Muzaffarpur: पहले एंटीजन किट फिर किडनी कांड...और अब नसबंदी के दौरान मूत्रनली काटने को लेकर चर्चा में बना सकरा

Muzaffarpur Sakra Quack Doctors दो साल पूर्व कोरोना काल में एंटीजन किट घोटाले को लेकर सकरा चर्चा में आया था। अभी कुछ महीने से सुनीता किडनी प्रकरण को लेकर इलाका चर्चा में है और अब एक झोलाछाप डॉक्टर द्वारा मरीज पिंकी की मूत्रनली निकालने की घटना सामने आई है।

By M RahmanEdited By: Publish:Tue, 28 Mar 2023 06:19 PM (IST) Updated:Tue, 28 Mar 2023 06:19 PM (IST)
Muzaffarpur: पहले एंटीजन किट फिर किडनी कांड...और अब नसबंदी के दौरान मूत्रनली काटने को लेकर चर्चा में बना सकरा
मुजफ्फरपुर में दर्जनों अवैध नर्सिंग होम, एंटीजन किट और किडनी कांड के बाद अब मूत्रनली काटने पर चर्चा में सकरा।

जागरण संवाददाता, सकरा (मुजफ्फरपुर): दो साल पूर्व कोरोना काल में एंटीजन किट घोटाले को लेकर सकरा चर्चा में आया था। दूसरी बार अभी कुछ महीने से सुनीता किडनी प्रकरण को लेकर इलाका चर्चा में बना हुआ है और अभी यह मामला थमा भी नहीं था कि तीसरी घटना भी हो गई। हालिया मामले में एक झोलाछाप डॉक्टर द्वारा नसबंदी के ऑपरेशन के दौरान मरीज पिंकी की मूत्रनली निकालने की घटना सामने आई है। इन घटनाओं से सकरा में एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग की बेबसी उजागर होने लगी है।

इन 3 मामलों से हो रही स्वास्थ्य विभाग की फजीहत

दो साल पहले एंटीजन किट मामले में स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों की संलिप्तता सामने आई थी। करीब चार हजार एंटीजन किट एक स्वास्थ्यकर्मी के ठिकाने से बरामद हुए थे। इस मामले ने उस समय कोरोना काल में खूब तूल पकड़ा था और फिर सुनीता किडनी प्रकरण और अब पिंकी की मूत्रनली काटने की तीसरी घटना से स्वास्थ्य विभाग की खूब फजीहत हो रही है।

दरअसल, जिस शुभकांत नर्सिंग होम में सुनीता का तथा श्रीधि सेवा सदन में पिंकी देवी का ऑपरेशन किया गया था, वह अवैध रूप से पिछले तीन वर्षों से चल रहा था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की नजर उसपर कभी नहीं गई। यहां तक कि नर्सिंग होम का रजिस्ट्रेशन भी नहीं था। सिर्फ एक बोर्ड लगाकर इसे नर्सिंग होम बना दिया गया। नर्सिंग होम में झोलाछाप डॉक्टरों को बुलाकर मरीज का इलाज किया जाता था और मोटी रकम ऐंठने का धंधा किया जा रहा था। उक्त तमाम मामलों में स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से मूकदर्शक बना रहा है।

उठ रहे कई सवाल 

अब सबसे बड़ा यह सवाल उठ रहा है कि क्या इस फर्जी नर्सिंग होम के बारे में स्थानीय पुलिस को जानकारी नहीं थी या स्वास्थ्य विभाग को इसका पता नहीं था? ऐसे में तो मरीज की जान से खिलवाड़ में पूरा महकमा भी बराबर का दोषी है। अगर एंटीजन किट एवं सुनीता किडनी कांड होने के बाद स्वास्थ्य विभाग सजग होता तो पिंकी के साथ इतनी बड़ी घटना नहीं होती। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के पास इन सवालों के कोई जवाब नहीं हैं।

