हाईकोर्ट का आदेश, बिहार बोर्ड में नियुक्ति पर स्थिति स्पष्ट करें, गया के पूर्व एसएसपी की जमानत पर फैसला

Patna High Court News पटना हाईकोर्ट ने बिहार बोर्ड के अध्‍यक्ष उपाध्‍यक्ष और सचिव की बहाली मामले में सरकार को स्थिति स्‍पष्‍ट करने को कहा है। याचिकाकर्ता ने कानून का हवाला देकर इन लोगों की नियुक्ति का विरोध किया था।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Wed, 17 Aug 2022 06:37 AM (IST) Updated:Wed, 17 Aug 2022 06:37 AM (IST)
हाईकोर्ट का आदेश, बिहार बोर्ड में नियुक्ति पर स्थिति स्पष्ट करें, गया के पूर्व एसएसपी की जमानत पर फैसला
पटना हाईकोर्ट ने बीएसईबी मामले में दिया आदेश। सांकेतिक तस्‍वीर

पटना, राज्य ब्यूरो। पटना हाईकोर्ट ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (BSEB) के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सचिव की नियुक्ति के विरुद्ध दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। मुख्य न्यायाधीश संजय करोल एवं न्यायाधीश एस कुमार की खंडपीठ ने विनय कुमार देव की याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश दिया। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बिहार स्कूल एक्जामिनेशन बोर्ड एक्ट की धारा 5, 6 और 8 को प्रविधानों को चुनौती देते हुए इसे संविधान के विपरीत बताया।

उन्होंने कहा कि यह भारत के मौलिक अधिकारों की धारा 14 का उल्लंघन है। कोर्ट ने जानना चाहा कि बोर्ड के अध्यक्ष पद पर आइएएस ही क्यों नियुक्त होते हैं। उप कुलपति, प्रोफेसर या अन्य किसी क्षेत्र के योग्य व्यक्ति को क्यों नहीं अध्यक्ष बनाया जाता है। याचिकाकर्ता ने सवाल उठाया है कि  बिना विज्ञापन, चयन समिति, बगैर प्रक्रिया के पालन किए ये नियुक्तियां कैसे हो सकती हैं। अगली सुनवाई 13 में को होगी। 

गया के पूर्व एसपी को हाईकोर्ट ने दी जमानत 

पटना हाईकोर्ट ने गया के पूर्व एसपी आदित्य कुमार को शराब बरामदगी से संबंधित मामले में अग्रिम जमानत दे दी। न्यायाधीश  सत्यव्रत वर्मा की एकलपीठ ने आदित्य कुमार द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें राहत दे दी। याचिकाकर्ता के वरीय अधिवक्ता एनके अग्रवाल ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू करने की जिम्मेदारी जिले के डीएम और एसपी को दी गई है, लेकिन डीएम और एसपी हर जगह हर समय मौजूद नहीं रहते हैं।

इस मामले में थाना ने शराब बरामदगी के बाद प्राथमिकी दर्ज नहीं की। जब इसकी बात की जानकारी पूर्व एसपी को मिली तो उन्होंने प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश थाना को दिया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि शराबबंदी मामले में राज्य के नौकरशाह डरे हुए हैं। उन्होंने तर्क दिया कि कोई भी थाना कब और कहां शराब जब्त करता है, इसकी जानकारी जिला के एसपी को तब तक नहीं होती है, जब तक कि संबंधित थाना सूचित नहीं करता है। उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया कि अगर कोई जिले के एसएसपी-एसपी, डीएम और कमिश्नर के घर में बोतल फेंक देगा तो उनके खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज हो सकती है। 

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