CoronaVirus Test Report: अब कोरोना जांच की रिपोर्ट में नहीं होगी गड़बड़ी, जानिए

CoronaVirus Test Report डी डायमर सीआरपी और फेरिटीन जांच से कोरोना की सही जानकारी दे दीजिए। सभी जांच खून का सैंपल लेकर किया जाता है। किडनी आदि अंदरूनी अंगों में खून के रिसने की जानकारी और वायरस कितना फैला है इसकी जानकारी मिलेगी।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Mon, 03 May 2021 09:20 AM (IST) Updated:Mon, 03 May 2021 09:20 AM (IST)
CoronaVirus Test Report: अब कोरोना जांच की रिपोर्ट में नहीं होगी गड़बड़ी, जानिए
कोरोना जांच रिपोर्ट को और बेहतर बनाया जाएगा।

जागरण सवांददाता, भागलपुर। आरटीपीसीआर और एंटीजन किट से जांच से कोरोना का संक्रमण हुआ है या नहीं भले ही इसकी जानकारी सही ना मिले। लेकिन तीन ऐसे कोरोना के जांच हैं जिनसे अंदरूनी अंगों से खून के रिसने, वायरस का कितना संकरण हुआ है और शरीर में प्रोटीन की मात्रा की जानकारी देता है।

मेडिकल कॉलेज के पैथोलॉजी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ मुकेश साह ने कहा कि कोरोना मरीजों की जांच में डी डायमर, फेरिटीन ओर सीआरपी जांच करवाना आवश्यक है। इन जांचों से मरीज की सही हालात की जानकारी मिलती है और डॉक्टरों को इलाज करने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि डी डायमर की जांच से किडनी, हृदय और फेफड़ों व अन्य अंगों से खून के रिसने और थक्का बनने की जानकारी मिलती है। डी डायमर एक प्रकार का प्रोटीन है। अगर जांच निगेटिव है तो खून में थक्का नहीं जम रहा है, इसकी जानकारी मिलती है। साथ ही प्रोटीन के स्‍तर की भी जानकारी मिलती है। कोरोना मरीजों में प्रोटीन का छोटा टुकड़ा खून में घुलने लगता है, तब थक्का जमता है।

उन्होंने कहा कि सीआरपी जांच से वायरस संक्रमण की जानकारी मिलती है। साथ ही सीआरपी का लेबल कितना बढ़ा है, इसकी भी जानकारी मिलेगी। सीआरपी लेबल खून में कितना बढ़ा हुआ है, पता चलता है। कोरोना मरीजाें में 10 मिलीग्राम या ज्यादा है तो संक्रमण का खतरा ज्यादा है। वहीं कोरोना मरीजों में फेरिटीन सीरम की मात्रा बढ़ी हुई मिलेगी। 300 नेनोग्राम पर मिलीमीटर नार्मल है, इससे ज़्यादा होने पर कोरोना मरीजों की हालत गंभीर रहती है। इसके अलावा सिटी स्कैन से फेफड़ा में कोरोना वायरस कितना नुकसान किया है, इसकी जानकारी मिलती है। डॉ ओबेद अली ने कहा कि इन सारी जांचों की रिपोर्ट मिलने पर कोरोना मरीजो का इलाज करना और भी आसान हो जाता है। इससे मरीजों को भी सही जानकारी मिलेगी। इस जांच के बाद मरीजों की सही मूल्‍यांकन होगा।

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