो पर न्योछावर कर रहे हैं। ऐसे भारतीयों की सूची में विप्रो के प्रमुख अजीम प्रेमजी शीर्ष पर हैं। वहीं एचसीएल के शिव नाडर देश के दूसरे सबसे बड़े दानदाता हैं।

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चीन स्थित हुरुन रिपोर्ट इंक ने अपनी हुरुन इंडिया परोपकार सूची 2013 जारी की है। बीते वित्त वर्ष 2012-13 में 8,000 करोड़ रुपये की रकम सामाजिक कार्यो में लगाने वाले प्रेमजी को इस सूची में सबसे शीर्ष स्थान मिला है। अमेरिकी दिग्गज दानदाता बिल गेट्स की तरह सामाजिक कार्यो पर बड़ी धनराशि न्योछावर करने वाले लोगों की संख्या अब भी भारत में कम है लेकिन ऐसा भी नहीं है कि भारतीय कॉरपोरेट जगत में ऐसे लोग बिल्कुल नहीं हैं। हुरुन सूची में दूसरा स्थान हासिल करने वाले एचसीएल चेयरमैन शिव नाडर ने बीते साल 3,000 करोड़ रुपये परोपकार में लगाए हैं। नाडर की शिव नाडर फाउंडेशन पिछले 20 साल से शिक्षण संस्थाओं का विकास और संचालन कर रही है। अब तक यह संस्था पूरे देश में 15,000 करोड़ रुपये की रकम सामाजिक कार्यो में लगा चुकी है।

हुरुन इंडिया की सूची में ऐसे 31 भारतीयों को शामिल किया गया है, जिन्होंने मार्च 2012 से अप्रैल 2013 तक 10 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम सामाजिक कार्यो पर खर्च की। इस सूची में जीएमआर समूह के प्रमुख जीएम राव तीसरे स्थान पर रहे। उन्होंने अपनी संस्था जीएमआर वारालक्ष्मी फाउंडेशन के जरिये 740 करोड़ रुपये दान दिया। यह संस्था वंचित वर्ग के बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी संभालती है। इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि और उनकी पत्नी रोहिणी नीलेकणि 530 करोड़ रुपये की दानराशि के साथ चौथे स्थान पर रहे।

भारतीय दानवीर सबसे ज्यादा शिक्षा क्षेत्र पर ध्यान दे रहे हैं। बीते साल इस क्षेत्र को कॉरपोरेट जगत ने 12,200 करोड़ रुपये दिए। इसके बाद सामाजिक विकास क्षेत्र को 1,210 करोड़ रुपये, स्वास्थ्य को 1,065 करोड़ रुपये, ग्रामीण विकास को 565 करोड़ और पर्यावरण मामलों को 170 करोड़ रुपये का दान हासिल हुआ। वहीं, कृषि क्षेत्र के विकास पर दानवीरों ने 40 करोड़ रुपये खर्च किए।

-दिग्गज दानदाता-

नाम, कंपनी, राशि

अजीम प्रेमजी, विप्रो, 8,000

शिव नाडर, एचसीएल, 3,000

जीएम राव, जीएमआर, 740

नंदन-रोहिणी नीलेकणि, 530

रोनी स्क्रूवाला, यूटीवी, 470

किरण मजूमदार शॉ, बायोकॉन, 330

रतन टाटा, टाटा समूह, 310

अनिल अग्रवाल, वेदांत समूह, 290

पीएनसी मेनन, शोभा डेवलपर्स, 270

केपी सिंह, डीएलएफ, 200

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