प्रश्नपत्र लीक करने के आरोपित ने कोर्ट से लगाई गुहार, मुझे चाहिए इच्छामृत्यु, जानें

बिहार राज्य कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा में प्रश्नपत्र लीक करने के आरोप में जेल में बंद भोला उर्फ नितेश कुमार ने न्यायालय से इच्छामृत्यु की गुहार लगाई है।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Thu, 16 May 2019 11:36 AM (IST) Updated:Thu, 16 May 2019 11:36 AM (IST)
प्रश्नपत्र लीक करने के आरोपित ने कोर्ट से लगाई गुहार, मुझे चाहिए इच्छामृत्यु, जानें
प्रश्नपत्र लीक करने के आरोपित ने कोर्ट से लगाई गुहार, मुझे चाहिए इच्छामृत्यु, जानें

पटना, जेएनएन। एक आरोपित ने कोर्ट से जीवन समाप्त करने की विनती की है। वो अब जीना नहीं चाहता। उसका मानना है कि जीवन नरक हो गया है। दरअसल, बिहार राज्य कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा में प्रश्नपत्र लीक करने के आरोप में जेल में बंद भोला उर्फ नितेश कुमार ने न्यायालय से इच्छामृत्यु की गुहार लगाई है। भोला, बिहार राज्य कर्मचारी चयन आयोग द्वारा वर्ष 2017 में आयोजित इंटर स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षा 2017 का प्रश्नपत्र लीक करने के मामले में आरोपित है।

जेल में नारकीय हो गया है जीवन

नितेश ने बुधवार को निगरानी की विशेष अदालत में एक आवेदन दाखिल कर इच्छा मृत्यु का आदेश देने का अनुरोध किया है। उसने कहा कि उसका जीवन जेल में नारकीय हो गया है। वह दो वर्ष से बेउर जेल में है। जेल में कैदियों को जानवरों की तरह रखा जाता है। विशेष न्यायाधीश मधुकर कुमार ने आवेदन को रिकार्ड में रखने का आदेश दिया। इस मामले में आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष सुधीर कुमार समेत 41 आरोपित जेल में हैं। आवेदन के अनुसार आवेदक ने अदालत पर सवाल खड़े करते हुए लिखा है कि वह न्यायालय और संविधान का हमेशा सम्मान करता रहा है, मगर अब नहीं। गरीब व्यक्ति न्याय पाने से कोसों दूर हो गया है। उसने अदालत को बताया कि बिहार महादलित विकास मिशन घोटाला के मुख्य व प्राथमिकी में नामजद आरोपित वरीय सेवानिवृत्त अधिकारी केपी रमैया के खिलाफ आरोप पत्र दायर है। बावजूद उन्हें निचली अदालत में समर्पण करते ही नियमित जमानत मिल गई।

न्याय व्यवस्था पर उठाया सवाल

आर्म्स एक्ट मामले में पूर्व समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा को कुछ ही महीने में नियमित जमानत मिल गई। सवाल किया है कि यह कैसी न्याय व्यवस्था है। आवेदक ने आगे कहा है कि 9 जनवरी 2019 को प्रतियोगिता परीक्षा में भाग लेने की अनुमति देने के लिए उसने अदालत में आवेदन दिया था। अदालत ने अनुमति भी दे दी, लेकिन आदेश की प्रति अदालत से बेउर जेल प्रशासन को परीक्षा की तिथि गुजर जाने के बाद मिली, जिससे वह परीक्षा देने से वंचित रह गया। आवेदक आगे कहता है कि उसने बेउर जेल अधीक्षक से इलाज कराने को कहा तब जेल डॉक्टर ने लिख दिया कि यहां इलाज संभव नहीं है।

जानवरों की तरह है कैदियों का जीवन

अदालत ने इलाज के लिए पीएमसीएच भेजने का आदेश दिया, लेकिन आज तक बेउर जेल प्रशासन उसे इलाज कराने के लिए पीएमसीएच नहीं ले गया। आवेदक ने जेल की स्थिति पर भी सवाल खड़ा किया है। उसने आवेदन के जरिये कैदियों की जिंदगी जानवरों की तरह होने की बात कही है। आवेदन में लिखा है कि बेउर जेल में 2360 कैदियों की रहने की क्षमता है, लेकिन यहां प्रत्येक महीने करीब 3500 से 4000 हजार कैदी रह रहे हैं। उसने आगे कहा कि वह पाटलिपुत्र लोकसभा से इस वर्ष लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहता था, लेकिन अदालत ने इसकी अनुमति नहीं दी।

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