शोषण के विरुद्ध लोगों को जागरूक कर रही अभिलाषा

मधेपुरा। वास्तव में शोषण के विरुद्ध अधिकार का उद्देश्य एक वास्तविक सामाजिक लोकतंत्र की स्थापना क

By JagranEdited By: Publish:Wed, 22 Jan 2020 11:37 PM (IST) Updated:Thu, 23 Jan 2020 06:10 AM (IST)
शोषण के विरुद्ध लोगों को जागरूक कर रही अभिलाषा
शोषण के विरुद्ध लोगों को जागरूक कर रही अभिलाषा

मधेपुरा। वास्तव में शोषण के विरुद्ध अधिकार का उद्देश्य एक वास्तविक सामाजिक लोकतंत्र की स्थापना करना है। समाज में सदियों से किसी न किसी रूप में दास प्रथा विद्यमान रही है। संविधान में भी नागरिकों को शोषण के विरुद्ध अधिकार प्रदान किया गया है। वर्तमान परिदृश्य में एक ओर समाज में बेटा-बेटी के बीच अंतर समझकर भ्रूण हत्या और बच्चे के जन्म के बाद भावनात्मक रूप से खासकर मां-बाप द्वारा बेटियों का शोषण किया जा रहा है। वहीं शोषण के विरुद्ध अभिलाषा लोगों को जागरूक करने का काम कर रही है। उदाकिशुनगंज प्रखंड क्षेत्र के खाड़ा के वार्ड संख्या 13 सुखासनी गांव की कुमारी अभिलाषा आंगनबाड़ी सेविका पद पर कार्यरत है। वह पिछले 15 वर्षों से विभागीय कार्य निष्पादन के साथ समाजिक कार्य में भी रुचि रख रही है। गांव के आसपास के लोगों को जागरूक करने का हरसंभव प्रयास कर रही है। यद्यपि शुरुआत में उनकी अभिरुचि महिलाओं को शिक्षित करने का रहा है। खगड़िया के विभिन्न स्कूलों में बेसिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद कोसी महाविद्यालय से इंटर की परीक्षा पास की। उसके बाद उन्होंने स्नातक भी पास की। इस दौरान इनकी शैक्षणिक अभिरुचि कम नहीं हुई। सेविका कुमारी अभिलाषा कुशल गृहणी के रूप में कार्य करते हुए जिला साक्षरता अभियान में संयोजिका के रूप में सात वर्षों तक काम किया। वर्ष 2004 में वह सेविका पद के लिए चयनित हुई। वर्तमान समय में पोषक क्षेत्र के बच्चों को स्कूल पूर्व शिक्षा देने के साथ-साथ गृह भ्रमण के दौरान जच्चा और बच्चा को उसके स्वास्थ्य व पोषण की जानकारी देने के साथ-साथ महिलाओं और युवतियों को जागरूक और जिम्मेदार नागरिक बनने की भी पहल कर रही है। शोषण के विरुद्ध उनके द्वारा किए जा रहे जागरूकता अभियान की चर्चा चाहुंओर हो रही है। उनके अभियान में दर्जनों महिलाएं शामिल है। अभियान का प्रतिफल रहा कि सैकड़ों लोगों को उनका अधिकार मिला। बतौर अभिलाषा कहती है कि समाज में ऐसे लोग हैं। जहां हर तबके के लोगों का शोषण करने में लगे हुए हैं। शोषक इतने पहुंच वाले होते है कि लोग उसका प्रतिकार नहीं कर पाते हैं। जबकि प्रतिकार करने की जरूरत है। ताकि लोग स्वावलंबी बन सके। अभिलाषा बताती है कि वह अपने मुहिम को आगे भी जारी रखे।

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