शहर में एंट्री के लिए लाखों की आबादी के सामने रेलवे गुमटी का ब्रेक

दरभंगा शहर मूल रूप से रेलवे लाइन के पश्चिम भाग में अवस्थित है। बीते दशकों में रेलवे लाइन के पूरबी भाग में शहर का विस्तार काफी तेजी से हुआ है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 05 Apr 2019 01:46 AM (IST) Updated:Fri, 05 Apr 2019 01:46 AM (IST)
शहर में एंट्री के लिए लाखों की आबादी के सामने रेलवे गुमटी का ब्रेक
शहर में एंट्री के लिए लाखों की आबादी के सामने रेलवे गुमटी का ब्रेक

दरभंगा । दरभंगा शहर मूल रूप से रेलवे लाइन के पश्चिम भाग में अवस्थित है। बीते दशकों में रेलवे लाइन के पूरबी भाग में शहर का विस्तार काफी तेजी से हुआ है। हालांकि, शहरी सुविधाओं का अब तक उस अनुपात में विस्तार नहीं हो पाया है। रेलवे लाइन के पूरब कई नई कॉलोनियां बस चुकी है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों की बड़ी आबादी भी है। कविलपुर, बाबू साहेब कॉलनी, आरएस टैंक, सुंदरवन, बहादुरपुर, रामपुर, डरहार, गोविदपुर, गंगापट्टी, सलहा, कुशोथर, सिनुआर गोपाल, बांकीपुर, मनोरा, अंदामा, फेकला आदि दर्जनों गांवों के लोगों के लिए शहर में प्रवेश करने का एकमात्र रास्ता लहेरियासराय गुमटी से होकर गुजरता है। लेकिन, इसे पार करने में हजारों की आबादी प्रतिदिन हलकान हो रही है। लहेरियासराय स्टेशन की गुमटी बंद रहने की स्थिति में लोगों को रोज घंटों जाम का सामना करना पड़ रहा है। दोपहिया वाहनों के लिए पहले स्टेशन पर स्थित फुट ओवरब्रिज एक विकल्प होता था, उसे भी रेलवे ने ध्वस्त कर दिया है। आरओबी का निर्माण स्वीकृत है, लेकिन अब तक उसका डीपीआर भी नहीं बन सका है। आज की तारीख में लाखों की आबादी के पास शहर में इंट्री का कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा।

24 घंटे में करीब 70 बार बंद होता है फाटक :

लहेरियासराय गुमटी का फाटक 24 घंटों में करीब 70 बार बंद होता है। कुछ ट्रेनें साप्ताहिक है और अक्सर मालगाड़ियां भी आती हैं। अगर साप्ताहिक ट्रेनों व मालगाड़ियों की आवाजाही ना भी हो, तब भी हर दिन करीब 60 बार फाटक का बंद होना निश्चित है। एक बार फाटक बंद होने पर उसे खुलने में करीब दस से पंद्रह मिनट लगते हैं। इतनी देर में गाड़ियों की कतार लग जाती है। आवागमन में कितनी असुविधा होती होगी इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।

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सुबह व शाम में सबसे अधिक परेशानी :

सबसे अधिक परेशानी सुबह व शाम के समय होती है। सुबह में 5 से 11 बजे तक कई गाड़ियां गुजरती हैं। इस समय स्कूली बच्चों व नौकरीपेशा लोगों को निकलने की जल्दी होती है। अगर गुमटी पर फंस गए तो देर होना तय है। वहीं शाम के समय साढ़े तीन से साढ़े सात बजे तक फाटक बहुत कम अंतराल पर बंद होता है। उस समय बाजार में काफी भीड़ होती है। कई बार तो जाम के कारण फाटक गिराना मुश्किल हो जाता है। सुबह व शाम के समय शहर में प्रवेश करने या बाहर निकलने के लिए यह एकमात्र रास्ता इस गुमटी से होकर गुजरता है। हर दिन लोग यहां फंसने पर सरकार व नेताओं को कोसते हैं जो केवल वादे करते हैं, उन्हें पूरा करने का संकल्प नहीं दिखाते।

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फाटक बंद होने पर लगाना पड़ता फेरा :

शहर में प्रवेश का दूसरा कोई मार्ग नहीं होने के कारण गुमटी बंद रहने की स्थिति में लोग कई किलोमीटर घूम कर ही शहर में प्रवेश कर पाते हैं। गुमटी बंद रहने पर लोग अक्सर आरएसटैंक होकर 22 नं गुमटी पार कर बेंता चौक से होते हुए जिला मुख्यालय पहुंचते हैं या दरभंगा जाने वाले लोगों को रघेपुरा, इंदिरा कॉलोनी होकर अल्लपट्टी निकलना पड़ता है। वहां भी रेलवे गुमटी पार करना ही होता है। कुछ लोग बहादुरपुर होते हुए पंडासराय गुमटी को पार कर शहर में प्रवेश करते हैं।

