दो दर्जन से अधिक गांवों की सड़कें वर्षों से जर्जर, लोगों को परेशानी झेलने की मजबूरी

बारिश के दिनों में सड़क पर पैदल चलना भी मुश्किल। कई बार हुआ धरना-प्रदर्शन। नहीं सुधरी सड़क की सेहत। इस मार्ग में दुर्घटनाओं का होना आम बात हो चुकी है।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Tue, 14 May 2019 09:19 AM (IST) Updated:Tue, 14 May 2019 09:19 AM (IST)
दो दर्जन से अधिक गांवों की सड़कें वर्षों से जर्जर, लोगों को परेशानी झेलने की मजबूरी
दो दर्जन से अधिक गांवों की सड़कें वर्षों से जर्जर, लोगों को परेशानी झेलने की मजबूरी

दरभंगा, जेएनएन। जिले के कुशेश्वरस्थान प्रखंड क्षेत्र के दक्षिण भाग को जोडऩे वाली लाइफ लाइन सतीघाट-राजघाट एवं समैला-झझड़ा मार्ग पिछले आठ वर्षों से जर्जर स्थिति में है। यह सड़क अब लोगों के लिए जानलेवा बन चुका है। आए दिन इस मार्ग में दुर्घटनाओं का होना आम बात हो चुकी है। बावजूद, इस सड़क के निर्माण को लेकर जनप्रतिनिधि से लेकर प्रशासन तक उदासीन बना हुआ है। इस जर्जर सड़क की सुध लेने वाला कोई नहीं। लोकसभा चुनाव में यह जर्जर सड़क आमलोगों के लिए बड़ा चुनावी मुद्दा बन कर सामने आया है।

  बता दें कि प्रखंड के दक्षिणी भाग में स्थित हरौली, बडग़ांव, गोठानी वरना, पकाही-झझड़ा व चिगड़ी-सिमराहा पंचायत के दो दर्जन से अधिक गांवों को प्रखंड, अनुमंडल व जिला मुख्यालय से जोडऩे वाला मुख्य मार्ग है। साथ ही समस्तीपुर जिला के कई पंचायत भी इस मार्ग से जुड़े हुए हैं। 12 किलोमीटर लंबी इस सड़क का वर्ष 2009-10 में कालीकरण हुआ था तो लोगों को एक उम्मीद जगी थी कि अब उन्हें सड़क की समस्या से निजात मिलेगी। लेकिन, लोगों की ये उम्मीदे सड़क निर्माण के कुछ ही वर्ष बाद काफूर हो गई।

  ठेकेदार द्वारा घटिया निर्माण किए जाने से सड़क का पीच जल्द ही उखडऩे लगा। समय पर सड़क की मरम्मत भी नहीं हुई। धीरे-धीरे सड़क से चारकोल की परत गायब हो गई और सड़क में छोटे-छोटे गड्ढ़े बन गए। वाहनों के भारी दबाव व बारिश होने पर गढ्ढे में पानी जमा हो जाने से अब छोटे-छोटे गड्ढ़े व जानलेवा हो गए हैं। हालत यह बन गई है कि सड़क पर गड्ढ़ा है या गड्ढ़े में सड़क, फर्क करना मुश्किल है। बारिश के दिनों में तो सड़क झील में तब्दील हो जाती है। ऐसी स्थिति में इस सड़क पर वाहन की बात तो दूर, पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है।

किसानों को हो रहा नुकसान

कुशेश्वरस्थान दोनों प्रखंड में मक्के की खेती व्यापक पैमाने पर होती है। साथ ही हसनपुर बाजार मक्के के लिए प्रमुख व्यवसायिक केंद्र है। कुशेश्वरस्थान दोनों प्रखंड के किसान अपने मक्के को बेचने के लिए हसनपुर बाजार ले जाते हैं। लेकिन, सड़क जर्जर रहने से वाहन मालिक हसनपुर जाने के लिए तैयार नहीं होते हैं। ऐसी स्थिति में यहां के किसानों को गांव में ही बिचौलियों के हाथों औने-पौने दामों में अपना मक्का बेचना पड़ता है।

  इस सड़क की बदहाली को देखते हुए स्थानीय लोगों ने जनप्रतिनिधियों के माध्यम से सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाई। साथ ही विभिन्न राजनीतिक दलों ने इसके लिए धरना-प्रदर्शन भी किया। इसके बाद जनप्रतिनिधियों एवं विभागीय अधिकारियों के आश्वासन तो मिले, लेकिन सड़क की स्थिति जस की तस है।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप

chat bot
आपका साथी