सिस्टम को ठेंगा: ये बिहार है जनाब, यहां WhatsApp पर चलता है 'ओवरलोड का खेल'

डिजिटल युग में अब अपराधी भी डिजिटल मोड में आ गए हैं। वे क्राइम में सोशल मीडिया का जमकर इस्‍तेमाल कर रहे हैं। व्‍हाट्सएप पर अपना धंधा चला रहे हैं। आइए जानते हैं कैसे चल रहा है यह।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Wed, 20 Feb 2019 08:09 PM (IST) Updated:Wed, 20 Feb 2019 08:56 PM (IST)
सिस्टम को ठेंगा: ये बिहार है जनाब, यहां WhatsApp पर चलता है 'ओवरलोड का खेल'
सिस्टम को ठेंगा: ये बिहार है जनाब, यहां WhatsApp पर चलता है 'ओवरलोड का खेल'

भागलपुर [जेएनएन]। डिजिटल युग में अब अपराधी भी पूरी तरह डिजिटल मोड में आ गए हैं। वे क्राइम में सोशल मीडिया का जमकर इस्‍तेमाल कर रहे हैं। व्‍हाट्सएप पर अपना धंधा चला रहे हैं। ऐसा ही एक मामला बिहार के भागलपुर में सामने आया है। वहां सिस्‍टम को ठेंगा दिखाते हुए वाहनों में ओवरलोड का खेल चल रहा है। शातिर लोग व्‍हाट्सएप पर लोकेशन लेकर खनन जोन से जिले के अंतिम छोर तक रात में पग-पग पर गश्ती दलों की आंखों में धूल झोंक रहे हैं।
ऐसे में चेकिंग टीम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना लाजिमी है। यहां से उत्तर बिहार के जिलों सहित पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों में खनन सामग्री ट्रक, डंपर और ट्रैक्टर से सप्लाई हो रही है। इसके पीछे बड़ा नेटवर्क भी काम करता है, जो वाट्सएप ग्रुप पर सक्रिय होता है। परिवहन कार्यालय से जैसे ही टीम जांच के लिए निकलती है, सूचना तुरंत वाहन चालक तक पहुंच जाती है। ओवरलोड वाहनों पर शिकंजा कसने के लिए प्रशासन ने अलग-अलग जगहों पर चेकिंग पोस्ट लगाई है, लेकिन ओवर लोड से जुड़े तंत्र के सामने ये भी फेल हो गए।

जांच टीम निकलते ही चालकों को मिल जाती है सूचना 
मोबाइल टीम भी इस नेटवर्क के सामने घुटने टेक दी है। देर शाम परिवहन विभाग की ओर से ओवरलोड गाडिय़ों की चेकिंग के लिए टीम का गठन किया गया। इसकी सूचना तत्काल गाड़ी मालिकों को मिल गई। इसके बाद सड़कों पर देर रात तक ओवरलोड गाडिय़ां दिखाई ही नहीं दी। जिला परिवहन पदाधिकारी राजेश कुमार का कहना है कि वाहनों की धर-पकड़ की जा रही है। लक्ष्य से अधिक राशि की वसूली हुई है।

नेटवर्क ऐसे करता काम
सड़कों पर ओवरलोड वाहनों को चेक करने के लिए टीम जैसे ही कार्यालय से निकलती है। इसकी सूचना वाट्सएप मैसेज वाहन चालक तक पहुंच जाता है। चेकिंग टीम का लोकेशन शेयर होता रहता है। कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनका काम केवल ओवरलोड वाहनों को हरी झंडी देना होता है। इनका वाहन आगे-आगे चलता है। जैसे ही चेकिंग टीम का पता चलता है, तो पीछे से आ रहे वाहन चालक को बता दिया जाता है और ये वाहन चालक अपना रास्ता बदल लेते हैं। इनका शुल्क निर्धारित होता है। 1000-1200 रुपये तक दिए जाते हैं।

पाबंदी भी ओवरलोड वाहनों को नहीं रोक पाती रास्‍ता 
ओवरलोड गाडिय़ों के चलने के कारण एनएच-80 सहित भागलपुर-अमरपुर और भागलपुर-जगदीशपुर मार्ग समय से पूर्व जर्जर हो जा रहा है। ओवरलोड के कारण दो वर्ष से पहले बनीं सड़क टूटनी शुरू हो गई। खनन जोन से आने वाले वाहन चालकों के लिए यह सड़क पहली पसंद बनी है। विक्रमशिला सेतु समय से पहले ही जर्जर हो चुका है। मरम्मत के बाद भी पुल होकर भारी वाहनों के गुजरने पर पाबंदी लगाई गई है। लेकिन ओवरलोड वाहनों पर रोक नहीं लग पाई है।

ट्रक मालिकों का यह है आरोप
स्थानीय ट्रक मालिकों का आरोप है कि मोबाइल अधिकारी के इशारे पर ओवरलोड गाडिय़ों का परिचालन हो रहा है। इसके खिलाफ ट्रक मालिक संघ, नवगछिया के नेतृत्व में जिला परिवहन पदाधिकारी एवं जिलाधिकारी से मिलकर एक ज्ञापन सौंपा गया है। ट्रक मालिकों का कहना है कि जिला परिवहन विभाग द्वारा गाडिय़ों की जांच के लिए दो प्रवर्तन अधिकारी सतीश कुमार एवं प्रभाष चन्द्र झा को गाड़ी मालिक के साथ जीरो माइल से लेकर विक्रमशिला सेतु पहुंच पथ तक सोमवार देर रात से अहले सुबह तक जांच अभियान चलाने का आदेश मिला था। लेकिन जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही हुई।

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