विभागीय कार्रवाई में दोषी पाए जाने के बाद दंड निर्धारण लंबित होने पर डीएम ने जताई नाराजगी

जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने स्थापना शाखा का निरीक्षण किया।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 23 Dec 2020 01:42 AM (IST) Updated:Wed, 23 Dec 2020 01:42 AM (IST)
विभागीय कार्रवाई में दोषी पाए जाने के बाद दंड
निर्धारण लंबित होने पर डीएम ने जताई नाराजगी
विभागीय कार्रवाई में दोषी पाए जाने के बाद दंड निर्धारण लंबित होने पर डीएम ने जताई नाराजगी

मुजफ्फरपुर : जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने स्थापना शाखा का निरीक्षण किया। इस दौरान सभी पंजियों का अवलोकन किया। इसमें लिपिक, चालक, जनसेवक, कार्यालय परिचारी के 1006 पद हैं। लेकिन, इसके विरुद्ध 510 कर्मी कार्यरत हैं। वर्तमान में 496 पद रिक्त हैं। लगभग स्वीकृत पद के 50 फीसद कर्मी पर स्थापना शाखा द्वारा कार्य किया जा रहा है। डीएम ने कहा कि सभी रिक्त पदों के विरुद्ध बहाली के लिए विभाग को लिखा गया है। कार्यरत बल की संख्या कम होने के कारण ससमय कायरें के निष्पादन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। बता दें कि स्थापना शाखा का निरीक्षण 1986 में तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त व 1981 में तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा किया गया था। करीब चार दशक बाद किसी डीएम द्वारा निरीक्षण किया गया है। वहीं 1988 में कार्यालय अधीक्षक द्वारा निरीक्षण हुआ था। जिलाधिकारी ने स्थापना उप समाहर्ता और कार्यालय अधीक्षक द्वारा साल में कम से कम एक बार नियमित रूप से निरीक्षण का निर्देश दिया। निरीक्षण के दौरान पता चला कि एक पदाधिकारी एवं लिपिक संवर्ग के आठ कर्मियों पर विभागीय कार्रवाई प्रक्रियाधीन है। इसमें से तीन में सुनवाई के बाद संचालन अधिकारी (अपर समाहर्ता विभागीय जांच) का आदेश प्राप्त हो चुका है। जिसके विरोध में दंड की प्रक्रिया की जा रही है। शेष पांच मामले में अपर समाहर्ता विभागीय जांच को विभागीय कार्रवाई का निष्पादन समय से करने का निर्देश दिया गया है। यह बात भी सामने आई कि 2016 में तत्कालीन गायघाट प्रखंड के नाजिर पंकज कुमार द्वारा पेंशन वितरण के लिए बैंक से 20 लाख रुपये की राशि निकासी कर लाने के दौरान रास्ते में ही राशि की लूट हो गई थी। विभागीय कार्रवाई में उन्हें दोषी पाया गया। उनका आचरण संदिग्ध पाया गया। 2018 में ही विभागीय कार्रवाई पूरी हो चुकी थी। दंड निर्धारण की प्रक्रिया अभी तक लंबित होने पर डीएम ने नाराजगी प्रकट की। उन्होंने तीन दिनों के अंदर दंड का निर्धारण कर राशि की वसूली की कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

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