रालोसपाः विक्षुब्धों ने बैठक कर अरुण को पद से हटाया, अनुशासन समिति गरमाई

रालोसपा में अब विभाजन तय लग रहा है। विक्षुब्ध गुट ने दिन में अरुण कुमार को पार्टी का अध्यक्ष चुना तो शाम को अनुशासन समिति ने अरुण कुमार को पार्टी से निलंबित करने की घोषणा की।

By Pramod PandeyEdited By: Publish:Wed, 17 Aug 2016 01:59 PM (IST) Updated:Wed, 17 Aug 2016 11:09 PM (IST)
रालोसपाः विक्षुब्धों ने बैठक कर अरुण को पद से हटाया, अनुशासन समिति गरमाई

पटना [राज्य ब्यूरो ]। रालोसपा का राजनीतिक संकट बुधवार को और गहरा गया। दिन में जहां विक्षुब्ध गुट ने बुधवार को हुए महाधिवेशन में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को पद से हटाने की घोषणा करने के साथ अरुण कुमार को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना वहीं देर शाम पार्टी की अनुशासन समिति के अध्यक्ष डॉ.राम कुमार शर्मा ने अरुण कुमार को पार्टी से निलंबित करने की घोषणा कर दी।

इस घटनाक्रम के बाद लगभग दो महीने से पार्टी का विवाद अब निर्णायक मोड़ पर जाता दिख रहा है। पार्टी में टूट भी अब तय जैसा हो गया है क्योंकि कोई पक्ष झुकने को तैयार नहीं दिख रहा है। यूं तो पार्टी का विवाद अरुण कुमार को हटाए जाने के बाद ही चर्चा में आया लेकिन जानकारों के मुताबिक अरुण को हटाने से काफी पहले विधानसभा चुनाव के दौरान ही इसकी नींव पड़ गई थी।

बुधवार को अधिवेशन के दौरान विक्षुब्ध गुट की ओर से कुशवाहा को पद से हटाने के पीछे उनकी दल विरोधी गतिविधियों को कारण बताया गया। अधिवेशन के दौरान जहानाबाद के सांसद अरुण कुमार को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पेश किया गया जिसपर चर्चा के बाद इसे स्वीकार कर लिया गया।

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उधर विक्षुब्ध गुट की बैठक में हुए फैसले की जानकारी मिलने के बाद पार्टी की अनुशासन समिति के अध्यक्ष डॉ.रामकुमार शर्मा ने अरुण कुमार की गतिविधियों को पार्टी विरोधी बताते हुए उन्हें पार्टी से निष्कासित करने की घोषणा की।

गौरतलब है कि अरुण कुमार को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद अरुण कुमार के समर्थक लगातार खुद के असली पार्टी होने का दावा करते रहे हैं जबकि कुशवाहा के नेतृत्व में उनके समर्थक रालोसपा के संगठनात्मक चुनाव को लेकर सदस्यता अभियान चला रहे हैं।

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कुशवाहा ने पिछले दिनों कहा था कि पार्टी का पूरा ध्यान अभी संगठनात्मक चुनावों और सदस्यता अभियान पर है। इस तनातनी के बीच पिछले दिनों एजाजुल हक और अनिल सिंह सहित कई नेताओं ने उपेंद्र कुशवाहा की मौजूदगी में पार्टी का दामन थामा था। इसके बावजूद विक्षुब्ध गुट उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ अपना अभियान जारी रखे हुए है।

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