बढ़ते तापमान व कोहरे की कमी का गेहूं उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव

मोतिहारी। वर्तमान मौसम गेहूं की फसल पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। दिसंबर से जनवरी महीने में गेहूं

By JagranEdited By: Publish:Sat, 19 Jan 2019 06:18 AM (IST) Updated:Sat, 19 Jan 2019 06:18 AM (IST)
बढ़ते तापमान व कोहरे की कमी का गेहूं उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव
बढ़ते तापमान व कोहरे की कमी का गेहूं उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव

मोतिहारी। वर्तमान मौसम गेहूं की फसल पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। दिसंबर से जनवरी महीने में गेहूं की फसल के लिए ठंड बहुत जरूरी है। लेकिन, इस बार तापमान बढ़ने और कोहरा नहीं पड़ने से गेहूं का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। पीपराकोठी कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. अर¨वद कुमार बताते हैं कि जिस तरह इस बार तापमान लगातार बढ़ रहा है। इसका सीधा असर गेहूं की फसल पर पड़ेगा। इससे गेहूं में कल्लों की संख्या कम हो सकती है। साथ ही पौधों की समुचित वृद्धि नहीं हो पाएगी। जिसका असर गेहूं के उत्पादन पर पड़ेगा। दिसंबर और जनवरी महीने में कड़ाके की ठंड पड़ती है। गेहूं की फसल में ठंड से ही पौधों और दानों में वृद्धि होती है। इस बार दिन का तापमान बढ़ा है। रात के तापमान में भी गिरावट आई है। सबसे अच्छी व्यवस्था यह है कि गेहूं के बढ़ते समय नमी रहे और ठंडा कायम रहे। पकते समय शुष्क और गर्म मौसम का होना जरूरी है। गर्म मौसम दानों के ठीक से पकने में मदद करता है। बढ़ते समय और बाली निकलने के दौरान जरूरत से ज्यादा उच्च तापमान या सूखे की स्थिति गेहूं के लिए नुकसानदायक हो जाता है। गेहूं को नुकसान तो अन्य फसल को होगा लाभ

दिसंबर और जनवरी में दिन के तापमान में काफी बढ़ोतरी रही है। गेहूं की फसल के लिए आवश्यक तापमान से अभी 4 से 6 डिग्री ज्यादा चल रही है। इसका प्रतिकूल असर गेहूं की फसल पर हो सकता है। दिन और रात के तापमान में असमानता भी इसका कारण हो सकती है। तापमान की वृद्धि से गेहूं की फसल पर तो असर पड़ेगा, लेकिन मटर, आलू आदि को लाभ होगा। आमतौर पर गेहूं की विभिन्न प्रजातियों की लंबाई 80 से 130 सेमी तक होती है और ये प्रजातियां 90 से 145 दिनों में तैयार होती हैं। अगेती किस्म के गेहूं में भी जनवरी के आखिरी सप्ताह से लेकर फरवरी के प्रथम सप्ताह तक बालियां निकलती हैं। ऐसे बचाव कर सकते हैं किसान

मौसम के जानकार व केविके फार्म मैनेजर मनीष कुमार ने बताया कि इस तरह के मौसम होने पर किसानों को फसलों की सुरक्षा को ले शिविर आयोजित कर जानकारी दी जाती है। ऐसे मौसम में किसान खेतों में नमी की कमी नहीं होने दें। ऐसी स्थिति में किसान 20 दिनों के अंतराल पर ¨सचाई कर सकते हैं। इससे फसलों को होने वाले नुकसान को बहुत हद तक बचाया जा सकता है।

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