Fertilizer Crisis: बिहार में खाद की कमी! Black Marketing करने वालों की चांदी, सहरसा में किसान बेहाल

Fertilizer Crisis बिहार के सहरसा जिले के कई प्रखंडों से ऐसी सूचना है कि यहां खाद की कालाबाजारी हो रही है। खाद की कमी के बीच किसान भटक रहे हैं। अब किसानों को चिंता सताने लगी है कि रबी की फसल के लिए ये स्थिति कब तक बनी रहेगी।

By Shivam BajpaiEdited By: Publish:Sat, 04 Dec 2021 07:13 AM (IST) Updated:Sat, 04 Dec 2021 07:13 AM (IST)
Fertilizer Crisis: बिहार में खाद की कमी! Black Marketing करने वालों की चांदी, सहरसा में किसान बेहाल
सहरसा के कई प्रखंडों से आ रही ब्लैक मार्केटिंग की सूचना।

संवाद सूत्र, सहरसा: खरीफ की खेती के समय जिला प्रशासन व कृषि विभाग खाद की कालाबाजारी (Black Marketing of Fertilizers) रोकने में कामयाब रहा, लेकिन रबी की खेती प्रारंभ होते ही बाजार से खाद गायब होने लगी है। सरकार के जीरो टालरेंस नीति को धत्ता बताते हुए दुकानदार कृत्रिम किल्लत पैदाकर खाद की कालाबाजारी पर उतर आए हैं। किसान खाद- बीज के लिए मारे- मारे फिर रहे हैं। जिले के विभिन्न प्रखंडों से खाद की कालाबाजारी की सूचनाएं प्राप्त हो रही है। विभाग की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है।

यह सही है कि अक्टूबर और नवंबर माह की मांग के अनुसार जिले को यूरिया व अन्य खाद नहीं मिली है, लेकिन जिले में खाद की अभी कमी नहीं है। दुकानदारों द्वारा खाद का कृत्रिम किल्लत पैदाकर किसानों से अधिक राशि की वसूली की जा रही है। गेहूं के पौधा में खाद डालने के लिए किसान दर- दर भटक रहे हैं। खरीफ की फसल

बाढ़ व वर्षपात के कारण बर्बाद हो गई, ऐसे में अगर विभाग सुस्त बना रहा तो रबी की फसल खाद के बिना बर्बाद हो सकती है।

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जिले में खाद का वर्तमान स्टाक

कम खाद उपलब्ध होने के बावजूद शुक्रवार को जिले में 4335.561 एमटी यूरिया, 827.940 एमटी डीएपी, 1042.247 एमटी एमओपी, 1277.246 एमटी एनपीके तथा 164.950 एमटी एसएसपी उपलब्ध है। अर्थात किसी भी खाद की कमी नहीं कही जा सकती है। दो दिन के अंदर रैक भी पहुंचनेवाला है। बावजूद इसके किसानों को खाद उपलब्ध कराने में दुकानदार तरह- तरह का बहाना बना रहे हैं।

'खाद- बीज की कालाबाजारी करनेवाले दुकानदारों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जिस क्षेत्र के किसान सलाहकार व समाचारपत्र के माध्यम से इसकी शिकायत मिलेगी, उसकी जांच कर संबंधित दुकान की अनुज्ञप्ति रद कर दी जाएगी।'- दिनेश प्रसाद सिंह, जिला कृषि पदाधिकारी, सहरसा।

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