पहले बिना सीटबेल्ट के आती थीं कारें, जानिए कब हुआ था दुनिया की पहली Seatbelt का आविष्कार

सीट बेल्ट पर रिसर्च करने वाली संस्था ने 2019 में रिपोर्ट में बताया कि 93 फीसदी लोग पीछे की सीट बेल्ट का उपयोग नहीं करते हैं। इसके साथ ही हाईवे पर हादसों के अध्ययन से पता चला कि 35 प्रतिशत मौतें पीछे की सीट बेल्ट नहीं पहनने के कारण हुईं।

By Atul YadavEdited By: Publish:Sat, 03 Dec 2022 04:46 PM (IST) Updated:Sat, 03 Dec 2022 05:07 PM (IST)
पहले बिना सीटबेल्ट के आती थीं कारें, जानिए कब हुआ था दुनिया की पहली Seatbelt का आविष्कार
जानिए सेल्ट बेल्ट की शुरूआत कब हुई थी

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। इस समय हर एक गाड़ियों में सीट बेल्ट अनिवार्य रूप से आ रही है। वहीं मोटर व्हीकल एक्ट के अनुसार बिना सीट बेल्ट पहने यात्रा करना दंडनीय अपराध है। क्या आपको पता है, शुरू में जब गाड़ियां लॉन्च होती थीं तब उसमें सीट बेल्ट जैसे सेफ्टी फीचर्स नहीं मिलते थे? आज की तुलना में पहले की गाड़ियां उतनी न तो एडवांस थी और न ही उसमें सेफ्टी फीचर्स मिलते थे। हालांकि, सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या और उससे निपटने के प्रावधान के तहत सीट बेल्ट का अविष्कार हुआ था। आइये जानते हैं सेल्ट बेल्ट की शुरूआत कब हुई थी और सबेस पहले किस गाड़ी में इस फीचर का इस्तेमाल किया गया था।

19वीं सदी में इस व्यक्ति ने किया था अविष्कार

दुनिया की पहली थ्री-प्वाइंट सीटबेल्ट की डिजाइन का खिताब रोजर डब्ल्यू ग्रिसवॉल्ड और ह्यूग डेहेव के नाम है, जिन्होंने साल 1955 में इसकी डिजाइन की थी। उसके बाद समय बदला और स्वीडन की कंपनी SAAB ने पहली बार सफलतापूर्वक सीटबेल्ट को बतौर स्टैंडर्ड फीचर अपनी कारों में इस्तेमाल करना शुरू किया। 1955 के बाद सीट बेल्ट में बदलाव साल 1958 में किया गया, जहां स्वीडिश के रहने वाले निल्स बोहलिन ने थ्री-प्वांइट सीटबिल्ट को डेवलप किया, जिसे उस समय Volvo की गाड़ियों में यूज किया गया। बता दें, निल्स बोहलिन द्वारा डेवलप किए गए थ्री-प्वाइंट सीटबेल्ट का इस्तेमाल आज भी कई गाड़ियों में इस्तेमाल किया जाता है।

साल 1958 के बाद साल 1959 में वोल्वो इंजीनियर निल्स बोहलिन ने एडवांस थ्री-प्वाइंट सीट बेल्ट को विकसित किया था। उस समय कंपनी जो अपनी डिजाइन को पेटेंट कराया गया था, उसे फ्री कर दिया था, ताकि अन्य वाहन बनाने वाली कंपनियां भी अपने गाड़ियों में इसका इस्तेमाल कर सकें। सीट बेस्ट के चलन के बढ़ने के बाद सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की संख्या में गिरावट देखने को मिलने लगी, जिसके बाद ,सीट बेल्ट को अधिकतर कंपनियों ने अपने वाहनों में इसे स्टैंडर्ड रूप से अनिवार्य कर दिया था। अब गाड़ियों की सेफ्टी देखा जाए तो पहली की तुलना में पूरी सूरत बदल चुकी है। इस समय प्रत्येक वाहनों में सीट बेल्ट के साथ सीट बेल्ट रिमाइंडर भी आना शुरू हो गया है।

आजकल की गाड़ियों में सीट बेल्ट कितना एडवांस

वर्तमान में जो गाड़ियां आ रही हैं उसमें से अधिकतर सीट बेल्ट रिमांडर के साथ आ रही हैं। वहीं सीट बेल्ट के साथ एयरबैग्स का अनिवार्य होना भी सड़क हादसों में होने वाली मौतों की संख्या को कम कर दिया है।

 साइरस मिस्त्री की मौत बाद सीट बेल्ट को लेकर सख्त हुई सरकार

हाल ही में देश के जाने माने उद्योगपति साइरस मिस्त्री की कार दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। वे कार की पिछली सीट पर बैठे थे और सीट बेल्ट नहीं पहना था। बताया जा रहा है कि अगर उन्होंने सीट बेल्ट पहनी होती तो शायद वह जिंदा होते। साइरस मिस्त्री के निधन के बाद सीट बेल्ट को लेकर भारत सरकार सख्त हो गई है और पीछे की सीट पर बैठने वाली यात्रियों को सीटबेल्ट लगाना अनिवार्य हो गया है।

सीट बेल्ट पर रिसर्च करने वाली संस्था ने 2019 में एक रिपोर्ट में बताया था कि 93 फीसदी लोग पीछे की सीट बेल्ट का उपयोग नहीं करते हैं। इसके साथ ही हाईवे पर हादसों के अध्ययन से पता चला कि 35 प्रतिशत मौतें पीछे की सीट बेल्ट नहीं पहनने के कारण हुईं।

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