बेति‍या में युवाओं के मनोरंजन की खास व्‍यवस्‍था, हर कोई कर रहा तारीफ

रामकथा से बच्चे व युवा सीख रहे संस्कार। बेतिया के महनाकुली गांव के मंदिर में सप्ताह में दो दिन सनातन धर्म व संस्कृति पर होती चर्चा। बीते तीन वर्षों से चल रहा अभियान बच्चों पर पड़ रहा इसका सकारात्मक प्रभाव।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Fri, 11 Mar 2022 07:43 AM (IST) Updated:Fri, 11 Mar 2022 07:43 AM (IST)
बेति‍या में युवाओं के मनोरंजन की खास व्‍यवस्‍था, हर कोई कर रहा तारीफ
गांव के 150 युवा व बच्‍चे इसमें हो रहे शाम‍िल। फोटो : जागरण

बेतिया (पश्चिम चंपारण), [मनोज कुमार मिश्र]। बदलते परिवेश में बच्चे संस्कार से दूर होते जा रहे हैं। पाश्चात्य संस्कृति उन पर इस कदर हावी है कि अपनी संस्कृति को ही भूलते जा रहे हैं। बच्चे व युवा धर्म और संस्कृति से जुड़ सकें, इसके लिए बेतिया के चनपटिया प्रखंड के महनाकुली गांव में अभियान चलाया जा रहा है। गांव के हनुमान मंदिर में हर सोमवार और शुक्रवार को शाम के समय दो घंटे रामकथा का आयोजन होता है। इसमें गांव के करीब 150 युवा व बच्चे शामिल होते हैं। रामकथा के बाद आधे घंटे संस्कार का पाठ पढ़ाया जाता है। इस काम के लिए दो दर्जन लोगों की एक टीम है। करीब दो हजार आबादी वाले इस गांव में एक मंडली भी है जो रामकथा का मंचन करती है।

सोमवार व शुक्रवार को वि‍शेष आयोजन

बेतिया-नरकटियागंज मुख्य पथ के किनारे स्थित इस गांव के बीचोंबीच मां भगवती, हनुमान और भगवान विश्वकर्मा का मंदिर है। इस मंदिर परिसर में प्रत्येक सोमवार और शुक्रवार को दिन ढलते ही पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ भजन-कीर्तन और राम कथा का वाचन शुरू हो जाता है। उसके बाद युवाओं को आधे घंटे तक संस्कार के पाठ पढ़ाए जाते हैं। इसमें धर्म और अध्यात्म पर चर्चा होती है। भगवान राम, कृष्ण, बुद्ध और महावीर की कहानियां सुनाई जाती हैं। स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी जैसे महापुरुषों के जीवन चरित्र से अवगत कराया जाता है। इनके चरित्र से सीख लेने की नसीहत दी जाती है। यह अभियान तीन वर्षों से चल रहा है, जिसका बच्चों पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। अब वे संस्कारों में ढलने लगे हैं। बड़ों के पैर छूने के साथ इज्जत देते हैं। लोगों के सहयोग के लिए आगे आते हैं।

बदल रही युवाओं की सोच

गांव के पूर्व मुखिया बबलू पांडेय कहते हैं, संस्कारशाला से युवाओं का सोच बदला है। वे बड़ों का सम्मान करने लगे हैं। पूजा-पाठ में उनका मन लगने लगा है। पहले छोटी-मोटी बात पर गांव में लड़ाई हो जाती है। अब ऐसा नहीं है। युवा मुकेश कुमार कहते हैं कि यहां आध्यात्मिक ज्ञान के साथ संयमित जीवनशैली के बारे में बताया जाता है। इससे काफी लाभ मिला है। आशुतोष कुमार कहते हैं कि रामकथा से मन को शांति मिलती है। पहले देर तक सोता रहता था। अब पौ फटने के पहले ही बिस्तर छोड़ देता हूं। नित्यकर्म के साथ पूजा-पाठ करता हूं।

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