संतरे की खेती के लिए मुफीद है वैशाली की धरती

जागरण संवाददाता, हाजीपुर : वैसे तो भारत में संतरे की खेती महाराष्ट्र के नागपुर में सबसे

By JagranEdited By: Publish:Tue, 05 Dec 2017 10:36 PM (IST) Updated:Tue, 05 Dec 2017 10:36 PM (IST)
संतरे की खेती के लिए मुफीद है वैशाली की धरती
संतरे की खेती के लिए मुफीद है वैशाली की धरती

जागरण संवाददाता, हाजीपुर : वैसे तो भारत में संतरे की खेती महाराष्ट्र के नागपुर में सबसे ज्यादा होती है। नागपुरी संतरे की पूरे देश में अपनी अलग पहचान है। लेकिन अगर थोड़ा सा प्रयास किया जाए तो वैशाली जिले में भी इसकी खेती व्यापक पैमाने पर की जा सकती है। संतरे की खेती के लिए वैशाली की मिट्टी को भी मुफीद माना जा रहा है। यहां सदर प्रखंड के अंधरवाड़ा गांव में किसान ब्रजमोहन शर्मा ने संतरे की फसल लगाकर यह साबित भी कर दिखाया है कि अगर इसकी खेती को थोड़ा सा प्रोत्साहन दिया जाए तो यहां भी बड़े पैमाने पर इसकी खेती कर अच्छी आय प्राप्त की जा सकती है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी यहां उत्पादित संतरे को देख इसकी सराहना कर चुके हैं। उनके निर्देश पर होर्टिकल्चर बिहार के निदेशक अर¨वद कुमार ¨सह, जिला उद्यान पदाधिकारी विनोद कुमार पोद्दार, कृषि विशेषज्ञ डॉ. अजय कुमार ने संतरे के पौधे में आए फल का निरीक्षण कर चुके हैं। उनलोगों ने भी वैशाली की धरती को संतरे की खेती के लिए मुफीद बताते हुए किसान को संतरे का और पौधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।

2011 में प्रयोग के तौर पर शुरू की थी खेती

किसान ब्रजमोहन शर्मा बताते हैं कि वर्ष 2011-12 में हाजीपुर इंडस्ट्रियल एरिया में एक कार्यक्रम में भाग लेने आए तत्कालीन कृषि मंत्री को उन्होंने संतरे की खेती की जानकारी दी थी। उनके निर्देश पर उद्यान पदाधिकारी ने उन्हें संतरे का आठ पौधा उपलब्ध कराया था। उन पौधों को उन्होंने अपने आवासीय परिसर में दस फीट की दूरी पर लगाया। वर्ष 2016 में संतरे के पौधों में फल आए। उस वक्त फल तैयार होने से पहले ही छठ पर्व के दौरान उसे भगवान भास्कर को अर्पित कर दिया। इस वर्ष दुबारा संतरे के पौधों में अच्छे फल आए हैं।

संतरे के साथ हल्दी व ओल की हो सकती है खेती

वे बताते हैं कि संतरे की फसल के साथ हल्दी व ओल की खेती की जा सकती है। संतरे की खेती को नीलगाय व अन्य पशु-पक्षी से भी कोई खतरा नहीं है। किसान श्री शर्मा बताते हैं कि पांच से सात साल के पौधे की उत्पादन क्षमता 75 से सौ किलो है यानि दो हजार से 25 सौ रुपये की आमदनी एक पौधे से तथा प्रति कट्ठा इसकी खेती से 30-35 हजार रुपये की आय प्राप्त की जा सकती है। एक कट्ठे की खेती पर लगभग दो हजार रुपये का खर्च आता है।

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