पब्लिक करे तो 'पाप', साहब के लिए 'माफ'

मुजफ्फरपुर : पब्लिक कानून का उल्लंघन करे तो वो 'पाप' बन जाता है। उन्हें जुर्माना भरना पड़ता है। मगर,

By Edited By: Publish:Wed, 25 Nov 2015 02:13 AM (IST) Updated:Wed, 25 Nov 2015 02:13 AM (IST)
पब्लिक करे तो 'पाप', साहब के लिए 'माफ'

मुजफ्फरपुर : पब्लिक कानून का उल्लंघन करे तो वो 'पाप' बन जाता है। उन्हें जुर्माना भरना पड़ता है। मगर, पुलिस-प्रशासन के अधिकारी तोड़ते हैं तो उन पर कार्रवाई नहीं होती। जिले में परिवहन कानून कानून उल्लंघन पर दोहरा मापदंड है। डंडा सिर्फ सामान्य लोगों पर ही चल रहा है। ऊंची पहुंच वाले, पुलिसकर्मी, प्रशासनिक अधिकारियों के मसले पर विभाग चुप्पी साध लेता है। जांच अभियान में भी इन पर नजरे इनायत होती है। कार्रवाई की जद में बाइक, ऑटो, जीप, पिकअप चालक ही आते हैं।

पुलिस वाले रौंद रहे कानून

परिवहन कानून तोड़ने में पुलिस वाले सबसे आगे हैं। ये अपने निजी वाहनों के नंबर प्लेट को लाल-ब्लू रंग देकर उस पर पुलिस लिख कर चलते हैं। बेटे-बेटियां ऐसे वाहनों से स्कूल-कॉलेज जाते हैं। महिला कॉलेजों के पास पुलिस लिखे वाहनों पर ट्रिपल सवारी में युवाओं को हुड़दंग करते देखा जा सकता है। परिवहन एक्ट के अनुसार, नंबर प्लेट पर कुछ भी लिखना या सरकारी रंग देना वर्जित है। केवल ऐसे वाहनों पर ही पुलिस लिखा जा सकता है, जिनका उपयोग सरकारी स्तर से होता हो। दोपहिया वाहन सवार पुलिसकर्मी हेलमेट लगाना तौहीन समझते हैं। वर्दी का रौब परिजन व रिश्तेदार भी दिखाते हैं।

वीआइपी लाइट के

शौक में कानून की हेठी

कई अधिकारी वीआइपी लाइट के शौक में कानून की हेठी करते हैं। ये अनाधिकृत रूप से अपने निजी वाहनों पर भी वीआइपी (नीली) बत्ती लगाते हैं। साहबों की मैडम बड़े शौक से ऐसे वाहनों से बाजार में खरीदारी करती नजर आती हैं।

इन्हें हैं अधिकार

परिवहन विभाग के प्रधान सचिव के आदेशानुसार, प्रमंडल में आयुक्त, आइजी, डीआइजी, डीजे, प्रधान न्यायाधीश/ समकक्ष, डीएम, एसपी, एडीजे, डीडीसी, अपर जिला दंडाधिकारी, सीजेएम, अनुमंडल दंडाधिकारी एवं एसडीपीओ नीली बत्ती के हकदार हैं।

वाहनों में धड़ल्ले से

काले शीशे का प्रयोग

सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नजरअंदाज करने वालों पर भी कार्रवाई नहीं होती। काफी संख्या में लोग अपने वाहनों में काला शीशा लगाकर चलते हैं। तत्कालीन डीटीओ ने ऐसे वाहनों के खिलाफ अभियान चलाया था। कई राजनीतिक पहुंच रखने वाले, अधिकारी, जनप्रतिनिधियों को जुर्माना हुआ। बाद में सब कुछ पूर्ववत हो गया।

इनसेट

किस एक्ट में कितना जुर्माना

-177 : वाहनों पर आगे डिम सहित या रहित लाल-पीली, नीली बत्ती का अनाधिकृत रूप से उपयोग : जुर्माना सौ से 300 तक

- 179 : आज्ञा का उल्लंघन, बाधा उत्पन्न करना या सूचना नहीं देना : जुर्माना 500 या एक माह जेल या दोनों।

180 : अप्राधिकृत व्यक्ति द्वारा गाड़ी चलाना : एक हजार तक जुर्माना या तीन माह तक कारावास या दोनों।

181 : ड्राइविंग लाइसेंस के बिना वाहन चलाना या नाबालिग द्वारा ड्राइविंग : 5 सौ जुर्माना या तीन महीने तक का कारावास।

182 : ड्राइविंग लाइसेंस से संबंधित अपराध : 5 सौ जुर्माना या तीन महीने तक का कारावास।

183 : निर्धारित स्पीड से अधिक वाहन चलाना : प्रथम अपराध पर 4 सौ एवं पुनरावृत्ति पर 1000 तक जुर्माना।

184 : खतरनाक तरीके से वाहन चलाना : प्रथम अपराध पर एक हजार तक जुर्माना या छह महीने का कारावास, पुनरावृत्ति पर 2 हजार जुर्माना या दो वर्ष के लिए कारावास।

185 : शराब या नशे की हालत में वाहन चलाना : पहली बार पर 2000 जुर्माना या छह माह के लिए कारावास, पुनरावृत्ति पर तीन हजार जुर्माना या दो वर्ष के लिए कारावास।

186 : मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं होने के बावजूद वाहन चलाना : पहली बार पर 200 एवं पुनरावृत्ति पर 500 जुर्माना

187 : दुर्घटना करना : प्रथम बार के लिए 5 सौ जुर्माना या तीन महीने का जेल, पुनरावृत्ति पर 1000 जुर्माना या छह माह का कारावास।

189 : गाड़ी की रेस लगाना : 500 जुर्माना या एक माह का कारावास।

190 : असुरक्षित वाहन का प्रयोग : 250 जुर्माना या तीन महीने का कारावास या 1000 जुर्माना या दोनों।

कोट

'चुनाव को लेकर अभियान नहीं चल पा रहा था। अब एक बार फिर वाहन जांच अभियान शुरू किया जाएगा। कानून तोड़ने वालों पर नियमानुसार कार्रवाई होगी।'

जयप्रकाश नारायण, जिला परिवहन पदाधिकारी, मुजफ्फरपुर।

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