फर्जी तरीके से चल रहे दर्जनों नर्सिंग होम

सकरा इलाका फर्जी नर्सिंग होम के लिए जाना जाता है। इससे पहले भी कई बार यहां जांच हुई है, लेकिन ठोस कारवाई नहीं होने के कारण आज भी कई नर्सिंग होम धड़ल्ले से चल रहे हैं। अक्सर विभिन्न नर्सिंग होम में इलाज में लापरवाही से मरीजों की मौत के मामले सामने आते रहे हैं। बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग ठोस कारवाई करने से कतराता रहा है। अब एक बार फिर से सभी नर्सिंग होम की लिस्ट तैयार की जा रही है, जिनपर कारवाई की जाएगी। सिविल सर्जन ने कहा कि जांच में जिस भी नर्सिंग होम में गड़बड़ी पकड़ी जायेगी, उसे बंद कर दिया जायेगा।

प्रखंड विकास पदाधिकारी आनंद मोहन ने सकरा में चल रहे अवैध नर्सिंग होम के खिलाफ सीएस को पत्र लिखा था एवं दूरभाष पर भी इसकी शिकायत की थी। उन्होंने कहा था कि सकरा क्षेत्र के विभिन्न चौक-चौराहों पर अवैध रूप से झोलाछाप डॉक्टरों के द्वारा नर्सिंग होम का संचालन किया जा रहा है। हालांकि, सीएस ने कार्रवाई का आश्वासन तो दिया, परंतु वह भी ढाक के तीन पात वाली कहावत बन कर रह गई है।

धरातल पर कम, कागज पर ज्यादा होती है कार्रवाई

सकरा थाना क्षेत्र के विभिन्न चौक-चौराहों पर चल रहे नर्सिंग होम में कई घटनाएं होती रहती हैं। यहां तक कि कई मरीजों की जान तक जा चुकी है, बावजूद इसके इन फर्जी नर्सिंग होम पर कोई कार्रवाई नहीं होती। घटना पर बवाल होने के बाद कार्रवाई की बात कागज पर तो होती है, परंतु धरातल पर जांच नहीं होती जिसके कारण निजी नर्सिंग होम के संचालकों का मनोबल बढ़ता चला जा रहा है।

हालांकि, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के द्वारा प्रत्येक सप्ताह क्षेत्र में चल रहे वैध एवं अवैध नर्सिंग होम की जांच करनी होती है, परंतु सच्चाई यह है कि इन तथाकथित नर्सिंग होम की जांच कागज पर ही होती है। अधिकारियों और निजी नर्सिंग होम के संचालकों की मिलीभगत के कारण कोई कार्रवाई नहीं हो पाती, जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ता है।

एंटीजन किट मामले में होती कार्रवाई तो नहीं बढ़ता मनोबल

कोरोना काल में सकरा के रेफरल अस्पताल एवं मुजफ्फरपुर के सदर अस्पताल के कर्मियों की मिलीभगत से चार हजार किट की हेराफेरी की गई। पुलिस ने कार्रवाई कर जो किट बरामद की, वो आज भी सकरा थाना के माल खाने में जब्त पड़ी हुई है। रेफरल अस्पताल सकरा एवं मुजफ्फरपुर के सदर अस्पताल से जुड़े हुए संविदा पर बहाल कर्मी जेल जाने के बावजूद भी काम कर रहे हैं। स्वास्थ्य महकमा उक्त मामले में संविदा कर्मियों पर कार्रवाई करता तो सुनीता एवं पिंकी जैसी घटना क्षेत्र में नहीं घटती।

थाने से सौ मीटर का रेडियस झोलाछाप डॉक्टरों के लिए सेफ जोन

थाना क्षेत्र से 100 मीटर का रेडियस अवैध नर्सिंग होम संचालकों के लिए सेफ जोन माना जा रहा है। सकरा रेफरल अस्पताल एवं सकरा थाना से सटे सबहा रोड, सुजावलपुर चौक, निमतल्ला चौक, बरियारपुर थाना क्षेत्र के बरियारपुर, मोहम्मदपुर, भर्तीपुर, बाजी चौक, कटेसर समेत विभिन्न चौक-चौराहे थाना क्षेत्र के 100 मीटर के रेडियस में आते हैं जहां दर्जनों निजी नर्सिंग होम चल रहे हैं। पुलिसकर्मियों की नजर वैसे तो इन अवैध रूप से चल रहे नर्सिंग होम पर पड़ती है, लेकिन वह इस मामले को अपने दायरे से बाहर समझते हैं जिस कारण कार्रवाई नहीं होती।

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