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नहीं है कोई वैकल्पिक रास्ता :

गुमटी बंद होने की स्थिति में लोगों के पास उस पार जाने का कोई वैकल्पिक रास्ता नहीं है। लहेरियासराय स्टेशन पर बने फुट ओवरब्रिज के चालू रहने पर साइकिल और मोटरसाइकिल सवार लोग उस रास्ते गुमटी पार कर जाते थे। लेकिन, पिछले कई वर्षों से वह ब्रिज क्षतिग्रस्त होने के बाद रेलवे प्रशासन ने उसे तोड़ कर गिरा दिया है। बताया जाता है कि इलेक्ट्रिफिकेशन के काम को देखते हुए फुट ओवरब्रिज को गिरा दिया गया। गुमटी पर आरओबी निर्माण की घोषणा कागज पर ही धूल फांक रही है। आरओबी की स्वीकृति तो मिली, लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी अब तक उसका डीपीआर भी तैयार नहीं हो सका है। ऐसे में, आरओबी का निर्माण कब तक पूरा होगा कहना मुश्किल है, अभी तो शुरू भी नहीं हुआ है।

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जन आंदोलन के बाद भी नहीं निकला समाधान :

हर दिन की जाम से त्रस्त स्थानीय लोगों ने वर्ष 2016 में आंदोलन का बिगुल फूंका था। 22 मई 2016 को स्थानीय लोगों ने आरओबी निर्माण को लेकर लहेरियासराय गुमटी पर ट्रेन रोक विरोध जताया था। फुट ओवरब्रिज की मरम्मत की मांग भी उठी थी। रेलवे प्रशासन ने उस समय मरम्मत करा कर फुट ओवरब्रिज को चालू करने का आश्वासन भी दिया, लेकिन चालू करना तो दूर उसे पूरी तरह ध्वस्त ही कर दिया गया है। तब से लगातार आंदोलन जारी है, लेकिन इस आंदोलन को राजनीतिक सपोर्ट नहीं मिलने से यह अपने मुकाम तक नहीं पहुंच सका। लोग आज भी उसी समस्या से जूझ रहे हैं। अब चुनाव को देखते हुए लोगों का आक्रोश एक बार फिर बढ़ने लगा है। वे वोट मांगने आने वाले नेताओं से सवाल पूछने को तैयार बैठे हैं।

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विकराल हो रही समस्या, त्रस्त हो चुकी जनता : आरओबी की घोषणा तो हुई पर आज तक काम शुरू भी नहीं हो पाया। जब तक आरओबी नहीं बनता समस्या यथावत बनी रहेगी। आंदोलन हुआ तो आश्वासन मिला, लेकिन आज तक वह आश्वासन पूरा नहीं हो सका। आंदोलन के तीन साल बीत गए, तब से लगातार अधिकारियों से संपर्क कर समस्या बताई गई, लेकिन प्रशासन या नेताओं ने इस पर ध्यान नहीं दिया।

- मदन कुमार झा मधुप, कबिलपुर

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रोज-रोज के जाम से लोग हलकान हो रहे हैं। आम लोगों के साथ ही दुकानदारों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। गुमटी के पश्चिम बड़ा नाला है जिसमें अक्सर लोग जाम के कारण गिरते रहते हैं। गुमटी के पूरब सड़क जर्जर है। इस समस्या पर ना किसी पार्टी का, ना किसी नेता का ध्यान है। वोट मांगने तो सब आते हैं, लेकिन समस्याओं को निदान कोई नहीं कर रहा।

- अश्विनी कुमार, चट्टी चौक

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गुमटी पर जाम के कारण बच्चों को स्कूल पहुंचने में काफी देर हो जाती है। यह एक दिन की बात नहीं है, रोजाना की समस्या बन चुकी है। जाम की स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां मरीज की जान तक जा चुकी है। लोगों के पास कोई वैकल्पिक रास्ता है नहीं, लोग क्या करें। अधिकारियों की गाड़ियां भी फंसती हैं, पर कोई ध्यान नहीं देता।

- मुनेंद्र कुमार झा, बहादुरपुर

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गुमटी की समस्या विकराल होती जा रही है। यदि शीघ्र वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई तो लोग वोट बहिष्कार भी कर सकते हैं। हर दिन लाखों लोग इस सड़क से गुजरते हैं। वोट तो नेताओं को चाहिए, लेकिन वोट मिलने के बाद वे वोट देने वालों की समस्याएं भूल जाते हैं। आम लोगों में काफी आक्रोश है। जल्द से इस समस्या का निदान किया जाना चाहिए।

पवन पासवान, नवटोलिया

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