सीएम नीतीश ने जदयू नेताओं की लगाई पाठशाला, फीडबैक लेकर नेताओं को दिया टास्‍क; जानें...

सीएम नीतीश कुमार ने सुबह 11 बजे से दोपहर ढाई बजे तक जदयू पदाधिकारियों के साथ की वीडियो कांफ्रेंसिंंग। राज्य कार्यकारिणी के सदस्य प्रकोष्ठ अध्यक्ष व पदाधिकारियों को दिए टास्क।

By Rajesh ThakurEdited By: Publish:Thu, 07 May 2020 06:41 PM (IST) Updated:Thu, 07 May 2020 06:41 PM (IST)
सीएम नीतीश ने जदयू नेताओं की लगाई पाठशाला, फीडबैक लेकर नेताओं को दिया टास्‍क; जानें...
सीएम नीतीश ने जदयू नेताओं की लगाई पाठशाला, फीडबैक लेकर नेताओं को दिया टास्‍क; जानें...

पटना, राज्य ब्यूरो। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को जदयू की राज्य कार्यकारिणी के सदस्यों, प्रकोष्ठ अध्यक्षों व पदाधिकारियों के साथ तीन चरणों में वीडियो कांफ्रेंसिंग की। इस दौरान उन्होंने पार्टी नेताओं से जमीनी हकीकत जानी। मुख्यमंत्री ने कोरोना को लेकर अपनी पार्टी के पदाधिकारियों को कई टास्क भी दिए। सभी को अलर्ट रहने को कहा। वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी व जल संसाधन मंत्री संजय झा भी मौजूद थे।

राशन कार्ड और राशन के वजन पर रहा अधिक जोर

मुख्यमंत्री ने जदयू के पदाधिकारियों को कहा कि राशन कार्ड को ले सरकार के स्तर पर हाल ही में जो निर्देश दिया गया है उनका अनुपालन किस स्तर पर हो रहा है इसकी जानकारी लें। राशन की दुकान से जो अनाज दिया जा रहा उसके वजन के बारे में अगर कोई शिकायत मिले तो तुरंत इस बारे में संबंधित पदाधिकारी को जानकारी दें। गरीबों को किसी तरह की शिकायत इस मामले में नहीं होनी चाहिए।

सर्वे में कोई परिवार छूटे नहीं इसका ध्यान रखें

मुख्यमंत्री ने कहा कि राशन कार्ड को लेकर जो सर्वे चल रहा है उस पर पूरा ध्यान रखें। सर्वे में कोई परिवार छूूट न जाए इसका ध्यान रखें। स्थानीय स्तर पर लोगों से इस बारे में पूछताछ करें कि उनका सर्वे हुआ या नहीं।

बिजली व रोजगार से जुड़ी योजनाओं की भी ली जानकारी

पार्टी नेताओं से मुख्यमंत्री ने यह भी पूछा कि उनके इलाके में बिजली की क्या स्थिति है? कितने घंटे बिजली आ रही? इसके अतिरिक्त कोरोना काल में ग्रामीण क्षेत्रों में शुरू हुई रोजगार योजनाओं की गति का भी फीडबैक लिया।

ट्रेन से प्रवासी कामगारों को मंगाने के फैसल पर भी हुई बात

मुख्यमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान यह भी बताया कि आखिरकार उन्होंने बस की जगह प्रवासी बिहारी कामगारों को ट्रेन से मंगाए जाने का फैसला क्यों लिया। उन्होंने कहा कि बस से मंगाना संभव ही नहीं था।

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