जो खुशियों पर ताला जड़ दे ऐसी भी सरकार नहीं है..

साहित्य कला संसद बिहार की ओर से रविवार को कालिदास रंगालय के प्रेक्षागृह में इंद्रधनुषी कविताओं का लगा मेला

By JagranEdited By: Publish:Sun, 29 Dec 2019 11:11 PM (IST) Updated:Sun, 29 Dec 2019 11:11 PM (IST)
जो खुशियों पर ताला जड़ दे ऐसी भी सरकार नहीं है..
जो खुशियों पर ताला जड़ दे ऐसी भी सरकार नहीं है..

पटना। साहित्य कला संसद, बिहार की ओर से रविवार को कालिदास रंगालय के प्रेक्षागृह में इंद्रधनुषी कविताओं का मेला आयोजित किया गया। साहित्य कला बिहार, संसद के अध्यक्ष डॉ. पंकज प्रियम ने कहा कि लोगों के दिलों तक पहुंचने के लिए कविता से अच्छा माध्यम कोई और हो ही नहीं सकता।

कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि हर क्रांतिकारी परिवर्तन में कविता की बड़ी भूमिका होती है। कविता पाठ की शुरुआत राज कुमार प्रेमी ने की। उन्होंने बटोहिया धुन में 'भारतवसिया सूखी कतना रहे भइया, भारत ही देशवा से आज बाटे बीचे मजधार भारतवसिया..' सुनाई। इसके बाद कवि घमंडी राम ने 'हम गांव के रहने वाले हैं, इसे शहर नहीं बनने देंगे, कश्मीर कली के तुम भूखे, ऐशगाह नहीं बनने देंगे..' का पाठ किया। हास्य रस के कवि विश्वनाथ वर्मा ने सुनाया 'मैं ना फंसता हूं और ना फंसाता हूं, ना जलता हूं और ना जलाता हूं, बस हंसता हूं, हंसाता हूं इस तरह उम्र को धत्ता बताता हूं..'। लोगों ने उनका तालियों से अभिवादन किया। भगवती प्रसाद द्विवेदी ने गीत के रूप में अपनी कविता 'सपने भरते रहे कुलाचे नये साल में, मौन नयन की भाषा पहचान ले अब, बिटिया की आशा को नई उड़ान मिले अब, पथराई आंखों को बाचे नये साल में..' सुनाई, जो लोगों को खूब पसंद आई। कवि अमिय नाथ चटर्जी ने 'कल्पना के घोड़े पर कवि जब मंच पर जाता तो निराकार को भी प्रकाश दे साकार कर दिखाता..' सुनाकर लोगों की तालियां बटोरीं। युवा कवि खूशबू कुमारी ने अपने युवा अंदाज में इंसानियत का यारों, वजूद मिट रहा है, इंसान ही इंसान का बैरी बना हुआ है..' सुनाकर अपनी कविता की खूशबू बिखेरी। इसके बाद संजय कुमार कुंदन ने इक अजीब दौर है, खिजांरसीदा नख्ल है मगर है शोरे-फस्ले गुल, कसीदे पढ़ रहे..' सुनाकर सबका दिल जीता। डॉ. पंकज प्रियम ने 'हिदू हैं, सिख हैं, इसाई हैं, मुस्लिम हैं, जो कुछ भी हो एक हाट है, लोग खून को चाहते हैं पतला बनाना किंतु हम अस्तित्व से घनत्व में एक हैं..' सुनाकर वाहवाही लूटी। समारोह के अध्यक्ष डॉ. शिवनारायण ने गजल सुनाई 'ऊपर-ऊपर क्या पढ़ लोगे, जीवन यह अखबार नहीं है, जो खुशियों पर ताला जड़ दे ऐसी भी सरकार नहीं है..', जिसे सभी ने खूब पसंद किया। डॉ. विजय प्रकाश, डॉ. सीमा रानी, प्राची झा, श्रेया सिंह, बासवी झा, अराधना प्रसाद, डॉ नीतू सिंह, सुमन चतुर्वेदी, मौसमी सिन्हा, सिंधु कुमारी, डॉ. भारती कुमारी, सीमा यादव, सागरिका राय, वीणा श्री हेंब्रम, साहिस्ता अंजूम, अंकेश, अरुण कुमार गौतम, बाल कवि हरिओम आदि ने अपनी कविता सुनाई। डॉ. गौरी गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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