सिसक रही मां, काश! रुक जाता मुकेश

By Edited By: Publish:Thu, 16 Jan 2014 01:02 AM (IST) Updated:Thu, 16 Jan 2014 01:03 AM (IST)
सिसक रही मां, काश! रुक जाता मुकेश

संवाद सहयोगी, भागलपुर : मुकेश की मौत के बाद उसकी मां रंजू देवी बेसुध हो गईं। परिजन बार-बार रंजू को होश में लाते और वे हर बार बेहोश हो जातीं। वे बार-बार कह रही थीं कि अब पीओ कौन बनेगा! मुकेश की मां ने उसे मेला जाने से मना किया था लेकिन जिद पर अड़ा मुकेश नहीं माना। दोनों पैरों से विकलांग होने के बावजूद मुकेश काफी होनहार था। इंटर की फाइनल परीक्षा देने के लिए वह दिन-रात पढ़ रहा था। उसके पिता डब्लू राय कपड़े की फेरी लगाते हैं। तीन छोटी बहनें सुमन, संगीता व सपना को आत्मनिर्भर बनाने का मुकेश का सपना था। चूल्हे की ठंडी पड़ी आग और आस-पास पसरा सन्नाटा भी मानो अनहोनी की कहानी कह रहा हो। तीनों बहनें व छोटा भाई दिनेश अपनी मां रंजू देवी मौज-मस्ती के लिए मुकेश के साथ बौंसी मेला गए चारों साथियों के मुंह से आवाज तक नहीं निकल रही थी। मुकेश के पिता डब्लू राय ने गांव के लोगों द्वारा पोस्टमार्टम की सलाह को नकारा दिया। डब्लू ने दो टूक शब्द में ही कह डाला अब बेटा मुकेश के पार्थिव शरीर पर एक भी खरोंच नहीं लगने देंगे। नहंी चाहिए कोई सरकारी योजना। बेटा से बढ़कर कोई धन नहीं।

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