पूर्वी चंपारण के इस सिद्धपीठ से देश-विदेश के श्रद्धालुओं की गहरी आस्था जुड़ी, धार्मिक पर्यटन मानचित्र पर लाने की है जरूरत

पूर्वी चंपारण जिले के अरेराज स्थित जलपा भवानी मंदिर में दर्शन-पूजन को स्थानीय सहित उत्तर प्रदेश और नेपाल तक से श्रद्धालु पहुंचते हैं। लेकिन यहां समुचित संसाधनों की किल्लत है।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Thu, 10 Sep 2020 09:27 AM (IST) Updated:Thu, 10 Sep 2020 09:27 AM (IST)
पूर्वी चंपारण के इस सिद्धपीठ से देश-विदेश के श्रद्धालुओं की गहरी आस्था जुड़ी, धार्मिक पर्यटन मानचित्र पर लाने की है जरूरत
पूर्वी चंपारण के इस सिद्धपीठ से देश-विदेश के श्रद्धालुओं की गहरी आस्था जुड़ी, धार्मिक पर्यटन मानचित्र पर लाने की है जरूरत

पूर्वी चंपारण, [ विजयेंद्र कुमार मिश्रा]। पूर्वी चंपारण जिले का अरेराज धार्मिक, आध्यात्मिक दृष्टि से काफी प्रशस्त क्षेत्र है। यहां के प्राचीन सोमेश्वर नाथ शिवालय से लोगों की आस्था गहरे जुड़ी है। इसी तरह सिद्धपीठ जलपा भवानी मंदिर में भी दर्शन-पूजन को स्थानीय और आसपास के श्रद्धालु पहुंचते हैं। लेकिन संसाधनों की कमी और व्यापक प्रचार-प्रसार के अभाव में यह इलाका अभी भी देश-दुनिया की नजरों से ओझल ही है। धार्मिक पर्यटन के लिहाज से इसके विकास की दरकार है।

नेपाल तक से लोग पहुंचते

सिद्धपीठ जलपा भवानी मंदिर में नवरात्र के मौके पर विशाल मेला लगता है। नेपाल तक से बड़ी तादाद में लोग यहां पहुंचते हैं। निर्जन इलाके में एक आम के बगीचे में जलपा भवानी मंदिर अवस्थित है। दूर-दूर से आए तंत्र साधक यहां साधना में लीन रहते हैं।

कृष्ण पक्ष की नवमी को होता दीप उत्सव

यहां जलपा माता पिंड स्वरूप में हैं, जिनका दर्शन व पूजन भक्त करते हैं। मुख्य पुजारी सुरेंद्र मिश्र का कहना है कि माता का प्रत्येक दिन रात्रि में भव्य श्रृंगार किया जाता है। प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की नवमी को यहां दीप उत्सव मनाया जाता है। इसमें मन्नत पूरी होने वाले भक्त पहुंचकर दीप जलाते हैं। उस अवसर पर माता की वृहद पूजा की जाती है।

संसाधनों की है किल्लत

बाहर से आने वाले भक्तों के लिए यहां आवश्यक संसाधनों की कमी के चलते परेशानी उठानी पड़ती है। माता के दरबार में बड़ी संख्या में आने वाले भक्तों को ठहरने, शौचालय व पानी की कमी झेलनी पड़ती है।

समाजसेवी करते मदद

अरेराज व हरदिया गांव के युवकों व समाजसेवियों द्वारा बाहर से आने वाले भक्तों की मदद की जाती है। वे पड़ोसी देश नेपाल, पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र और आसपास के जिलों से आने वाले लोगों को आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं।

रास्ते की कमी हुई पूरी

मुख्य मार्ग से मंदिर तक जाने के लिए रास्ते की भी कमी थी। तत्कालीन अनुमंडल पदाधिकारी धीरेंद्र कुमार मिश्र ने पहल कर अतिक्रमित सड़क को खाली कराकर रास्ता बनवाया था। जल-जीवन-हरियाली योजना के तहत बगीचे का सौंदर्यीकरण व शौचालय निर्माण के आश्वासन को अभी मूर्त रूप नही दिया जा सका है। 

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