रामविलास का नामांकन दाखिल

By Edited By: Publish:Wed, 16 Apr 2014 04:01 AM (IST) Updated:Tue, 15 Apr 2014 07:53 PM (IST)
रामविलास का नामांकन दाखिल

हाजीपुर: हाजीपुर सुरक्षित संसदीय क्षेत्र से सात बार एमपी रहे लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान ने मंगलवार को सोलहवीं लोकसभा चुनाव के लिए अपनी नामजदगी का पर्चा दाखिल किया। वे यहां अपनी पत्नी रीना पासवान, भाई रामचंद्र पासवान एवं पुत्र चिराग पासवान के साथ पहुंचे थे। बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा. सीपी ठाकुर, राष्ट्रीय महासचिव राजीव प्रताप रूडी, रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा समेत भाजपा, लोजपा और रालोसपा के कई प्रमुख नेता उनके नामांकन के बाद यहां आयोजित सभा में उपस्थित हुए।

मंगलवार को दोपहर बाद करीब पौने दो बजे पासवान हाजीपुर के निर्वाची पदाधिकारी सह डीएम विनोद सिंह गुंजियाल के दफ्तर पहुंचे और वहां नामांकन दाखिल किया। निर्वाची पदाधिकारी के चैंबर में उनके प्रस्तावक एवं हाजीपुर के भाजपा विधायक नित्यानंद ही दाखिल हुए। मुख्य गेट से बाहर ही उनकी पत्नी, पुत्र समेत परिवार के लोग और काफी संख्या में मौजूद समर्थकों को रोक दिया गया। नामांकन दाखिल करने के बाद मीडिया से मुखातिब पासवान ने कहा कि इस बार जीतने के लिए नहीं बल्कि अपना पुराना रिकार्ड तोड़ने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। मोदी के पक्ष में लहर है और जाति-धर्म के सारे बंधन टूट चुके हैं। मोदी को पीएम बनने से देश की कोई ताकत रोक नहीं सकती। बताते चलें कि पासवान 1977 के बाद से हाजीपुर से सात टर्म सांसद रह चुके हैं। हाजीपुर से पहली बार भारतीय लोकदल से 1977 में वे सांसद चुने गये थे। उसके बाद दोबारा जेपीएस पार्टी से 1980 में वे एमपी चुने गये। वर्ष 1984 के चुनाव में रामरतन राम के हाथों उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा। लेकिन फिर 1989 के चुनाव में जनता दल के टिकट पर वे चुनाव जीते। 1991 में हाजीपुर से रामसुंदर दास को टिकट मिला और वे जीते। पासवान रोसड़ा से चुनाव जीते थे। 1996 एवं 1998 में जनता दल के टिकट पर पासवान हाजीपुर से जीते। 1999 में जदयू एवं 2004 में लोजपा के टिकट पर पासवान हाजीपुर से जीते। 2009 के चुनाव में वे रामसुंदर दास के हाथों पराजित हुए। फिर आसन्न लोकसभा चुनाव में उन्होंने नामांकन दाखिल किया है। पासवान के नाम संसदीय चुनाव का दो रिकार्ड है। 1977 में कांग्रेस के उम्मीदवार बालेश्वर राम को उन्होंने 82.8 प्रतिशत वोटों के अंतर से हराया था। इसे लेकर गिनिज बुक आफ द व‌र्ल्ड रिकार्ड में उनका नाम दर्ज हुआ था। यह पहला मौका था जब संसदीय चुनाव में हाजीपुर को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली थी। दूसरी बार 1989 में वे 89 प्रतिशत वोटों के अंतर से जीते थे और उस बार भी अपने खुद के रिकार्ड को तोड़ा था।

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